भोपाल 30 मार्च। मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार का शासन है या रेत माफिया का? यह सवाल बहुत अहम हो चुका है. खुद मुख्यमंत्री पर आरोप लग रहे हैं कि उनके रिश्तेदार ही रेत माफिया के साझेदार हैं.
शिवराज सिंह चौहान सरकार के ‘सुशासन’ का आलम यह है कि ऐसी घटनाएं उन इलाकों में ज्यादा हो रही हैं, जहां से रसूखदार नेता निर्वाचित होते आ रहे हैं.
भिंड जिले में स्टिंग ऑपरेशन के जरिए रेत माफिया और पुलिस के गठजोड़ का खुलासा करने वाले एक निजी समाचार चैनल के पत्रकार संदीप शर्मा की ट्रक से कुचलकर हुई मौत कई सवाल खड़े कर रही है. पत्रकार संगठनों से लेकर बुद्धिजीवी और विरोधी दलों के नेता छाती पीट-पीटकर सरकार को कोस रहे हैं और इस घटना को ‘पत्रकार की हत्या’ करार दे रहे हैं.
सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश का एलान कर आक्रोश की आग पर पानी डालने का प्रयास किया है. मगर सवाल उठ रहा है कि आखिर यह सिलसिला कब रुकेगा? कभी रुकेगा भी, इसमें हर किसी को संदेह है.
वरिष्ठ पत्रकार का कहना है, “राज्य में इस समय सरकार पर रेत माफिया हावी हो चुका है. नर्मदा हो, केन या चंबल नदी, यहां खनन पर रोक है, मगर क्या मजाल कि रेत का अवैध खनन करने वालों को कोई रोक ले. इसकी मूल वजह राजनीतिक संरक्षण और पुलिस की हिस्सेदारी है. यही कारण कि माफिया के वाहन चालक किसी को भी कुचलने, उस पर गोली चलाने से नहीं चूकते. बड़ी वारदातें तो सामने आ जाती हैं, मगर छोटे स्थान पर होने वाली ऐसी घटनाओं पर तो कोई गौर ही नहीं करता. सिपाही पर हमला, वनरक्षक से मारपीट, खनिज निरीक्षक को धमकाना तो आम हो चला है.”
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पत्रकार शर्मा की मौत की घटना पर दुख जताया है और इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश का एलान भी किया है.
रेत माफियाओं के हौसले की बात करें तो सबसे पहले याद आती है मुरैना जिले में पदस्थ प्रशिक्षु आईपीएस नरेंद्र कुमार की. लगभग पांच साल पहले होली के दिन उन्होंने रेत से भरे एक ट्रैक्टर को जब रोकने की कोशिश की थी तो चालक ने उन्हें ही रौंद दिया था. देश में शायद यह पहला ऐसा मामला था, जब आईपीएस अधिकारी को कुचलकर मारा गया हो. नवविवाहित नरेंद्र कुमार की हत्या के ठीक तीन साल बाद अप्रैल, 2015 में नूराबाद थाना क्षेत्र के आरक्षक धर्मेद्र सिंह चौहान ने एक रेत भरे डंपर को रोकने की कोशिश की, तो चालक ने उसे रौंद दिया, नतीजतन उसकी मौत हो गई. इसी तरह ग्वालियर क्षेत्र में वनरक्षक नरेंद्र शर्मा को भी रेत भरे वाहन को रोकने की कोशिश की तो उन्हें इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी.
एक तरफ ग्वालियर-चंबल में यह हाल है, तो दूसरी ओर नर्मदा नदी के तट पर बसे जिलों में भी यही कुछ हो रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज के गृह जिले सीहोर में जिस किसी अफसर ने रेत माफियाओं पर कार्रवाई की, उसे तुरंत स्थानांतरित कर दिया गया. ऐसे ही एक मामले में एक महिला अधिकारी के साथ भी बदसलूकी हुई थी.
छतरपुर जिले के राजनगर में तैनात प्रशिक्षु महिला आईएएस अधिकारी सोनिया मीणा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे खनन माफिया ने धमकाया था. तब वह वहां एसडीएम के पद पर थीं. उन्होंने फरवरी, 2017 में एक खनन माफिया अर्जुन सिंह बुंदेला के वाहन जब्त किए थे, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा था. छतरपुर जिले में होने वाले अवैध रेत खनन पर माफियाओं के बीच गोलीबारी आम हो चली है. यहां के सत्ताधारी दल के विधायक आरडी प्रजापति ने इन मामलों को विधानसभा में उठाया था, धरना दिया था और अनशन तक कर चुके हैं, फिर भी रेत माफियाओं का कुछ भी नहीं बिगड़ा.
