भोपाल, 29 जून । मध्यप्रदेश की तीन माह से अधिक पुरानी शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित विस्तार कल होने की पूरी संभावना है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा कल अपरान्ह यहां से दिल्ली रवाना हुए थे और कल रात ही उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा हो गयी है। बैठकों का दौर आज भी चलेगा और श्री चौहान की अपरान्ह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात हुई । देर रात तक श्री चाैहान वापस लौट आएंगे और कल वे अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे।
इस बीच मध्यप्रदेश की प्रभारी राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल भी कल सुबह लखनऊ से यहां पहुंचेंगी और पहले वे स्वयं शपथ ग्रहण करेंगी। उन्हें कल ही मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। राज्यपाल लालजी टंडन के अस्वस्थ होने के चलते श्रीमती पटेल को यह प्रभार दिया गया है। पहले श्रीमती पटेल के आज भोपाल पहुंचने की संभावना थी, लेकिन आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब वे मंगलवार सुबह ही यहां आएंगी।
भाजपा सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मंगलवार सुबह यहां पहुंचेंगे और वे रात्रि विश्राम करने के बाद बुधवार को भी यहां रहेंगे। वे भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सकते हैं। श्री सिंधिया इसके अलावा पार्टी नेताओं और अपने समर्थकाें के साथ आगामी विधानसभा उपचुनावों के संबंध में चर्चा कर सकते हैं।
राज्य में मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर काफी दिनों से कवायद चल रही है। नए मंत्रियों के नामों को लेकर वरिष्ठ नेताओं के बीच सहमति बनाने और केंद्रीय नेतृत्व को विश्वास में लेने के लिए श्री चौहान कल दिल्ली रवाना हुए थे। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत भी गए हैं।
राज्य में मार्च माह के राजनैतिक घटनाक्रमों के चलते वरिष्ठ नेता श्री सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था और उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। इन विषम स्थितियों में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था और 23 मार्च को श्री चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी।
इसके पूरे एक माह बाद अप्रैल में पांच मंत्रियों को शपथ दिलाकर श्री चौहान ने अपने मंत्रिमंडल का गठन किया। इसके बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होना था, लेकिन वह विभिन्न कारणों से लगातार टल रहा था।
विधानसभा में सदस्यों की संख्या के मान से राज्य में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। इस तरह श्री चौहान अधिकतम 29 और लोगों को मंत्री बना सकते हैं, हालाकि रणनीतिक तौर पर हमेशा मंत्रिमंडल में कुछ स्थान रिक्त रखे जाते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार में श्री सिंधिया की राय को तवज्जो और उनके समर्थकों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए जाने की पूरी संभावना है। अभी जो सूचनाएं मिल रही हैं, उसके अनुसार लगभग दो दर्जन नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलायी जा सकती है।
शिवराज ने नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद सिंधिया से भेंट कर बधाई दी
उधर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज आज नई दिल्ली में नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से भेंट कर बधाई दी।
श्री चौहान ने ट्वीट के माध्यम से लिखा है कि ‘आज नई दिल्ली में नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से भेंट कर बधाई दी’।
उन्होंने कोविड-19 के राहत कार्यों के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में 30 लाख की राशि का चेक मुझे सौंपा। मध्यप्रदेश की बेहतरी के लिए आपके द्वारा दिये गए योगदान के लिए धन्यवाद देता हूँ।
मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच नरोत्तम मिश्रा अचानक दिल्ली गए:
दिल्ली में सीएम शिवराज सिंह की मौजूदगी में मंत्रिमंडल विस्तार के मंथन के बीच अब प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अचानक दिल्ली पहुंच गए . मिश्रा ग्वालियर में थे और वहां से उन्हें भोपाल आना था. उनके भोपाल में कई कार्यक्रम तय थे लेकिन उन्हें अचानक दिल्ली से बुलावा आया. वह ग्वालियर से सीधे दिल्ली पहुंच गए।
यह माना जा रहा है कि संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में पेंच फंसने की वजह से ग्वालियर चंबल के सभी प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है. हालांकि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले से ही दिल्ली में मौजूद हैं।
सूत्रों की मानें तो ग्वालियर चंबल में सबसे ज्यादा उपचुनाव की 16 सीट होने की वजह से मंत्रिमंडल विस्तार में वहां के गणित को साधने पर खासतौर से चर्चा की गयी।मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बीजेपी के अपने नेताओं की संभावित नाराजगी दूर करने पर भी मंथन हो रहा है।
दो दिन से जारी है मंथन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत 28 तारीख से दिल्ली में डेरा जमाए हैं. 28 तारीख को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा फिर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात हुई थी. उसके बाद देर रात गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे. दोनों के बीच करीब 2 घंटे तक विचार हुआ. आज 29 जून को भी दिल्ली में बैठकों के दौर जारी रहा ।
सिंधिया शिवराज मुलाकात
मंत्रिमंडल के नामों पर अंतिम मुहर लगने से पहले हो रहे मंथन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच भी मुलाकात हुई.दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में 1 घंटे से भी ज्यादा तक मंथन हुआ।
बताया जा रहा है कि इसमें सिंधिया खेमे से मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों और उनके विभागों को लेकर चर्चा की गयी।
यह हैं संभावित 25 नए मंत्रियों के नाम, भाजपा-सिंधिया गुट के इन नेताओं मिल सकता है मंत्रीपद::
सूत्रों के मुताबिक नए मंत्रियों की सूची पर अंतिम मोहर लग गई है। शिवराज की गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी लंबी चर्चा हुई, जिसमें नामों को अंतिम रूप दिया गया।
