बैतूल (मप्र) 26 जुलाई ।मध्यप्रदेश के बैतूल में जिला अदालत के न्यायाधीश और उनके पुत्र की कथित तौर पर ‘फूड पॉइजनिंग’ के इलाज के दौरान नागपुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) श्रद्धा जोशी ने बताया कि बैतूल के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेंद्र त्रिपाठी (56) की रविवार सुबह मृत्यु हुई जबकि उनके बेटे अभियानराज (33) की शनिवार रात को अस्पताल में मौत हो गई थी।
एएसपी ने बताया कि न्यायाधीश और उनके बेटे ने 20 जुलाई को परिवार के साथ घर में भोजन किया। भोजन में त्रिपाठी और उनके पुत्र ने चपाती खायीं जबकि त्रिपाठी की पत्नी ने सिर्फ चावल खाये। न्यायाधीश और उनके बेटे को 23 जुलाई को बीमार होने के बाद स्थानीय पाढ़र अस्पताल में भर्ती कराया गया। शनिवार को उनकी हालत अधिक खराब होने पर दोनों को नागपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जोशी ने बताया कि जिस आटे से रोटियां बनाई गयीं थीं उस आटे का नमूना जांच के लिये भेजा जाएगा। विसरा की भी जांच की जायेगी। उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम नागपुर में किया जायेगा तथा शवों को गृहनगर कटनी भेजा जायेगा। उन्होंने बताया कि पुलिस मामले की विस्तृत जांच कर रही है।
इधर यह अचानक मौत इस तरह होना किसी के गले नहीं उतर रहा है लेकिन सच यही है कि दोनों की दुखद मौत हो चुकी है।
सूत्रों से मिली जानकारी पर यकीन करें तो बैतूल जिला न्यायालय में पदस्थ एडीजे महेन्द्र कुमार त्रिपाठी कालापाठा स्थित निवास में अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहते थे। 20 जुलाई को रात को इन्होंने भोजन किया। घर में कुल 6 चपाती बनी थी। पिता और दोनों बेटों ने 2-2 खाई जबकि पत्नी ने सिर्फ चावल खाया।
भोजन के बाद बाप-बेटों की हालत बिगड़ी। 22 को दिन भर उल्टी-दस्त चलते रहे। चूंकि उनकी पत्नी कुछ जानकार थी चिकित्सा की..इसलिए घर पर कुछ इलाज चलता रहा । फिर 23 जुलाई की दोपहर को सूचना पर जिला अस्पताल में पदस्थ डा एके पांडे और डा आनंद मालवीय उन्हें देखने पहुंचे। देखने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती करने की बात कही लेकिन न्यायाधीश श्री त्रिपाठी ने एंबुलेंस बुलाकर पाढर अस्पताल जाने को कहा।
पाढर अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार पिता और बड़ा बेटा 23 जुलाई को भर्ती हुए। जबकि छोटे बेटे की हालत ठीक हो गई थी।
इलाज के उपरांत दोनों की हालत में कुछ सुधार भी आया। कल 25 जुलाई की सुबह भी जो लोग उनसे मिले तो उनकी दोनों से अच्छे से बात हुई थी और जल्द ही अस्पताल से छुट्टी की बात भी की। लेकिन कल शनिवार की शाम दोनों की हालत बिगड़ी और दोनों को पाढर से नागपुर एलेक्स अस्पताल के लिए भेजा गया।
बताया यही जा रहा कि रास्ते में ही 25 वर्षीय बड़े बेटे ने दम तोड़ दिया था जबकि देर रात न्यायाधीश पिता ने भी दम तोड़ दिया। सूचना यह भी है कि गंज पुलिस ने न्यायाधीश के बयान ले लिए थे जिसमें उन्होंने आटे की जांच की बात कही थी। पुलिस ने भी आटा जब्त कर घर सील कर दिया है।
बताया यह भी गया कि आटा शायद इंदौर से आया था । हालांकि न्यायाधीश श्री त्रिपाठी तो डायबिटीज और बीपी के मरीज थे लेकिन उनका बड़ा पुत्र किसी बाडी बिल्डर से कम नहीं था..ऐसे में सिर्फ फुड प्वाजनिंग से उसकी मौत किसी के गले नहीं उतर रही।
एक तथ्य यह भी है कि मौत से पहले दोनों करीब ढाई दिन पाढर अस्पताल में उपचाररत रहे। इतने लंबे समय में फुड प्वाजनिंग सरीखी बीमारी आमतौर पर कंट्रोल में आ जाती है। लेकिन इलाज के बाद भी स्थिति बिगड़ी और पाढर अस्पताल से जाने के कुछ घंटों के अंदर ही बाप-बेटे की मौत हो गई।
उधर दोनों शव का पोस्टमार्टम नागपुर में हो रहा है उसके बाद उनके पैतृक घर कटनी में अंतिम संस्कार करने की खबर है। न्यायाधीश के परिजन नागपुर पहुंच चुके हैं।