भोपाल, 18 दिसंबर । मध्यप्रदेश विधानसभा में आज वित्त वर्ष 2019-20 के पहले अनुपूरक बजट को पेश किया गया, जिसमें 23 हजार तीन सौ उन्नीस करोड़ रूपयों से अधिक धनराशि का प्रावधान किया गया है।
वित्त मंत्री तरुण भनोत की ओर से पेश किए गए अनुपूरक बजट में प्राकृतिक आपदाओं एवं सूखाग्रस्त क्षेत्रों में राहत पर व्यय के लिए सबसे अधिक तेरह हजार तीन सौ 85 करोड़ रूपयों का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में दो हजार एक सौ 30 करोड़ रूपयों का और लोक निर्माण कार्य (सड़कें और पुल) के लिए लगभग छह सौ करोड़ रूपयों का प्रावधान किया गया है।
अनुपूरक बजट में उच्च शिक्षा के लिए 226 से अधिक करोड़ रूपयों का और स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा) के लिए लगभग 1600 करोड़ रूपयों का बजट प्रावधान किया गया है।
अनुपूरक बजट पर चर्चा सदन में गुरूवार को होगी और इसके बाद इसके पारित होने की संभावना रहेगी।
एक साल में लगभग 19 हजार करोड़ रुपयों का ऋण लिया मध्यप्रदेश सरकार ने:
मध्यप्रदेश विधानसभा में आज वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि राज्य सरकार ने एक वर्ष के दौरान अठारह हजार आठ सौ दस करोड़ रुपयों का ऋण लिया है।
श्री भनोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य भूपेंद्र सिंह के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने दिसंबर 2018 से 04 दिसंबर 2019 तक 21 बार में कुल 18 हजार आठ सौ दस करोड़ रुपयों का बाजार ऋण लिया है। बाजार ऋण के अतिरिक्त अन्य ऋणों के संबंध में महालेखाकार से अंकेक्षित आंकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं।
उन्होंने बताया कि किसान कर्जमाफी सहित सभी योजनाओं के लिए बजट प्रावधान वर्ष 2019-20 के बजट में किया गया है। फसल ऋण माफी योजना के लिए 8000 करोड़ रुपयों का बजटीय प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि आकस्मिक निधि तथा रिजर्व फंड के नियमों में हाल में कोई संशोधन नहीं किए गए हैं। निराश्रित निधि में संशोधन करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
अब सिंचाई पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष होगा:
विधानसभा ने आज मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2019 सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा ने यह विधेयक विधानसभा में आज ही प्रस्तुत किया था। बाद में इस पर चर्चा भी हुयी। चर्चा उपरांत इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
किसान कर्जमाफी को लेकर भाजपा ने किया बहिर्गमन:
मध्यप्रदेश विधानसभा में आज किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल और विपक्षी सदस्यों के बीच नोंकझोंक की स्थिति के बीच विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने सरकार के उत्तर पर असंतोष जताते हुए बहिर्गमन किया।
प्रश्नकाल के दौरान भाजपा के विश्वास सारंग ने होशंगाबाद जिले में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने अपने वादे के अनुरूप किसानों के कर्ज माफ नहीं किए हैं।
सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार ने किसानों के कर्ज माफ किए हैं और शेष किसानों के कर्ज भी माफ किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया चल रही है।
इस बात को लेकर विपक्षी दल के सदस्य एकसाथ बोलने लगे। वहीं सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने भी विपक्षी दल के सदस्यों की बातों का प्रतिकार किया। दोनों पक्षों के सदस्यों के एकसाथ बोलने पर सदन में शोरगुल बढ़ गया और एक अवसर पर साफतौर पर कुछ भी सुनायी नहीं दिया।
अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने सदस्यों को किसी तरह शांत कराया। इसके बाद मंत्री डॉ सिंह ने विस्तार से उत्तर देना प्रारंभ किया। विपक्षी दल के सदस्य एक बार फिर एकसाथ बोलने लगे। विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने कहा कि सरकार ने किसानों के दो लाख रुपयों तक के कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सरकार के किसान विरोधी होने का भी आरोप लगाया। इसके साथ ही श्री भार्गव की घोषणा पर भाजपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
प्रजापति ने दी मंत्री तोमर को चेतावनी:
मध्यप्रदेश विधानसभा में आज अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने प्रश्नकाल के दौरान व्यवधान उत्पन्न करने के कारण खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को चेतावनी दी।
प्रश्नकाल के दौैरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना को लेकर पूरक प्रश्र किए। इसी दौरान श्री तोमर अपने स्थान पर खड़े होकर तीखे तेवर दिखाकर बोलने लगे। अध्यक्ष ने मंत्री से शांत रहने के लिए कहा। बार बार के अनुरोध के बावजूद मंत्री शांत नहीं हुए। इस पर अध्यक्ष ने श्री तोमर को चेतावनी देते हुए कहा कि उनके चेहरे और भाषा के जो भाव हैं, वह उचित नहीं हैं। यह सदन है, कोई सभा नहीं है।
श्री प्रजापति ने इस दौरान कहा कि यह उनके लिए अंतिम चेतावनी है। अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री से मंत्रियों को व्यवस्थित करने के लिए भी कहा। इसी प्रश्र के दौरान कुछ देर के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच आरोप प्रत्यारोप और नोंकझोंक भी चली।
इसके पहले श्री चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना के तहत उच्च शिक्षा के लिए संबंधित विद्यार्थियाें को मदद मुहैया नहीं करायी जा रही है। उन्होंने इस संबंध में सरकार से सवाल भी किए।