चौहान सोमवार को ही भोपाल पहुंच जाएंगे और 30 जून को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है।
इनसे भी हुई मुलाकात
इससे एक दिन पहले रविवार को शिवराज ने संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोश के साथ चर्चा की और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी मिलने गए। दोनों नेताओं के साथ मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा हुई। इसके बाद रविवार शाम को ही आठ बजे पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने उनके बंगले पर गए। यहां दो घंटे तक दोनों में चर्चा हुई।इसी के बाद रात में गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर पहुंचे, शिवराज के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे भी पहुंचे थे।
बताया जाता है कि अमित शाह के आवास पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पहुंच गए थे। सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल के लिए क्षेत्र, वर्ग और सबसे अहम उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए नामों पर मंथन हुआ।
फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल में केवल 5 मंत्री हैं और कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल में करीब 25 सदस्यों को शामिल किया जाएगा।
मध्यप्रदेश में हो सकते हैं दो डिप्टी सीएम
स्वास्थ्य एवं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र भी दिल्ली पहुंच गए हैं। शिवराज कैबिनेट में शामिल किए गए पांच मंत्रियों में से तुलसी सिलावट और नरोत्तम मिश्रा को डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चा है।
इनको भी मिल सकता है मंत्री पद:
भोपाल से रामेश्वर शर्मा, पूर्व मंत्री विश्वास सारंग और एससी कोटे से विष्णु खत्री, रायसेन से पूर्व मंत्री रामपाल सिंह के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं।
इंदौर से उषा ठाकुर का नाम सबसे आगे है। इंदौर से ही भाजपा विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़ पर विचार हुआ है।
मालवा निमाड़ से मोहन यादव, चेतन कश्यप, यशपाल सिंह सिसोदिया, आदिवासी कोटे से विजय शाह या प्रेम सिंह पटेल भी मंत्री बनाए जा सकते हैं।
बुंदेलखंड से पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के साथ एससी कोटे से हरीशंकर खटीक का नाम भी मंथन में आया है।
ग्वालियर चंबल से अरविंद भदौरिया, यशोधरा राजे सिंधिया के साथ ओबीसी और नरेंद्र सिंह तोमर के कट्टर समर्थक भारत सिंह कुशवाह का नाम भी शामिल हो सकता है।
विन्ध्य से राजेंद्र शुक्ला या गिरीश गौतम में से किसी एक को मौका मिल सकता है। इसमें पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल को दोबारा भी मंत्री बनाया जा सकता है।
ओबीसी कोटे से रामलल्लू वैश्य और एससी से कुंवर सिंह टेकाम के नाम पर भी चर्चा है।
महाकौशल से अशोक रोहाणी या अजय विश्नोई में से किसी एक को मौका मिलेगा। पूर्व मंत्री संजय पाठक, गौरीशंकर बिसेन और एसटी कोटे से देवी सिंह सैयाम का नाम पर भी सहमति बन सकती है।
सिंधिया गुट से यह है नाम
डा. प्रभुराम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंसाना, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, हरदीप सिंह डंग और रणवीर जाटव के नाम भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। यह सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं जो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं।
शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार में ज्यातिरादित्य सिंधिया का पूरी तरह से दबदबा है. माना जा रहा है कि शिवराज कैबिनेट में कम से कम 9 से 10 सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके लिए बीजेपी को अपने कई नेताओं को नजरअंदाज कर जोखिम भरा कदम उठाना पड़ सकता है।
सिंधिया खेमे का कैबिनेट में रहेगा दखल
कमलनाथ की कैबिनेट में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के 6 लोग शामिल थे. बीजेपी में वह 22 पूर्व विधायकों के साथ आए हैं. इनमें से सिंधिया के गुट के 2 लोग तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पहले से कैबिनेट में शामिल है बाकी सात से आठ लोग और भी मंत्री बनाए जा सकते हैं. इनमें इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी के नाम तय हैं, क्योंकि ये लोग कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर बीजेपी में आए हैं.
इसके अलावा सिंधिया समर्थकों में बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, एंदल सिंह कंसाना, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और रणवीर जाटव भी कैबिनेट मंत्री के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. डंग और बिसाहूलाल सिंह मंत्री न बनने की वजह से ही कांग्रेस में नाराज थे और इसी के चलते विधायक पद से इस्तीफा दिया था. शिवराज कैबिनेट में इतने लोगों की एंट्री के बाद सिंधिया खेमे का दखल काफी बढ़ जाएगा. हालांकि, उपचुनाव को देखते हुए बीजेपी को समीकरण साधने के लिए इन्हें कैबिनेट में जगह देना मजबूरी बन गया है।
वहीं, बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मंत्रिमंडल में शामिल होने की बाट जोह रहे है. इसी को लेकर शिवराज सिंह चौहान खासे पसोपेश में नजर आये. मध्य प्रदेश में मंत्री पद सीमित है और कई वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में समायोजित करना है यह ढेड़ी खीर बन गया ।
बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा समस्या आ रही है बुंदेलखंड क्षेत्र से जहां गोपाल भार्गव जैसे दिग्गज और वरिष्ठ नेता हैं तो वहीं शिवराज के करीब पूर्व गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह भी मौजूद हैं. इस क्षेत्र से पहले ही सिंधिया खेमें से गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाया जा चुका है. एक ही जिले से तीन मंत्री बनाना शायद संभव नहीं हो पा रहा. साथ ही कई ऐसे विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए बेताब हैं, जो बीजेपी के टिकट से लगातार जीतते आ रहे हैं. इनमें शैलेंद्र जैन और प्रदीप लारिया का नाम सबसे आगे हैं. ऐसे ही माथा पच्ची विंध्य और मेवाड़-निमाड़ इलाके में है।