भोपाल, 16 मार्च । मध्यप्रदेश में अभूतपूर्व सिसायी संकट के बीच आज विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देश के अनुरूप ‘फ्लोर टेस्ट’ नहीं हुआ और राज्यपाल के अभिभाषण पढ़ने की औपचारिकता के बाद सदन की कार्यवाही ‘कोरोना’ के मद्देनजर ‘केंद्र सरकार की विभिन्न गाइडलाइन और जनहित’ को ध्यार में रखकर 26 मार्च को सुबह ग्यारह बजे तक स्थगित कर दी गयी।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को आज एक पत्र लिखा है, जिसमें अनेक न्यायालयीन फैसलों का जिक्र करते हुए श्री कमलनाथ ने विश्वास व्यक्त किया है कि राज्यपाल विधि एवं संविधान के अनुरूप ही आगे कार्य करेंगे।attacknews.in
श्री कमलनाथ ने इस पत्र में आश्चर्य व्यक्त किया है कि उन्हें लिखे गए संदेशरूपी निर्देशों (राज्यपाल के पत्र) में राज्यपाल ने विधानसभा की कार्यप्रणाली से संबंधित बातों पर उनसे (मुख्यमंत्री) अपेक्षा की है। श्री कमलनाथ का मत है कि यह सब विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।
राज्यपाल ने मौजूदा हालातों के मद्देनजर दो दिन पहले मध्य रात्रि में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था कि उनकी सरकार सोमवार को अभिभाषण के बाद सदन में अपना बहुमत साबित करे। राज्यपाल ने इसकी प्रतिलिपि विधानसभा अध्यक्ष को भी भेजी है।
आज बजट सत्र की शुरूआत में राज्यपाल परंपरा के अनुरूप सदन पहुंचे और छत्तीस पेज का अभिभाषण पढ़ने की औपचारिकता के लिए उन्होंने पहली पेज की कुछ पंक्तियों के बाद अंतिम पेज पढ़ा।
अभिभाषण पढ़ने की औपचारिकता के बाद राज्यपाल ने सदन में सभी से अनुरोध किया कि मौजूदा हालातों के मद्देनजर सभी अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करें। परंपराओं के तहत ऐसे अवसर पर राज्यपाल अभिभाषण के अलावा और कुछ नहीं बोलते हैं। अपने संक्षिप्त उद्बोधन के बाद राज्यपाल सदन से विदा हो गए।
इसके बाद विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने फ्लोर टेस्ट की मांग उठाना चाही, लेकिन सदन में अनेक सदस्यों के एकसाथ बोलने के कारण अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी।
लगभग पांच मिनट बाद सदन समवेत होने पर भाजपा सदस्यों ने फिर अपनी बात रखना चाही, लेकिन अध्यक्ष ने कुछ आवश्यक औपचारिकताओं के बाद कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर जारी विभिन्न गाइडलाइन और जनहित के चलते सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
इस घटनाक्रम के बाद बाद सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के सभी विधायकों को बस में एकसाथ बिठाकर विधानसभा से रवाना किया गया।
कुछ कांग्रेस नेता बाकायदा इन विधायकों पर नजर रखे हुए थे। इसके बाद सभी भाजपा विधायक भी बस में सवार हुए और सीधे राजभवन पहुंचे।
राजभवन में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव और श्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में सभी ने राज्यपाल से मुलाकात की। इसे विधायकों की राज्यपाल के समक्ष परेड के रूप में देखा गया।
भाजपा के कुल 107 विधायकों में से एक चर्चित विधायक नारायण त्रिपाठी सदन से सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। उन्हें कुछ कांग्रेस विधायक अपने साथ ले गए और उन्होंने मीडिया से चर्चा में कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते हुए आरोप लगाया कि बंगलूर में कांग्रेस विधायकों को बंधक बनाया गया है। ऐसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट कैसे कराया जा सकता है।
श्री त्रिपाठी हाल के दिनों में कई बार मुख्यमंत्री निवास जा चुके हैं।attacknews.in
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी आज राज्यपाल से मिलने पहुंचे और कुछ देर तक उनके पास रहे। वहां से निकलने के बाद श्री सिंह ने मीडिया के समक्ष अपनी चिरपरिचित मुद्रा में कहा कि वे राज्यपाल से ‘सौजन्य भेंट’ के लिए आए थे।
राज्यपाल ने कल रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने पास बुलाया था और फ्लोर टेस्ट को लेकर चर्चा की थी।
इन सभी घटनाक्रमों के बीच आज भाजपा फ्लोर टेस्ट को लेकर उच्चतम न्यायालय में भी पहुंच गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से एक याचिका दिल्ली स्थित उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी है, जिस पर एक दो दिन में सुनवायी होने की संभावना प्रारंभिक तौर पर जतायी गयी है।
