Home / चुनाव / मध्यप्रदेश की सागर संसदीय सीट सन् 1989 के चुनाव के बाद से भाजपा के खाते में रही हैं, अब कांग्रेस पार्टी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाने की तैयारी में है attacknews.in

मध्यप्रदेश की सागर संसदीय सीट सन् 1989 के चुनाव के बाद से भाजपा के खाते में रही हैं, अब कांग्रेस पार्टी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाने की तैयारी में है attacknews.in

सागर, 27 मार्च। बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर संसदीय क्षेत्र में लगातार छह बार से अपना परचम फहरा रही भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में भी जीत के लिए पूरी तैयारी की साथ उतरने जा रही है वहीं कांग्रेस अपनी खोई हुई सीट को वापस लेने की फिराक में है।

महिला आरक्षण पर राजनीति करने वाले तमाम राजनैतिक दलों में से केवल कांग्रेस ने अब तक यहां महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट पर भाजपा 1989 से लगातार जीत दर्ज रही है। उसके नेता वीरेंद्र कुमार यहां से चार बार सांसद बने हैं।

पहले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सहोद्रा राय ने कंछेदी को पराजित कर लोकसभा पहुंची थी। वर्ष 1957 में हुये अगले चुनाव में कांग्रेस के ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी अपने प्रतिदंदी धनीराम को पराजित कर सांसद बने। वह 1962 दूसरी बार सागर से सांसद चुने गए। वर्ष 1967 के चुनाव में इस क्षेत्र के फिर से अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हाेने पर कांग्रेस ने पूर्व सांसद सहोद्रा राय को प्रत्याशी बनाया लेकिन वह बीजेएस के राम सिंह से चुनाव हार गयीं। वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने सहोद्रा बाई राय को फिर उतारा। इस बार वह बीजेएस के अमर सिंह को हरा कर दूसरी बार सांसद चुनी गई। कांग्रेस ने 1977 के आम चुनाव में उन पर चौथी बार दांव लगाया लेकिन वह भारतीय लोकदल के नर्मदा प्रसाद राय के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

वर्ष 1984 के चुनाव में पूर्व सांसद राम प्रसाद अहिरवार को कांग्रेस के नंदलाल चौधरी से पराजय का सामना करना पड़ा तो 1989 के चुनाव में कांग्रेस के पूर्व सांसद नंदलाल चौधरी को भाजपा के शंकर लाल खटीक से पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने 1991 के चुनाव में आनंद अहिरवार को चुनाव मैदान में लेकिन उन्हें भी भाजपा के राम प्रसाद अहिरवार ने पराजित कर दिया।

भाजपा की ओर से वीरेंद्र कुमार 1996 में यहां से पहली बार सांसद बने। उन्होंने कांग्रेस ने पूर्व सांसद आनंद अहिरवार को शिकस्त दी। इसके बाद वीरेंद्र कुमार ने 1998 में पूर्व सांसद नंदलाल चौधरी, 1999 में नंदलाल चौधरी की बहू माधवी चौधरी को तथा 2004 में कांग्रेस के पूर्व विधायक उत्तम चंद खटीक को पराजित किया।

परिसीमन के बाद 2008 में यह सीट सामान्य वर्ग के लिए घोषित की गयी और 2009 के चुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक भूपेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री असलम शेर खान को चुनाव मैदान मे उतारा जिसमें खान को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा का यह सिलसिला 2014 के चुनाव में भी नहीं रुका। उसके उम्मीदवार पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण यादव ने कांग्रेस के पूर्व विधायक गोविंद सिंह राजपूत को पराजित किया।

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