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मध्यप्रदेश में पुरुषों की नसबन्दी कमलनाध सरकार का संकट बनी,आदेश तो वापस ले लिया लेकिन मंत्री ने कह दिया:इस आदेश से डरने की जरुरत नहीं है,छोटा परिवार जरूरत है attacknews.in

भोपाल, 21 फरवरी ।मध्यप्रदेश सरकार ने पुरुष नसबंदी को लेकर दस दिन पहले जारी किये गए आदेश को विवाद उठने के चलते आज रद्द कर दिया।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य संचालक की ओर से आज जारी किए गए आदेश के जरिये 11 फरवरी को जारी किये गए आदेश को रद्द किया गया।पुराने आदेश में पुरुष नसबंदी को लेकर लक्ष्य हासिल नहीं करने पर संबंधित बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता का वेतन रोकने या फिर सेवानिवृति की चेतावनी देते हुए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया था।

कर्मचारियों को डरने की जरुरत नहीं – शर्मा

इसी बीच मध्यप्रदेश में पुरुष नसबंदी को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की राज्य संचालक की ओर से लिखे गए पत्र को लेकर उठे विवाद के बीच आज राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने कहा कि संबंधित कर्मचारियों को डरने की जरुरत नहीं है।

श्री शर्मा ने यहां मीडिया से कहा कि यह रुटीन आदेश है। परिवार नियोजन को लेकर आज देश में सभी सजग हैं और सभी छोटा परिवार चाहते हैं। ताकि संतानों की परवरिश बेहतर ढंग से हो सके। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को डरने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें अपना कार्य और तन्मयता तथा ईमानदारी से करना चाहिए।

शिवराज ने एमपीएचडब्ल्यू मामले में उठाए सवाल

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एमपीएचडब्ल्यू) से जुड़े मामले में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर आज सवाल उठाते हुए तीखा हमला किया है।

श्री चाैहान ने इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से नसबंदी को लेकर 11 फरवरी को जारी किए गए पत्र को ट्वीट के साथ संलग्न करते हुए सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि क्या मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल की स्थिति है।

श्री चौहान ने ट्वीट में लिखा है कि क्या ये कांग्रेस का ‘आपातकाल पार्ट टू’ है। उन्होंने कहा कि एमपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी है तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत करने का निर्णय तानाशाही है।

स्वास्थ्य संचालक ने दिये थे यह निर्देश:

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मध्यप्रदेश संचालक की ओर से जारी इस पत्र में वर्ष 2019 20 के दौरान पुरुष नसबंदी की असंतोषजनक प्रगति का जिक्र करते हुए कहा गया है कि राज्य में मात्र 0़ 5 प्रतिशत पुरुषों द्वारा ही नसबंदी अपनायी जा रही है। इसमें निर्देश दिए गए हैं कि एमपीडब्ल्यू द्वारा न्यूनतम पांच से दस पुरुष नसबंदी के इच्छुक हितग्राहियों का ‘मोबिलाइजेशन’ निर्धारित पुरुष नसबंदी की स्थायी सेवा दिवस या केंद्रों पर सुनिश्चित की जाए।

पत्र में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे सभी एमपीडब्ल्यू का चिन्हांकन किया जाए, जिनके द्वारा वित्त वर्ष 2019 20 में एक भी पात्र पुरुष नसबंदी हितग्राही का ‘मोबिलाइजेशन’ नहीं किया गया हो। तथा ‘शून्य वर्कआउट’ के मद्देनजर ‘नो वर्क नो पे’ के आधार पर इन सभी के वेतन पर तब तक रोक लगायी जाए, जब तक न्यूनतम एक पुरुष नसबंदी के इच्छुक हितग्राही का ‘मोबिलाइजेशन’ सुनिश्चित न हो।

पत्र में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि 20 फरवरी तक सुधार परिलक्षित नहीं होने पर समस्त अक्रियाशील एमपीडब्ल्यू के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के प्रस्ताव जिला कलेक्टर के माध्यम से राज्य स्तर पर मिशन संचालक को प्रेषित किया जाए, ताकि आगामी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रस्ताव संचालनालय स्तर पर प्रेषित किए जा सकें।

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