भोपाल, 03 सितंबर ।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के बालाघाट और मंडला जिले में निम्मस्तरीय चावल राशन दुकानों के जरिए गरीबों में बांटे जाने से संबंधित संपूर्ण मामले की जांच आज आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) से कराने के आदेश दिए।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार श्री चौहान ने वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में यह निर्देश दिए। श्री चौहान ने कहा है कि घटिया चावल को राशन की दुकानों तक पहुंचाने वाले दोषियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। ईओडब्ल्यू मामले की जांच कर सच उजागर करेगा और दोषियाें के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्य में पिछले दो तीन दिनों से यह मामला काफी गर्माया हुआ है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस मामले को लेकर आरोप लगाए हैं, तो सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार के समय का यह मामला मौजूदा सरकार के कार्यकाल में उजागर हुआ है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
श्री चौहान ने कहा है कि उपभोक्ताओं को गुणवत्ताविहीन चावल प्रदाय करने का मामला गंभीर है। उन्हाेंने कहा कि इस वर्ष फरवरी माह में बालाघाट में मिल संचालकों से प्राप्त गुणवत्ताविहीन चावल को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांटने के मामले में पूर्व सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह गंभीर मामला है। इसमें विभिन्न स्तर पर सांठ-गांठ की भी आशंका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की जांच में जो तथ्य उजागर होंगे, दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। बालाघाट और मंडला जिलों के निरीक्षण के बाद गोदामों से चावल का प्रदाय और परिवहन बंद किया गया है। मिलिंग नीति के अनुसार गुणवत्ताविहीन चावल के स्थान पर मानक गुणवत्ता का चावल प्राप्त किया जाएगा। भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जाएगा।
चावल घोटाले की सीबीआई जांच होना चाहिए – अजय
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता अजय सिंह ने राज्य में निम्न गुणवत्ता वाला चावल गरीबों को बांटे जाने संबंधी मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है।
श्री सिंह ने एक बयान में कहा कि राज्य में ऐसा चावल गरीबों को वितरित किया गया, जो मनुष्य नहीं खा सकता है। यह आपराधिक कृत्य है और वे पहले की ही तरह आज भी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में कुछेक अधिकारियों के खिलाफ ही कार्रवाई की है, जो पर्याप्त नहीं है।