भोपाल 27 मई। कक्का जी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2012 में भारतीय किसान संघ के प्रदेश प्रमुख से हटा दिया था. इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि बरेली में एक विरोध के दौरान राज्य सरकार ने मुझे खत्म करने की साजिश रची, मुझे जेल भेजा और 12 मामले लगाए गए जिसमें धारा 307 भारतीय दंड संहिता भी शामिल है. मुझे तकरीबन 55 बार सलाखों के पीछे रखा गया. इसी सब के चलते मैंने सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खाई है.
भारतीय किसान संघ आरएसएस समर्थित संगठन होने के बावजूद कक्का जी उस दौरान भी राज्य सरकार के खिलाफ अपने विचारों के बारे में बेहद मुखर रहे हैं.
एक जून से प्रस्तावित किसान आंदोलन के बारे में बात करते हुए किसान नेता शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने बातचीत में आरोप लगाया कि 0% ब्याज पर कृषि ऋण जैसे उपायों से किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि किसान सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं।
कक्का जी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के उस आंकड़े को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि 14 वर्षों में 36,000 किसानों ने मध्य प्रदेश में आत्महत्या की. उन्होंने कहा यदि विस्तार से जांच की गई है, तो यह आंकड़ा लगभग 60,000 हो सकता है।
उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने धार गांव में 700 किसानों के एक समूह से बात की तो उनमें से किसी भी किसान ने नहीं कहा कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक और कार्यकाल के लिए समर्थन देंगे. नेता का दावा है कि मध्य प्रदेश के किसानों को अत्यधिक पीड़ा दी गई है और नहीं चाहते कि मुख्यमंत्री शिवराज सत्ता में रहे।
मध्य प्रदेश सरकार किसानों को भले ही ‘अधिकतम लाभ’ देने पर जोर दे रही हो लेकिन कक्का जी ने दावा किया कि सरकार द्वारा पेश किए गए सभी योजनाएं सिर्फ एक छलावा हैं. कक्का जी ने कहा कि और वे शिवराज सरकार को मध्य प्रदेश से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
‘गांव बंद’ होगा आंदोलन का प्रारूप
मध्य प्रदेश में पिछले साल आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के लिए भारतीय किसान संघ और एमपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कक्का जी ने दावा किया कि उन्होंने इस बार आंदोलन के प्रारूप को बदल दिया है.
उन्होंने कहा कि, ‘यह एक गांव बंद है जहां किसान दस दिनों तक अपने उत्पादों को बेचने के लिए कस्बों और शहरों में आना बंद कर देंगे, इसलिए कानून और व्यवस्था की कोई समस्या ही नहीं होगी.
उन्होंने जनता के लिए असुविधा पैदा करने की कोई योजना नहीं होने का दावा किया. उन्होंने कहा कि यह एक सार्वजनिक आंदोलन है.
आंदोलन में हिंसा के लिए भाजपा-आरएसएस दोषी
पिछले साल हिंसा शुरू करने के लिए भाजपा-आरएसएस को दोषी ठहराते हुए कक्का जी ने दावा किया कि उनके विरोध में 47 साल का अनुभव है और वह इस बात के आधार पर कह सकते हैं कि सरकार में बैठे लोगों को आंदोलन दबाने के लिए वे प्रदर्शनकारियों से हिंसा को उत्तेजित करते हैं.
कक्का जी ने यह भी कहा कि अब हम यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की सलाह ले रहे हैं कि राजनीतिक दलों के घोषणापत्र कैसे कानून के दायरे में लाए जाते हैं और इन घोषणाओं का उल्लंघन करने के बाद क्या किया जा सकता है.
आंदोलन के लिए मांगा समर्थन
कक्का जी ने खुद को कांग्रेस समर्थित होने की भी अटकलों को खारिज किया. उन्होंने कहा कि अब भाजपा सत्ता में है तो मुझे कांग्रेस समर्थित बताया जाता है जब मैं कांग्रेस शासन के दौरान सत्ता से लड़ता था तो मुझे आरएसएस-संबद्ध कहा जाता था.
एक जून से प्रस्तावित किसान आंदोलन के संबंध में पूरे राज्य का दौरा करने के बाद कक्का जी ने हालांकि यह कहा कि किसानों की मांगों के बारे में गंभीर होने पर और उनकी मांगों को समर्थन देने के लिए उन्होंने भाजपा और आरएसएस से नेताओं से आग्रह किया है.
मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी का एक ही नारा है “खुशहाली के दो आयाम, ऋण मुक्ति और पूरा दाम”
किसानों के प्रमुख नेता के रूप में पहचान रखने वाले कक्का जी मध्य प्रदेश में भारतीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष और संस्थापक सदस्य के रूप में किसानों की अगुवाई कर रहे है।
जानें कक्का जी के बारे में
20 दिसम्बर 2010 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को 15 हजार किसानों ने अपने ट्रेक्टरों से घेर लिया था। मुख्यमंत्री निवास से लेकर शहर के सभी प्रमुख रास्तों को किसानों ने जाम कर दिया था। किसानों के बिजली और पानी जैसी 85 माँगों को लेकर उस समय आरएसएस के अनुसांगिक किसान संगठन भारतीय किसान संघ की मध्य प्रांत इकाई के अध्यक्ष के रूप में कक्का जी ने मोर्चा सम्भाला था। इसी अंदोलन ने शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी को एक नई पहचान भी दी थी।
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के वनखेड़ी के पास ग्राम मछेरा खुर्द में 28 मई 1952 को एक किसान परिवार में जन्मे कक्का जी ने अपनी शिक्षा जबलपुर में पूरी की। पहले बीएससी की पढ़ाई के दौरान वह छात्र राजनीति में जेडीयू नेता शरद यादव के साथ कूद पड़े। जबलपुर विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट और एमए राजनीति शास्त्र की शिक्षा प्राप्त कक्का जी छात्र राजनीति में शरद यादव के साथ जुड़े रहे।
कई बार जेल गए
लगभग 44 बार जेल यात्रा कर चुके कक्का जी बताते हैं कि जेपी आंदोलन और इमरजेंसी के दौरान वह कई बार जेल गए। जिसके बाद 1981 में वह मध्य प्रदेश सरकार कि विधि बोर्ड में विधिक सलाहकार के रूप में काम किया। लेकिन इस दौरान तत्कालीन मध्यप्रदेश के बस्तर में आदिवासियों की जमीन मुक्त करवाने के केन्द्र सरकार के कानून 70 (ख) के तहत वह कई रसूखदारों के निशाने पर आ गए जिसके बाद उनका ट्रांसफर भोपाल कर दिया गया।
नौकरी छोड़ कूदे किसान आंदोलन में
कुछ समय नौकरी करने के बाद वह किसान आंदोलन में कूद पड़े संघ के अनुसांगिक किसान संगठन भारतीय किसान संघ में पहले महामंत्री और बाद में अध्यक्ष रहे।
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले की बरेली तहसील में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली लगने से एक किसान की मौत और आगजनी के बाद कक्का जी को गिरफ्तार कर लिया गया था वह दो महीने जेल में भी रहे। उन पर 12 मुकदमे भी चल रहे हैं।
कक्का जी के परिवार में उनकी पत्नी डॉ. मंजुला शर्मा जो शासकीय डिग्री कालेज में प्रिंसिपल है और दो बेटीयां निहारिका और आवंतिका हैं। निहारिका स्पोर्ट टीचर तो आवंतिका दिल्ली में इंजीनियर है
भ्रष्ट्राचार से चिढ़
कक्का जी बताते हैं कि दिसम्बर 2010 में तीन दिनों के लिए राजधानी भोपाल का घेराव किया था उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी गई 85 मांगों के माँग पत्र को गीता बताया था।
शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए कक्का जी कहते है कि शिवराज सिंह चौहान विवेकहीन और दिशाहीन हैं। वह कहते है कि शिवराज सिंह चौहान का विरोध करने पर लोग कहते हैं कि मैं उनके प्रति व्यक्तिगत हो जाता हूं लेकिन मैंने हमेशा ही अपने जीवन में शोषण, झूठ और भ्रष्ट्राचार के खिलाफ संघर्ष किया है और इन्हीं बातों से मुझे चिढ़ है।
पहले थे शिवराज सिंह के शुभचिंतक, अब विरोधी
मध्यप्रदेश में कभी बीजेपी सरकार बनवाने में प्रमुख भूमिका रखने वाले और शिवराज सिंह चौहान के शुभचिंतकों में गिने जाने वाले कक्का जी अब उनके सबसे प्रबल विरोधियों में गिने जाते हैं। शिवकुमार शर्मा किसानों के लिए बनाए गए स्वामीनाथन आयोग को लागू करने की वकालत करते हैं।attacknews.in