मुंबई, 03 दिसंबर । महाराष्ट्र सरकार की ओर से मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के विधेयक के खिलाफ अधिवक्ता गुणरत्ना सदावर्ते ने सोमवार को बम्बई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की।
महाराष्ट्र के दोनों सदन में 29 नवंबर को मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत अारक्षण देने के लिए विधेयक मंजूर किया गया था।
मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन सेवा अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एम जी गायकवाड के नेतृत्व में किया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिकरूप से पिछड़ा बताया था।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट 15 नवंबर को सरकार को सौंप दी थी।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केवियेट दाखिल:
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण के संबंध में उच्चतम न्यायालय में सोमवार को एक केवियट दाखिल किया।
केवियट दाखिल करने के बाद यदि कोई भी मराठा आरक्षण के संबंध में अदालत में जाता है तो अदालत सरकार भी पक्ष जाने बिना कोई भी निर्णय नहीं लेगी।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए दोनों सदनों में 29 नवंबर को विधेयक मंजूर किया गया था और 30 नवंबर के राज्यपाल सी विद्यासागर ने विधेयक में हस्ताक्षर किया था। विधेयक में मराठा समुदाय को विशेष वर्ग सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछडे वर्ग में सरकारी नौकरी और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा गया था।
राज्य में 52 प्रतिशत आरक्षण पहले से ही दिया जा चुका है। यदि मराठा समुदाय के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण को भी इसमें जोड़ा जाय तो कुल 68 प्रतिशत आरक्षण हो जायेगा।
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