भोपाल, 22 मार्च । मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति से अपेक्षा की है कि जब तक उनके (श्री प्रजापति के) विरुद्ध प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में निर्णय नहीं लिया जाता है, तब तक वे संविधान, विधानसभा नियमावली एवं नैतिकता के आधार पर प्रत्येक विषय की वैधानिक स्थिति का परीक्षण कर कार्य करेंगे।
श्री टंडन ने विधानसभा सचिवालय के संबंध में राजभवन को 20 और 21 मार्च को प्राप्त पत्रों के संदर्भ में कल देर रात एक पत्र लिखा है, जिसमे अध्यक्ष से यह अपेक्षा की गयी है।
राज्यपाल ने उन्हें मिले पत्रों का संदर्भ देते हुए कहा है कि उनके (अध्यक्ष के) खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा सचिवालय में लंबित है। प्रस्ताव पर कार्यवाही विधायिका का कार्य है, इसलिए सदन की बैठक आहूत होने पर इस प्रस्ताव पर प्राथमिकता से आवश्यक कार्यवाही होना चाहिए। तब तक विधानसभा के प्रमुख सचिव, अध्यक्ष के निर्देशानुसार सामान्य दैनंदिन कार्य संपादित करेंगे।
इसके पहले कल देर शाम पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अध्यक्ष श्री प्रजापति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए भाजपा विधायक शरद कौल का दबाव में लिखवाया गया त्यागपत्र स्वीकार करने का दबाव विधानसभा के अधिकारियों पर डाल रहे हैं। जबकि श्री कौल ने दबाव में लिखवाया गया त्यागपत्र स्वीकार होने के पहले ही 16 मार्च को इस कथित त्यागपत्र को स्वीकार नहीं करने का अनुरोध विधानसभा सचिवालय से किया है।
राज्यपाल ने अध्यक्ष श्री प्रजापति को पत्र में लिखा है ‘मुझे नेता प्रतिपक्ष से 21 मार्च को एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में ना तो सदन में नेता है और ना ही सदन कार्यशील है। ऐसी स्थिति में जब सदन प्रसुप्त (स्लीपिंग) अवस्था में है तो अध्यक्ष द्वारा नीतिगत निर्णय नहीं लिए जाना चाहिए, जिनसे किसी का हित अथवा अहित हो। परंतु प्रतिदिन राजनैतिक भावना से ग्रसित निर्णय लिए जा रहे हैं, जो सामान्यजन के हितों को विपरीत रूप से प्रभावित कर रहे हैं। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि विधानसभा सचिवालय में विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुयी है।’
श्री टंडन ने श्री प्रजापति को लिखा है ‘एक अन्य पत्र दिनांक 20 मार्च में अनेक तथ्यों का उल्लेख करते हुए यह व्यक्त किया गया है कि बीजेपी के विधायक श्री शरद कौल के द्वारा प्रस्तुत त्यापगत्र स्वीकार होने के पूर्व विधानसभा नियमावली के अनुसार त्यागपत्र वापस लिए जाने के उपरांत भी उनके त्यागपत्र को स्वीकार करने की अवैधानिक प्रक्रिया अपनायी जा रही है। इसी पत्र में निवेदन किया गया है कि भारत के संविधान के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाए, जिससे संवैधानिक मूल्यों एवं प्रजातांत्रिक मान्यताओं का पालन सुनिश्चित हो।’
राज्यपाल ने अध्यक्ष को लिखा है ‘उपरोक्त अनुसार उल्लेखित दोनों पत्रों की प्रति आपके अवलोकनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु संलग्न प्रेषित है।’
पत्र में एक समाचारपत्र में प्रकाशित संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अभिमत का जिक्र करते हुए उसकी प्रति भी अध्यक्ष को भेजी गयी, जिसमें कहा गया है कि परंपरा अनुसार सत्ता से बेदखल होने पर उस पार्टी से चुने गए स्पीकर तथा उपाध्यक्ष को त्यागपत्र दे देना चाहिए।