रायपुर 10 जून।छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आरटीआई कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल ने मध्य प्रदेश के एक निजी विश्वविद्यालय के द्वारा एक विधायक के नाम से पैसों के बदले डिग्री जारी करने के खुलासे के बाद अब छत्तीसगढ़ के निजी विश्वविद्यालय द्वारा एक सजा काट रहे कैदी के नाम पर डिग्री जारी करने का भी खुलासा किया है।
श्री अग्रवाल के मुताबिक छत्तीसगढ़ के एक निजी विश्वविद्यालय ने उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी बलराम साहू को 29 जनवरी 14 को सजा हुए थी और वह 14 अगस्त 19 को रिहा हुआ। जेल से बाहर आने से पहले ही विश्वविद्यालय द्वारा उसे डीसीए (डिप्लोमा ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन) का सर्टिफिकेट 29 अगस्त 18 को दे दिया। उसे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण घोषित किया गया है।
भोपाल की सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी से विधायक विनय जायसवाल की फर्जी डी सी ए की मार्कशीट के बाद छत्तीसगढ़ की आई एस बी एम यूनिवर्सिटी ने जेल में बंद कैदी की डीसीए की फर्जी मार्कशीट जारी की गई है । छत्तीसगढ़ में पैसों के बदले डिग्रियां बंट रही हैं ।
आरटीआई कार्यकर्ता और विसलब्लोअर संजीव अग्रवाल ने मध्य प्रदेश की एक नामी युनिवर्सिटी के द्वारा छत्तीसगढ़ के एक विधायक की पैसों के बदले डिग्री जारी करने के खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ की एक युनिवर्सिटी द्वारा एक सजा काट रहे कैदी के नाम पर डिग्री जारी करने का भी खुलासा किया है।
शिक्षा विभाग में एक के बाद एक ऐसे खुलासों से देश में शिक्षा व्यवस्था और निजी विश्वविद्यालयों पर सवालिया निशान लग गया है।
पैसों के बदले डिग्रियां बांटने का ये गोरख धंधा केवल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में चल रहा है।
प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा डिग्री बांटने को लेकर चल रहे फर्जीवाड़ा
संजीव अग्रवाल के मुताबिक प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा डिग्री बांटने को लेकर चल रहे फर्जीवाड़ा के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। एक निजी विवि आईएसबीएम ने उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी बलराम साहू पिता चेतनराम साहू जिसको 29-01-2014 को सजा हुए थी और वह 14-08-2019 को रिहा हुआ। जेल से बाहर आने से पहले ही उस युनिवर्सिटी द्वारा उसे डीसीए (डिप्लोमा ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन) का सर्टिफिकेट 29-08-2018 दे दिया। उसे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण घोषित किया गया है।
आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव अग्रवाल ने इस मामले में आरोप लगाया कि शिक्षा में सुधार के लिए निजी विश्वविद्यालयों को सरकार ने संचालन की अनुमति दी है, मगर निजी विश्वविद्यालयों ने इसे डिग्री बांटने का धंधा बना लिया है। मोटी रकम लेकर निजी विवि किसी को भी डिग्री दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि राज्य के उन युवाओं का नुकसान हो रहा है, जो कड़ी मेहनत कर नियमित क्लासेज अटेंड करते हैं और परीक्षा में सम्मिलित होते हैं। ताजा मामला यह दर्शाता है कि एक सजायाफ्ता कैदी को प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण की डिग्री मिल जाती है। इससे विवि की कार्यप्रणाली पर संदेह उठना लाजमी है।
संजीव अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ की 15 साल की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ में डॉ रमन सिंह के राज में बहुत ही प्राइवेट यूनिवर्सिटी शुरू हुई लेकिन उन्होंने शिक्षा देने की बजाय शॉर्टकट में पैसे कमाना ज्यादा उचित समझा, जिसका परिणाम है कि आज प्रदेश में बहुत सी यूनिवर्सिटी डिग्री बांटने का गोरख धंधा कर रही हैं केवल पैसे बनाने के लिए।
संजीव अग्रवाल ने कहा कि अभी तो उन्होंने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की एक-एक यूनिवर्सिटी के बारे में खुलासा किया है उनके पास और भी यूनिवर्सिटी के दस्तावेज मौजूद हैं जो समय-समय पर वह मीडिया के समक्ष खुलासे करेंगे।
उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की है कि वे सभी यूनिवर्सिटीज का जल्द से जल्द ऑडिट करवाने का आदेश जारी करें और यह सुनिश्चित करें कि किस यूनिवर्सिटी में पिछले 15 साल में कितने डिग्री आवंटित की हैं और क्या वह सरकारी मानकों के अनुसार सही है या नहीं, क्योंकि “भूपेश है तो भरोसा है।”