इंदौर, 23 अक्टूबर । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने राज्य लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) के अध्यक्ष सहित तीन पदाधिकारियों के खिलाफ यहां कुछ माह पहले अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पुलिस द्वारा दर्ज किये गए एक प्रकरण को ख़ारिज करने के आदेश दिए हैं।
राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि एमपीपीएससी के अध्यक्ष डॉ भास्कर चौबे, तत्कालीन सचिव रेणु पंत और एक अन्य की ओर से उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई पूरी कर न्यायाधीश एस सी शर्मा ने कल अपना फैसला सुनाया।
अदालत ने अपने फैसले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण थाना इंदौर उप पुलिस अधीक्षक के द्वारा इन तीनों आवेदकों के विरुद्ध अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 15 जनवरी 2020 को दर्ज प्रकरण को ख़ारिज करने के आदेश दिए हैं।
आयोग की ओर से आयोजित राज्य प्रारम्भिक परीक्षा 2019 के दौरान भील समुदाय को लेकर प्रश्न पूछा गया था। इस मामले को लेकर हुए विवाद के बीच तीनों के खिलाफ इस अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था।
जनवरी 2020 में आयोग ने राज्य प्रारम्भिक परीक्षा 2019 आयोजित की थी। इसी परीक्षा का दूसरा प्रश्नपत्र 12 जनवरी को आयोजित हुआ था, जिसमें भील समुदाय को लेकर प्रश्न किया गया था।
अनेक सामाजिक संगठनों के विरोध के बीच कुछ लोगों की शिकायत पर पुलिस ने आयोग के तीनों पदाधिकारियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया था।
अदालत ने अपने आदेश में माना कि भील समुदाय की भावनाओं का पूरा सम्मान है, लेकिन इस मामले में अपराध दर्ज करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
मामले में चौतरफा विरोध के चलते आयोग ने पांचों विवादित प्रश्नों को विलोपित कर दिया था।