राज्य का मौजूदा सियासी संकट उस समय और गहराया जब हाल ही में कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने त्यागपत्र अध्यक्ष को भेज दिए। इनमें छह मंत्री भी शामिल थे। इन त्यागपत्र की हॉर्ड कॉपी भाजपा के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह दस मार्च को अध्यक्ष को सौंपकर आए थे।attacknews.in
तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रमों के बीच मुख्यमंत्री ने त्यागपत्र देने वाले छह मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया और इसके बाद अध्यक्ष ने उनके त्यागपत्र भी स्वीकार कर लिए। लेकिन शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र को लेकर अध्यक्ष की ओर से आज तक कोई फैसला नहीं आया है। अध्यक्ष इनके त्यागपत्र स्वीकार करने के पहले उनसे प्रत्यक्ष रूप से चर्चा करना चाहते हैं।attacknews.in
मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेताओं का यह तर्क है कि कांग्रेस के विधायकों को बंगलूर में बंधक बनाया गया है और इन स्थितियों में भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है, जो उचित नहीं है। कांग्रेस फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है, लेकिन पहले बंगलूर में ‘बंधक’ विधायकों को मध्यप्रदेश लाया जाए। वहीं संबंधित विधायकों ने मध्यप्रदेश में कदम रखने के लिए उनकी सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल की मांग की है। इन विधायकों को राज्य पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा नहीं है।attacknews.in
इन सभी हालातों के बीच अब सभी की नजरें भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के अलावा राजभवन की ओर भी टिकी हुयी हैं।
दो सौ तीस सदस्यीय विधानसभा में दो सीट रिक्त हैं और छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार हो चुके हैं। इस तरह अब कुल विधायकों की संख्या 222 है। इनमें से कांग्रेस के विधायक 108 हैं, लेकिन इनमें से 16 ने अपने त्यागपत्र दे दिए हैं और अध्यक्ष के समक्ष इनका फैसला लंबित है। यदि ये त्यागपत्र स्वीकृत हो जाते हैं, तो कांग्रेस की संख्या घटकर 92 पर आ जाएगी। इसके अलावा भाजपा सदस्यों की संख्या 107 है। शेष सात विधायकों में बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय शामिल हैं।attacknews.in
भाजपा विधायक विधानसभा से सीधे राजभवन पहुंचे
मध्यप्रदेश में राजनीतिक उठापटक के बीच विधानसभा की कार्यवाही आज 26 मार्च तक स्थगित होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सौ से अधिक विधायक सीधे राजभवन पहुंचे और वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की।
विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और अन्य पूर्व मंत्री भी राजभवन में मौजूद रहे। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री श्री चौहान और भाजपा नेताओं ने राज्यपाल को भाजपा विधायकों की सूची सौंपी।attacknews.in
राजभवन के बाहर पत्रकारों से चर्चा में श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में हैं, इसलिए वो राज्यपाल के आदेश के बावजूद ‘फ्लोर टेस्ट’ नहीं करवा रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कहना है कि उनके पास बहुमत है, तो फिर उसे फ्लोर टेस्ट में परेशानी क्या है।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल के आदेश का पालन नहीं किया गया और विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी गयी। इस सरकार को अब एक पल भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
अध्यक्ष ने ‘कोरोना’ के कारण सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक ऐसे स्थगित की:attacknews.in
मध्यप्रदेश में पिछले लगभग दो सप्ताह से जारी सियासी उठापटक के बीच आज बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के बाद जहां मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने फ्लोर टेस्ट की मांग उठायी, वहीं अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने कोरोना के मद्देनजर ‘केंद्र सरकार की एडवाइजरी और व्यापक जनहित’ देखते हुए सदन की कार्यवाही 26 मार्च को सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी।attacknews.in
