भोपाल, 22 अप्रैल । मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अपने प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब ये स्पष्ट हो गया है कि इस बार संसद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसे कद्दावर चेहरे नहीं दिखाई देंगे।
भाजपा ने इस बार श्रीमती महाजन के स्थान पर अपना गढ़ कही जाने वाली सीट इंदौर से इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है। श्री लालवानी का मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी से होगा। श्रीमती महाजन के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद इस सीट पर भाजपा को अपना प्रत्याशी तय करने में लंबा समय लगा।
भाजपा के ही दूसरे गढ़ विदिशा में श्रीमती स्वराज के उत्तराधिकारी के तौर पर पार्टी ने अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष रमाकांत भार्गव पर भरोसा जताया है। श्रीमती स्वराज भी लोकसभा चुनावों की घोषणा के पहले ही चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुकीं थीं। ऐसे में इस सीट पर भी पार्टी ने लंबी कवायद के बाद श्री भार्गव के नाम के तौर पर अपने पत्ते खोले। उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल से है।
प्रदेश का भोपाल संसदीय क्षेत्र इस बार अपने रोचक मुकाबले के चलते देश के उन चुनिंदा संसदीय क्षेत्रों में शामिल हो गया है, जिस पर 23 मई को मतगणना के दिन पूरे देश की नजरें रहेंगी। यहां से कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है। वर्ष 2003 में प्रदेश से कांग्रेस की विदाई के बाद से श्री सिंह पहली बार चुनावी राजनीति में उतर रहे हैं। उनका सामना देश भर में ‘हिंदुत्व’ के चेहरे के तौर पर उभरीं मालेगांव विस्फोट में कानूनी प्रक्रिया का सामना कर चुकीं भाजपा की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से है। हालांकि साध्वी प्रज्ञा अपने बयानों के चलते खुद को प्रत्याशी घोषित किए जाने के दिन से ही सुर्खियों में बनी हुई हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा पर कांग्रेस की ओर से श्री कमलनाथ की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र नकुलनाथ को सौंपी गई है। श्री नकुलनाथ के सम्मुख भाजपा ने इस सामान्य सीट पर आदिवासी नेता और पूर्व विधायक नत्थन शाह को उतारा है।
छिंदवाड़ा से सटे जबलपुर संसदीय क्षेत्र पर दोनों दलों के दो दिग्गज आमने-सामने हैं। यहां पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राकेश सिंह और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सीट इस बार भाजपा ने बदल कर उन्हें चंबल संभाग के मुरैना संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है। इसके पहले वे ग्वालियर से सांसद थे।
मुरैना संसदीय सीट पर उनका सामना कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री रामनिवास रावत से होने से ये सीट भी कड़े मुकाबले की साक्षी बनने वाली है।
मुरैना से सटे भिंड में कांग्रेस ने अपने सबसे कम उम्र के प्रत्याशी देवाशीष जरारिया (28) को उतारा है। महज कुछ महीने पहले बहुजन समाज पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए श्री जरारिया को हालांकि यहां से विरोध का सामना करना पड रहा है। उनका मुकाबला भाजपा की संध्या राय से होगा।
आदिवासी बहुल शहडोल संसदीय क्षेत्र पर दोनों दल दलबदलुओं के भरोसे अपनी नैय्या पार लगाने के प्रयास में हैं। कांग्रेस ने यहां से प्रमिला सिंह को उतारा है। श्रीमती सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से टिकट नहीं मिलने के कारण भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गईं थीं। वहीं भाजपा की प्रत्याशी हिमाद्री सिंह इस क्षेत्र से कद्दावर कांग्रेस नेता और सांसद रहे स्वर्गीय दलबीर सिंह और राजेश नंदिनी की बेटी हैं।
हिमाद्री सिंह के पिछले साल भाजपा के इस क्षेत्र के युवा नेता नरेंद्र मरावी से ब्याह कर लेने के बाद से हिमाद्री सिंह के भाजपा में जाने या नरेंद्र मरावी के कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाईं जा रहीं थीं। इसका पटाक्षेप हिमाद्री सिंह के भाजपा में आने से हुआ, जिसके कुछ ही घंटों के भीतर पार्टी ने उन्हें इस संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर दिया।
मंडला लोकसभा क्षेत्र पर भाजपा फिर से पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के सहारे है। उनका सामना कांग्रेस के कमल मरावी से होगा।
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