भोपाल 11 अप्रैल । मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस ने अब तक 22 और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 21 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। बाकी सीटों पर उम्मीदवारों के नामों को लेकर दोनों दलों में आंतरिक विचार-विमर्श चल रहा है। सबकी नजर इंदौर, विदिशा और गुना संसदीय क्षेत्रों पर टिकी है, जहां से उम्मीदवार तय करने के लिए दोनों ही दलों में तमाम दावेदारों के नामों पर माथापच्ची जारी है।
भाजपा अभी तक जिन आठ संसदीय क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारोंं के नामों का फैसला नहीं कर पाई है, उनमें इंदौर, विदिशा, गुना, सागर, खजुराहो, धार, रतलाम और भोपाल शामिल हैं।
वहीं, कांग्रेस को अभी सात संसदीय क्षेत्र गुना, भिंड, ग्वालियर, राजगढ़, विदिशा, इंदौर, धार के लिए उम्मीदवारों का एलान करना है।
विदिशा और इंदौर भाजपा के गढ़ हैं, जहां से भाजपा 1989 से लगातार लोकसभा चुनाव जीतती आ रही है। दोनों ही क्षेत्रों के वर्तमान सांसद सुषमा स्वराज और सुमित्रा महाजन ने चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया है।
उधर, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं और इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस पर 1999 से कांग्रेस का कब्जा है। लिहाजा दोनों दल अपने गढ़ को बचाए रखने के साथ एक-दूसरे के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश में हैं।
राज्य के 29 संसदीय क्षेत्रों में चार चरणों में 29 अप्रैल, छह मई, 12 मई और 19 मई को मतदान होने जा रहा है। देश में सात चरणों होने जार रहे चुनाव के चौथे चरण में 29 अप्रैल को मध्यप्रदेश के छह संसदीय क्षेत्रों, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, सीधी, शहडोल व जबलपुर में मतदान होगा है, इन क्षेत्रों में मंगलवार तक नामांकन पत्र भी भरे जा चुके हैं।
राज्य मेें भाजपा अब तक 21 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी हैं, उसने वर्ष 2014 में चुनाव जीतने वाले आठ सांसदों को इस बार चुनाव लडऩे का मौका नहीं दिया है। इन सांसदों के कामकाज के तरीके को लेकर मतदाताओं में असंतोष होने की बात सामने आई थी।
ऐसा माना जा रहा है कि गुुना से कांग्रेस का वही उम्मीदवार होगा जिसे ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहेंगे। वर्तमान में सिंधिया के गुना अथवा ग्वालियर से चुनाव लडऩे की चर्चा है, इसलिए पार्टी ने दोनों ही सीटों से उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है।
सिंधिया परिवार का विदिशा व इंदौर में प्रभाव होने के कारण पार्टी संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन कर रही है। इसके उलट भाजपा के विदिशा व इंदौर से सांसदों ने चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया है। ऐसी स्थिति में भाजपा यहां से मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है।
इंदौर के मामले में भाजपा कहीं ज्यादा सजग है और उसे सुमित्रा महाजन की पसंद पर भी गौर करना पड़ रहा है। उधर, विदिशा से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से नाता रखने वाले को उम्मीदवार बनाने पर विचार हो रहा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य के 29 संसदीय क्षेत्रों में से भाजपा ने 27 और कांग्रेस ने दो पर जीत दर्ज की थी। बाद में रतलाम संसदीय क्षेत्र में हुए उप-चुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया निर्वाचित हुए थे। इस तरह वर्तमान में प्रदेश से भाजपा के 26 और कांग्रेस के तीन सांसद हैं।
राजनीतिक विश्लेषक सॉजी थॉमस ने कहा कि राज्य में आगामी चुनाव दिलचस्प होगा, क्योंकि इस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और यह चुनाव कमलनाथ सरकार के लिए काफी अहम बन गया है। भाजपा जहां कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर हमले बोल रही है तो कांग्रेस 75 दिन के शासनकाल के 83 वादों को पूरा करने का दावा कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि दोनों दल इस चुनाव में अपने को पूरी तरह सुरक्षित नहीं पा रहे हैं, यही कारण है, उम्मीदवारी के चयन को लेकर पार्टी को माथापच्ची करनी पड़ रही है।’’
जानकारों की माने तो राज्य की करीब 12 सीटें ऐसी हैं जहां कड़ा मुकाबला हो सकता है, यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही चिंतित हैं। कांगे्रस को जहां गुना, छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र सुरक्षित नजर आ रहे हैं, वहां भाजपा मुरैना, विदिशा, जबलपुर, उज्जैन, मंदसौर, टीकमगढ़ को सुरक्षित मानकर चल रही है।
उधर, भोपाल, इंदौर, खजुराहो, दमोह, रतलाम, खंडवा, सीधी, रीवा, शहडोल, सतना, बालाघाट और सागर में कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।
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