राज्य में सबसे ज्यादा अवैध खनन मुरैना, भिंड, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी, सतना, कटनी, अशोकनगर, छतरपुर, पन्ना, सीहोर, रायसेन, नरसिंहपुर और दमोह में हो रहा है. ये वे इलाके हैं, जहां से रसूखदार नेता निर्वाचित होते आए हैं. यही कारण है कि इन्हीं जिलों में से कुछ में सरकारी कर्मचारियों पर हमले और हत्याएं हुई हैं.
कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है, “राज्य में रेत और अन्य माफिया समानांतर सरकार चला रहे हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि माफियाओं के धंधे में साझेदार हैं मुख्यमंत्री और मंत्रियों के रिश्तेदार. जब कोई सत्ताशीर्ष परिवार से जुड़ा व्यक्ति ही अवैध खनन करेगा, तो किस पुलिस अफसर में हिम्मत है कि उसे पकड़ सके. यही कारण है कि जो माफिया को रोकता है वह या तो जान से हाथ धो देता है या विभागीय दंड का भागीदार बनता है.”attacknews.in
राज्य में शराब और वन माफिया के अलावा सबसे ताकतवर रेत माफिया हो चला है. कहने को नदियों से रेत निकालने पर रोक लगी हुई है, इसी बहाने माफिया अवैध खनन करके रेत भवन निर्माताओं को पहुंचा रहे हैं और उनसे मोटी रकम वसूल रहे हैं. राज्य के कई इलाके ऐसे हैं, जहां रात में बेतहाशा भागते वाहन अवैध कारोबार का खुलासा करने के लिए काफी है. इन्हें पकड़ना तो दूर, रोकने तक का कोई साहस नहीं कर पाता। अब आने वाले दिनों में किस अफसर, किस पत्रकार की जान पर बन आएगी कौन जाने.
रेत माफिया ने भिंड में पत्रकार को ट्रक से कुचला
मध्य प्रदेश में अवैध खनन की पड़ताल कर रहे पत्रकार को ट्रक से कुचला. पत्रकार को अपनी जान पर खतरे का अंदेशा था, उसने इसकी जानकारी पुलिस को भी दी थी.
मध्य प्रदेश के भिंड में पत्रकार संजीव शर्मा को पहले ट्रक ने पीछे से टक्कर मारी और फिर उन्हें कुचलता हुआ आगे बढ़ गया. संदीप को कुचलने के दौरान ट्रक सड़क से थोड़ा बाहर भी गया और फिर तेजी से टर्न लेता हुआ सड़क पर लौट आया. इस घटना का वीडियो भी रिकॉर्ड हुआ है.
मध्य प्रदेश का भिंड मुरैना इलाका रेत माफिया, खनन और डकैती के लिए बदनाम है. 35 साल के संजीव इलाके में रेत के अवैध खनन की रिपोर्टिंग कर रहे थे. बीते कुछ हफ्तों से वह रेत माफिया और पुलिस की साठगांठ की पड़ताल कर रहे थे. उनकी रिपोर्टिंग के बाद आरोपों से घिरे एक पुलिस अधिकारी का तबादला भी कर दिया गया था.
एक नेशनल न्यूज चैनल के लिए काम करने वाले संजीव को पुलिस स्टेशन से कुछ ही मीटर की दूरी पर कुचला गया. हादसे के वक्त संजीव मोटरसाइकिल पर सवार थे. पुलिस अब ट्रक ड्राइवर की तलाश कर रही है.
भिंड मुरैना के इलाके में पहले भी रेत और खनन माफिया कई अपराध कर चुके हैं. कुछ घटनाओं में माफिया ने अधिकारियों पर भी हमले किए. मध्य प्रदेश में खनन माफिया के चलते एक नदी तक सूख चुकी है. attacknews.in
सुशासन का दावा करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2005 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं. उनके ही कार्यकाल में खनन माफिया बेलगाम हुआ है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता बताते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का एलान किया है. लेकिन मध्य प्रदेश के पत्रकार मुख्यमंत्री के इस दावे पर यकीन नहीं कर रहे हैं.
भिंड प्रेस क्लब के अध्यक्ष सत्य नारायण शर्मा के मुताबिक, संजीव “एक निर्भीक पत्रकार थे जो खनन माफिया के खिलाफ रिपोर्टें फाइल कर रहे थे. कुछ महीने पहले उन्होंने जिस पुलिस अधिकारी का पर्दाफाश किया, उससे उन्हें धमकियां मिल रही थीं और जान पर खतरे की जानकारी उन्होंने एसपी को भी दी. शक इस बात से भी हो रहा है कि डंपर खाली था.”attacknews.in