भोपाल, 09 जुलाई । मध्यप्रदेश में गरीबी उन्मूलन आकड़े और स्वास्थ्य सूचकांकों को राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाना एक प्रमुख चुनौती है।
मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को पेश किए जाने वाले वित्त वर्ष 2019 20 के बजट के एक दिन पहले आज जारी किए गए ‘मध्यप्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण 2018 19’ में यह टिप्पणी की गयी है।
इसमें कहा गया है कि आर्थिक सर्वेक्षण का उद्देश्य विकास के विभिन्न सूचकांकों का मूल्यांकन करना है।
राज्य की सामाजिक आर्थिक विकास की समीक्षा करने पर स्थिति स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश मानव विकास के मानकों पर देश एवं समान परिस्थितियों वाले राज्यों की तुलना में पिछड़ रहा है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि उन सभी कारणों एवं परिस्थितियों का समग्रता में विश्लेषण करने की आवश्यकता है, जिनकी वजह से मध्यप्रदेश सामाजिक आर्थिक विकास के मापदंडों पर अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं कर पा रहा है। सभी बाधाओं एवं परिस्थितियों का समग्रता में विश्लेषण कर त्वरित गति से परिणाम प्राप्त करने के लिए नवीन रणनीति बनाने एवं चुनौतियों को अवसरों में बदलने की आवश्यकता है।
सर्वेक्षण के अनुसार मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय देश एवं समान परिस्थिति वाले राज्यों की तुलना में कम है।
मध्यप्रदेश को कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों की श्रेणी में रखा जाता है। वित्त वर्ष 2018 19 के प्रचलित मूल्य पर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 90 हजार नौ सौ 98 रूपए थी, जो देश की प्रति व्यक्ति आय एक लाख 26 हजार छह सौ 99 रूपयों का मात्र 71़ 8 प्रतिशत है। देश के प्रमुख राज्यों में बिहार, झारखंड, ओड़िसा और उत्तरप्रदेश को छोड़कर शेष राज्यों की प्रति व्यक्ति आय मध्यप्रदेश से अधिक है।
सर्वेक्षण के मुताबिक देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले व्यक्तियों का अनुपात 21़ 92 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 31़ 65 प्रतिशत है। देश में उत्तरप्रदेश और बिहार राज्यों को छोड़कर मध्यप्रदेश में सर्वाधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे है, जिनकी संख्या दो करोड़ 34 लाख है।
इसमें कहा गया है कि केवल 30 प्रतिशत लोग खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते हैं। राज्य में सिर्फ 23 प्रतिशत घरों में नल द्वारा पानी आता है। राष्ट्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट वर्क 2018 19 के अनुसार मध्यप्रदेश में कृषि मजदूरी की दर 210 रूपए देश के अन्य राज्यों की तुलना में न्यूनतम है। मनरेगा में 68़ 25 लाख परिवार दर्ज हैं, जो व्यापक गरीबी का सूचक है।
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