इंदौर, 21 अक्टूबर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने बहुचर्चित हनीट्रैप मामले को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं की सुनवायी में मुख्यतः चार बिंदुओं पर एक अंतरिम आदेश आज जारी किया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के अनुसार हनीट्रैप मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अथवा अन्यंत्र सक्षम संस्था से कराए जाने और प्रकरण की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख को तीन बार बदले जाने और मामले में मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से सामने आ रहे हाईप्रोफाइल लोगों के नाम के चलते जांच प्रभावित होने जैसी आशंकाओं को आधार बनाकर दो अलग अलग याचिकाएं दायर की गयीं थीं।
अदालत ने इसके पहले की सुनवायी में दोनों ही याचिकाओं को एक जैसी प्रकृति का पाते हुए दोनों की एक साथ सुनवायी किये जाने का निर्णय लिया था। इसके मद्देनजर अदालत ने राज्य शासन को 4 अक्टूबर को नोटिस जारी कर 21 अक्टूबर तक हनीट्रैप प्रकरण की ‘स्टेटस रिपोर्ट’ तलब की थी।
न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायाधीश शैलेन्द्र शुक्ला ने आज शासन द्वारा बन्द लिफाफे में प्रस्तुत ‘स्टेटस रिपोर्ट’ का निरीक्षण कर रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया। अदालत ने कहा कि एसआईटी प्रमुख को बदले जाने के संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी न्यायालय को नहीं दी गयी। लिहाजा न्यायालय ने आदेश दिया है कि भविष्य में अब एसआईटी प्रमुख को न बदला जाए, दूसरा राज्य शासन पुनः एक व्यापक स्टेटस रिपोर्ट आगामी 15 दिवस में पेश करे।
अदालत ने साथ ही अपने आदेश में कहा है कि बतौर जांच अधिकारी (आईओसी) न्यायालय में प्रस्तुत करने वाले पुलिस अधीक्षक का अन्यंत्र जगह तबादला न किया जाए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रकरण की वर्तमान में जांच कर रही एजेंसी प्रकरण के अनुसंधान के तहत एकत्र किए गए साक्ष्यों की सक्षम प्रयोगशाला से जांच कराए और इस संबंध में प्राप्त जांच रिपोर्ट से न्यायालय को भी अवगत कराएं।
इससे पहले एक अक्टूबर को तीसरी बार राज्य शासन ने हनीट्रैप मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी में फेरबदल कर भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी राजेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में इंदौर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रुचि वर्धन मिश्र को बतौर सदस्य नियुक्त किया था।