खरगोन, 30 मार्च । मध्यप्रदेश की खरगोन (अनुसूचित जनजाति) लोकसभा सीट पर अब तक हुए कुल 17 चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की तरह ही सात बार जीत हासिल की लेकिन उसने पिछले 10 में से सात चुनाव जीत कर अपना दबदबा कायम कर रखा है।
वर्तमान में यहां से भाजपा के सुभाष पटेल सांसद हैं। यहां से जनसंघ के दो बार और जनता पार्टी के उम्मीदवार एक बार विजयी रहे हैं। इस सीट में आने वाली महेश्वर विधानसभा ना केवल सांस्कृतिक और पर्यटन बल्कि ऐतिहासिक तौर पर भी काफी अहमियत रखती है। महेश्वर का हथकरघा उद्योग विश्व भर में प्रसिद्ध है। बाजार से प्रभावित होने के चलते इस उद्योग को नरमी का सामना करना पड़ रहा है। नर्मदा की नगरी महेश्वर में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं। नर्मदा के महेश्वर स्थित ऐतिहासिक घाट भारतीय संस्कृति से जुड़े लोगों समेत विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।
वर्ष 1951-52 में हुए पहले आमचुनाव में यह सीट मध्य भारत के अंतर्गत निमाड़ एक के नाम से पहचानी जाती थी। तब कांग्रेस के बैजनाथ महोदय ने सोशलिस्ट दत्तात्रेय भोपे को पराजित किया था। वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश के गठन के बाद 1957 के आम चुनाव में कांग्रेस के ही राम सिंह वर्मा ने जनसंघ के रामचंद्र बड़े से जीत हासिल की, किंतु 1962 में जनसंघ के रामचन्द्र बड़े ने इंदौर के कांग्रेस नेता तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कन्हैया लाल खादीवाला को पराजित कर पहली बार जीत हासिल की। पेशे से वकील श्री बड़े 1962 में जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेई के अलावा लोकसभा चुनाव जीतने वाले केवल दूसरे उम्मीदवार थे।
इसके उपरांत 1967 में कांग्रेस ने पुनः यह सीट छीन ली। दिल्ली निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शशि भूषण वाजपेई ने श्री बड़े को पराजित किया। इसके बाद श्री वाजपेई के क्षेत्र में सक्रिय नहीं होने का नुकसान कांग्रेस को हुआ और श्री बड़े ने 1971 में कांग्रेस के अमोलकचंद छाजेड़ को पराजित कर पुनः सीट हासिल कर ली।
आपातकाल के बाद 1977 में विपक्ष ने अपने संयुक्त उम्मीदवार रामेश्वर पाटीदार को जनता पार्टी से टिकट दी, जिन्होंने कांग्रेस के सुभाष यादव को पराजित किया। इसके बाद सुभाष यादव ने लगातार 1980 और 1984 में रामेश्वर पाटीदार को पराजित कर ये सीट कांग्रेस के खाते में डाली । रामेश्वर पाटीदार ने अगले चार चुनाव 1989, 1991, 1996 तथा 1998 जीतकर यहां भाजपा को अजेय सा बना दिया ।
सन 1999 में कांग्रेस के ताराचंद पटेल ने भाजपा के बालकृष्ण पाटीदार को हराकर भाजपा का विजय रथ रोक दिया, लेकिन 2004 में भाजपा के कृष्ण मुरारी मोघे ने ताराचंद पटेल को शिकस्त दे डाली। हालांकि ‘लाभ का पद’ के मसले पर अयोग्य घोषित हुए श्री मोघे को इस्तीफा देना पड़ा। इसके चलते 2007 में हुए उपचुनाव में सुभाष यादव के पुत्र अरुण यादव ने श्री मोघे को पराजित कर दिया।
साल 2009 में परिसीमन के चलते खरगोन लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई और भाजपा के माकन सिंह सोलंकी ने कांग्रेस के बाला बच्चन को पराजित कर सीट छीन ली। पिछले चुनाव में यहां से सुभाष पटेल संसद तक पहुंचे।
खरगोन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत खरगोन की चार विधानसभा खरगोन, कसरावद, भगवानपुरा, महेश्वर तथा बड़वानी जिले की बड़वानी, राजपुर, सेंधवा तथा पानसेमल शामिल हैं। वर्तमान में इनमें से सात पर कांग्रेस और एकमात्र बड़वानी पर भाजपा काबिज है। इस सीट पर सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है।
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