नयी दिल्ली, नौ सितंबर । सेना उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बरती जा रही ‘‘अधिक सतर्कता’’ के मद्देनजर उग्रवाद से प्रभावित पूर्वोत्तर में अपनी उग्रवाद विरोधी रणनीति में सुधार करने पर विचार कर रही है। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं के कई मामलों की जांच करने के सख्त आदेश दिए हैं।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि सेना मुख्यालय मणिपुर में सेना की ओर से मृतकों की बढ़ती संख्या को लेकर ‘‘बहुत चिंतित’’ है। साथ ही वह राज्य में उग्रवादियों के खिलाफ अपने अभियान की तीव्रता में आई कमी को लेकर भी चिंतित है। मणिपुर में 10 से ज्यादा बड़े उग्रवादी समूह सक्रिय हैं।
सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने अभियानों की रणनीति में सुधार करने के लिए पिछले महीने विस्तृत विचार विमर्श किया। ऐसा लगता है कि आफस्पा से संबंधित मामलों पर न्यायालय के निर्देशों के कारण ‘‘अत्यधिक सतर्कता’’ बरती जा रही है।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले कुछ महीनों में सीबीआई को मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित न्यायेतर हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों की विस्तृत जांच करने के निर्देश देते हुए कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सूत्रों ने बताया कि अदालत के आदेश और सीबीआई की कार्रवाई के बाद मणिपुर में तैनात कुछ सैनिकों और अधिकारियों के बीच स्पष्ट बेचैनी है और इसलिए वे उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाने में अत्यधिक सतर्कता बरत रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2017 में उग्रवाद रोधी अभियानों में कुल आठ सैन्यकर्मी मारे गए और 26 घायल हो गए जबकि मारे गए उग्रवादियों की संख्या तीन थी।
उन्होंने बताया कि इस साल अगस्त तक सेना के नेतृत्व वाले अभियानों में केवल तीन उग्रवादी मारे गए जबकि पांच सैनिक शहीद हुए और 17 घायल हुए।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1997 से लेकर अब तक पूर्वोत्तर में अभियानों में कुल 1,889 सैनिक मारे गए और 3,168 जवानों को गंभीर चोटें आईं जबकि इस दौरान मारे गए उग्रवादियों की संख्या 4,974 है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘करगिल लड़ाई में 527 सैनिक मारे गए और 1363 घायल हुए लेकिन पूर्वोत्तर में मृतकों की संख्या देखें।’attacknews.in