नयी दिल्ली, 29 अक्तूबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि दुनिया सिर्फ उगते सूर्य को नमस्कार करती है लेकिन आस्था के महापर्व छठ में उनको भी पूजने का संदेश दिया जाता है जिनका डूबना निश्चित है।
मोदी ने अपने नियमित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में आज कहा कि दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाने वाला महापर्व छठ काफी नियम, निष्ठा से मनाए जाने वाले त्योहारों में शामिल है। इसमें खान-पान से लेकर वेश भूषा तक सबमें पारंपरिक नियमों का पालन किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महापर्व के केंद्र में सूर्य और जल हैं वहीं पूजन विधि से जुड़ी अन्य सामग्रियां बांस और मिट्टी के बने बर्तन आदि हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया सिर्फ उगते सूर्य को नमस्कार करती है लेकिन आस्था के महापर्व छठ में उनको भी पूजने का संदेश दिया जाता है जिनका डूबना निश्चित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति भी इस त्योहार में समाई हुई है। छठ से पहले पूरे घर की सफाई, साथ ही नदी, तालाब, पोखर के किनारे, पूजा-स्थल यानि घाटों की भी सफाई, पूरे जोश से सब लोग मिल करके करते हैं। सूर्य वंदना या छठ-पूजा – पर्यावरण संरक्षण, रोग निवारण व अनुशासन का पर्व है।
उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोग कुछ मांगकर लेने को हीन-भाव से देखते हैं लेकिन छठ-पूजा में सुबह के अर्ध्य के बाद प्रसाद मांगकर खाने की एक विशेष परम्परा रही है। प्रसाद माँगने की इस परम्परा के पीछे यह मान्यता भी बतायी जाती है कि इससे अहंकार नष्ट होता है। एक ऐसी भावना जो व्यक्ति की प्रगति के राह में बाधक बन जाती है। भारत की इस महान परम्परा के प्रति हर किसी को गर्व होना बहुत स्वाभाविक है।