भोपाल, 07 मई । मध्यप्रदेश में भारत निर्वाचन आयोग ने जय किसान फसल रिण माफी योजना के अंतर्गत 10 मार्च 2019 से पूर्व पंजीकृत पात्र 4,83,016 किसानों के बैंक खातों में रिण माफी की राशि ट्रांसफर को लेकर राज्य शासन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
इस निर्णय का लाभ उन जिलों के किसानों को मिलेगा, जहाँ लोकसभा निर्वाचन के अंतर्गत मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है।
ऋण माफी मामले में चार लाख 83 हजार किसानों के खाते में जाएंगे पैसे:
निर्वाचन आयोग से अनुमति मिलने के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार चार लाख 83 हजार ऐसे किसानों के खाते में धनराशि भेज सकेगी, जो जय किसान फसल ऋण माफी योजना के दायरे में आते हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज यहां अपने निवास पर संवाददाताओं से चर्चा में इस बात की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य के उन जिलों में जहां लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हो गया है, वहां पर जय किसान फसल ऋण माफी योजना के तहत किसानों के खातों में पैसे भेजने की अनुमति संबंधी पत्र आज मिल गया है।
शेष किसानों के कर्ज लोकसभा चुनाव के बाद बांट दिये जाएंगे:
मध्यप्रदेश में किसानों की कर्जमाफी को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से आज लगाए गए आरोपों काे असत्य करार देते हुए कहा कि सरकार अपनी हर प्रतिबद्धता पूरी करेगी और शेष किसानों के कर्ज भी लोकसभा चुनाव के बाद माफ किए जाएंगे।
श्री कमलनाथ ने अपने निवास पर संवाददताओं को कर्जमाफी से जुड़े तकनीकी पहलू विस्तार से समझाते हुए कहा कि वे पूर्व मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा लगाए गए सभी असत्य आरोपों के मद्देनजर अपना उज्जैन संसदीय क्षेत्र का दौरा बीच में छोड़ कर आए हैं। श्री चौहान ने आज पूरी तरह असत्य आरोप लगाए हैं और वे सफेद झूठ हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें कर्जमाफी के मुद्दे पर श्री चौहान का नहीं, किसानों का प्रमाणपत्र चाहिए है और किसान उनके साथ हैं।
श्री कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आज सुबह श्री चौहान के निवास पर गया और उन्हें उन 21 लाख किसानों की सूची सौंपी, जिनका ऋण माफ किया गया है। इसके बावजूद श्री चौहान सूची में नुस्ख नहीं निकालकर ऋण मामले को लेकर असत्य बयानी कर रहे हैं। श्री चौहान ने इसके साथ ही पत्रकारों के समक्ष कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का पुराना वीडियो भी दिखाया, जिसमें वह दस दिनों में कर्जा माफ करने की बात कह रहे हैं। यह सब श्री चौहान को शोभा नहीं देता, क्योंकि वे दस वर्षों से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं और उन्हें मालूम होना चाहिए कि कार्य किस तरह होते हैं।
श्री कमलनाथ ने कहा कि श्री गांधी की घोषणा के अनुरूप उन्होंने 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दो घंटे के अंदर ही किसानों की ऋणमाफी का फैसला ले लिया था, लेकिन यह बात भी सच है कि इस प्रक्रिया में समय लगता है। पूर्व मुख्यमंत्री के नाते श्री चौहान को यह समझना चाहिए। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने तीन माह के अंदर ही 21 लाख किसानों के ऋण माफ कर दिए।
उन्होंने कहा कि कर्जमाफी का प्रावधान फसल ऋण के प्रकरणों के लिए ही है और यह पूरा करने के लिए उनकी पूरी तैयार है। कांग्रेस ने यह कभी नहीं कहा कि किसानों के फसल ऋण के अलावा अन्य ऋण भी माफ होंगे।
वहीं श्री चौहान ने आज खरगोन के जिस किसान की कर्जमाफी नहीं होने का उदाहरण दिया है, वह प्रकरण ट्रेक्टर-ट्रॉली के ऋण से जुड़ा है। ट्रेक्टर ट्राली का ऋण माफ नहीं किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री चौहान इस तरह के अनर्गल आरोप लगाकर किसानों और जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वयं पूर्व मुख्यमत्री श्री चौहान के गृह गांव जैत में भी लोगों के कर्ज माफ हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि एक पूर्व मंत्री की पत्नी का भी कर्ज माफ किया गया है। श्री चौहान के परिजनों के कर्ज माफ होने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वे किसी के परिवार पर नहीं जाना चाहते हैं, पर जैत के कई लोगों के कर्ज माफ हुए हैं।
उन्होंने इस दौरान कर्जमाफी की प्रक्रिया में बैंकों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों से उन्होंने स्वयं बात की। किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर वे 50 फीसदी तक का कर्ज माफ करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रीयकृत बैंक कर्जमाफी के लिए राजी नहीं होते तो राज्य सरकार के पास इसके विकल्प भी थे। लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंकों की भी गरज थी, इसलिए वे कर्जमाफी के लिए राजी हो गए। वहीं सहकारिता के क्षेत्र से जुड़े बैंकों के कर्ज माफ कराने के लिए भी आवश्यक कदम उठाकर उन पर अमल किया गया। उनका दावा है कि ऐसा करने से सहकारिता से जुड़े बैंकों की स्थिति में सुधार होगा।
उन्होंने बताया कि जिन किसानों के दो लाख रूपयों तक ऋण माफ हुए हैं, लेकिन यदि उनका ऋण इससे अधिक है, तो उन्हें ऋण मुक्ति प्रमाणपत्र नहीं मिल सकता है। इसके लिए संबंधित किसान को दो लाख रूपए के बाद की राशि के 50 प्रतिशत हिस्से की व्यवस्था करनी होगी। शेष 50 प्रतिशत राशि की व्यवस्था सरकार करेगी और किसान को ऋण माफी प्रमाणपत्र दिलवाया जाएगा।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि श्री चौहान स्वयं को किसान पुत्र कहते थे, लेकिन उन्हीं के कार्यकाल में किसानों की छाती पर गोली मारी गयी। पूर्ववर्ती सरकार ने एक भी रूपए का ऋण माफ नहीं किया।
उन्होंने कहा कि भाजपा शासित महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश से भी मध्यप्रदेश की तुलना कर्जमाफी के मामले में की जा सकती है और इसमें भी साफ नजर आएगा कि वास्तव में ऋण माफ मध्यप्रदेश में ही हुए हैं।
बिजली की कोई समस्या नहीं है:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज कहा कि राज्य में बिजली की समस्या कतई नहीं है, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर इस मामले में षड़यंत्र कर रहे हैं और हमने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की है।
श्री कमलनाथ ने यहां एक सवाल के जवाब में कहा कि राज्य में बिजली संकट बिल्कुल भी नहीं हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि कई स्थानों पर भाजपा के कुछ लोगों ने बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर बिजली आदि के तार काटकर इस तरह की समस्याएं खड़ी करने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे लोगों की पहचान कर रही है। इसी क्रम में लगभग पांच सौ कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गयी है। मुख्यमंत्री से राज्य में बिजली की कथित समस्या को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लालटेन मार्च निकालने संबंधी सवाल पूछा गया था।
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