भोपाल 3 अप्रैल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मध्यप्रदेश राज्य मुकदमा प्रबंधन नीति-2018 को मंजूरी दी गई।
नीति के तहत मुकदमों के प्रभावी प्रबंधन, पर्यवेक्षण एवं संचालन के लिए राज्य-स्तरीय एवं विभाग स्तरीय सशक्त समितियों तथा जिला-स्तरीय मानिटरिंग समितियों का गठन किया जायेगा। शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों की शिकायतों के निराकरण के लिए जिला एवं राज्य-स्तर पर प्रत्येक विभाग में शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जायेगी। इस व्यवस्था द्वारा 8 सप्ताह के अंदर ऐसी शिकायतों का निराकरण सुनिश्चित किया जायेगा, जिससे अधिकारियों/कर्मचारियों को अपने सेवा नियमों संबंधी शिकायतों के निराकरण के लिए न्यायालय में नहीं जाना पडे़।
विभागों को व्यावसायिक रूप से सक्षम विधि अधिकारी उपलब्ध करवाने के लिए उनका एक नियमित संवर्ग विधि विभाग के नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण में विकसित किया जायेगा।
अपील प्रक्रिया सरल बनाते हुए शासकीय भूमियों एवं सम्पत्तियों से संबंधित मुकदमों में, जहाँ राज्य शासन के विरूद्व कोई आदेश अथवा निर्णय हुआ है, वहाँ संबंधित कलेक्टरों/जिला प्राधिकारियों को अपील के अधिकार दिये गये है। पुनर्विलोकन के लिए विधि विभाग की पृथक अनुज्ञा की आवश्यकता को समाप्त किया गया है।
वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को सुदृढ़ करते हुए इस नीति में मध्यस्थम एवं मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान के माध्यमों का अधिकाधिक उपयोग करने का प्रावधान किया गया है। छोटे एवं निष्फल हो चुके मुकदमों को चिन्हित कर उनकी वापसी के लिए एक दक्ष एवं प्रभावी प्रक्रिया स्थापित होगी, जिससे लंबित मुकदमों की संख्या में सारवान कमी होना संभावित है।
प्रबंधन नीति में मुकदमों में होने वाले विलम्ब के कारणों के सतत् पर्यवेक्षण एवं राज्य के पक्ष को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में लापरवाही के दोषी व्यक्तियों के विरूद्व त्वरित एवं समुचित कार्यवाही के प्रावधान किये गये हैं।
उपरोक्त के अतिरिक्त प्रकरणों के प्रभावी प्रबंधन के लिये राज्य/विभागीय/जिला-स्तर पर प्रशासकीय व्यवस्थाओं को अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण बनाने के लिये अनेक प्रावधान किये जा रहे हैं। शासकीय विधि अधिकारियों, अधिवक्ताओं, अभियोजकों एवं प्रकरणों के प्रभारी अधिकारियों के कार्य एवं दायित्वों को अधिक स्पष्ट बनाने तथा उनकी कार्य-प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिये भी दिशा-निर्देश बनाये जायेंगे।
चुनाव कार्य के लिए 1642 पद निर्माण की मंजूरी
मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रतिबंधों को शिथिल कर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के लिए 84 पद, जिला निर्वाचन कार्यालयों के लिए 408 तथा रिटर्निंग आफिसर कार्यालयों के लिए 1150 पद कुल 1642 पदों की एक दिसंबर 2017 से 28 फरवरी 2019 तक निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर इन पदों को भरने की अनुमति दी गयी।
मंत्रि-परिषद ने पशुपालन विभाग के तहत ‘बडे पशुओं की उत्प्रेरण योजना’ और ‘छोटे पशुओं एवं पक्षियों की उत्प्रेरण योजना ‘ को एक अप्रैल 2017 से आगामी 3 वर्ष तक निरंतर रखने की अनुमति दी।
इसी प्रकार, मंत्रि-परिषद ने एमपीएसआईडीसी के कर्जदारों के भुगतान के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 से वर्ष 2018-19 में कुल राशि 44 करोड़ 32 लाख रूपये का व्यय अनुमानित करते हुये योजना का क्रियान्वयन इस अवधि के लिए निरंतर रखने का निर्णय लिया है।
मंत्रि-परिषद ने केन्द्रीय जेल भोपाल में सुरक्षा के लिए हाईसिक्युरिटी यूनिट के तहत 120 पदों के सृजन की मंजूरी दी। मंत्रि-परिषद ने लहसुन फसल के लिए वर्ष 2018-19 में भावांतर नीति लागू करने का निर्णय लिया।
मंत्रि-परिषद द्वारा इंदौर प्रेस क्लब परिसर को लोक निर्माण विभाग की पुस्तिका में विभाग के स्वामित्व का भवन मानते हुए अंकित करने का भी निर्णय लिया गया। इसमें कुल क्षेत्रफल 2281.08 वर्ग मीटर तथा कुल बिल्टअप एरिया 1634.20 वर्ग मीटर एवं अस्थायी शेड 400 वर्ग मीटर मान्य करते हुए सम्पूर्ण बिल्टअप एरिया को शामिल किया गया है।
अब प्रेस क्लब उल्लेखित भूमि के अतिरिक्त किसी अन्य भूमि पर अतिक्रमण अथवा दावा नहीं कर सकेगा। उपरोक्त उल्लेखित भवनों के संधारण की जिम्मेदारी प्रेस क्लब की होगी। भवन का किराया एक अप्रैल 2018 के बाद बाजार दर से निर्धारित होने वाले किराये का 10 प्रतिशत होगा।attacknews.in