बजट सत्र की शुरूआत पर राज्यपाल लालजी टंडन अभिभाषण के लिए, लेकिन उन्होंने इसके पढ़ने की औपचारिकता के लिए अभिभाषण के पहले पेज की कुछ पंक्तियां और फिर अंतिम पेज पढ़ा। अभिभाषण पढ़ने की औपचारिकता के बाद राज्यपाल ने सदन में सभी से अनुरोध किया कि मौजूदा हालातों के मद्देनजर सभी अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करें। इसके बाद राज्यपाल परंपरा के अनुरूप सदन से विदा हो गए।
विधायकों के दबाव से मुक्त होने पर ही बहुमत परीक्षण होगा उपयुक्त: कमलनाथ
मध्य प्रदेश में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रमाें के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाये जाने का आरोप लगाया।
श्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को लिखे पत्र में यह आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बना लिया गया है और इस तरह की परिस्थिति में विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराये जाने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने पत्र में जोर देकर कहा कि विधायकों के किसी तरह की बंदिश से बाहर रहने तथा पूरी तरह से दबाव मुक्त होने पर ही बहुमत परीक्षण कराना उचित होगा, अन्यथा यह सुनिश्चित रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कदम होगा।
मुख्यमंत्री ने आज के पत्र में राज्यपाल को पूर्व में 13 मार्च को लिखे गये पत्र का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक ले जाया गया है और वहां की पुलिस के नियंत्रण में रखकर उनसे विभिन्न प्रकार के बयान लिखवाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस के विधायकों को रिश्वत और अन्य प्रलोभन देकर अपने पक्ष में करने का षडयंत्र रच रही है।
भाजपा के पास बहुमत है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं: कमलनाथ
मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच आज मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास बहुमत है, तो वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।
श्री कमलनाथ ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि भाजपा को अगर यह लगता है कि उनके पास बहुमत है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं, उन्हे किसी ने रोका नहीं है। उन्होंने दावे से कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपना बहुमत साबित कर देगी।
विधानसभा में जो कुछ हुआ उससे राज्यपाल को अवगत कराएंगे: भार्गव
मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि विधानसभा में जो कुछ हुआ है, उसको लेकर वह राजभवन जा रहे हैं और वह राज्यपाल को इन घटनाक्रमों से अवगत कराएंगे।
श्री भार्गव ने दावा करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार अल्पमत में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को बहुमत साबित करना चाहिये।
पहले से ही तय हों गया था बजट सत्र में हंगामे के आसार
मध्यप्रदेश में अभूतपूर्व सियासी संकट के बीच विधानसभा का बजट सत्र आज सुबह ग्यारह बजे राज्यपाल के अभिभाषण के साथ फ्लोर टेस्ट’ के मामले को लेकर जबरर्दस्त हंगामे की संभावना बन गयी थी ।
विधानसभा की कार्यसूची में राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं होने पर कल देर रात राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को राजभवन बुलाया। दोनों के बीच चर्चा हुयी। मुलाकात के बाद श्री कमलनाथ ने मीडिया से कहा कि राज्यपाल मिलना चाहते थे, इसलिए वे उनसे मिले। फ्लोर टेस्ट (बहुमत परीक्षण) के बारे में अध्यक्ष तय करेंगे।
श्री कमलनाथ ने कहा था कि जो काम स्पीकर का है, वह वो करेंगे। जो काम मेरा है, वह मैं करुंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को पहले ही लिखकर दे दिया है कि वे फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन जो विधायक ‘बंधक’ हैं, वो स्वतंत्र हों। उनका दावा है कि सरकार पूरी तरह मजबूत है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने रात्रि में मीडिया से कहा था कि फ्लोर टेस्ट को लेकर फैसला विधानसभा अध्यक्ष नहीं करेंगे। सदन का बिजनेस (कार्य) क्या होगा , यह सरकार तय करती है। इन्हें इतना मासूम नहीं बनना चाहिए। सरकार चाहे तो विश्वास मत ला सकती है और उसे लाना चाहिए।
श्री चौहान ने इस बात से भी इंकार किया था कि विधायक बंधक हैं। विधायक केंद्रीय सुरक्षा बल मांग रहे हैं। मुख्यमंत्री को केंद्रीय सुरक्षा बल की अनुमति देना चाहिए। श्री चौहान ने कहा कि सरकार अल्पमत में और वह बहुमत परीक्षण में पराजित हो जाएगी। इसलिए वह फ्लोर टेस्ट से बचना चाह रही है। यह संवैधानिक नहीं है।