भोपाल, 28 जनवरी । मध्यप्रदेश में 13 महीने में 32 बाघों की मौत हो गई। वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने मध्यप्रदेश में बाघों की बढ़ती मौत पर चिंता जताई है। हालांकि सरकारी अधिकारियों ने कहा कि बाघों की आबादी में सुधार हुआ है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार एक जनवरी से 31 दिसंबर 2017 तक देश के विभिन्न राज्यों में 98 बाघों की मौत हुई है। इनमें सबसे ज्यादा 26 बाघों की मौत मध्यप्रदेश में हुई। इसके अलावा, मध्यप्रदेश में छह बाघों की मौत जनवरी 2018 में हुई है।
इस प्रकार मध्यप्रदेश में पिछले 13 महीनों में 32 बाघों की मौत हुई है।
वन्यजीव कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश में बाघों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश पिछले दो साल अव्वल रहा है।
वन्यजीव कार्यकर्ता अभय दुबे ने बताया, ‘‘वर्ष 2016 में बाघों की मौतों की जांच की मांग को लेकर हम मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। मध्यप्रदेश में वर्ष 2016 एवं 2017 में देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक बाघों की मौत हुई है और अब इस साल केवल जनवरी में ही छह बाघों की मौत हो चुकी है।’’ उन्होंने दावा किया कि हाल ही में होशंगाबाद जिला स्थित सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में बाघिन 18 जनवरी को एक विश्रामगृह के पास मृत पाई गई।
दुबे ने दावा किया कि वन विभाग के अधिकारियों को इस बाघिन का शिकार करने के तीन दिन बाद पता चला।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘रेडियो कॉलर लगे होने के बावजूद उसका बाघिन का शव उन्हें तीन दिन बाद मिला।’’ गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में बाघों के लिए छह टाईगर रिजर्व बनाये गये हैं।attacknews.in
वहीं, सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि करीब सात वर्षीय इस बाघिन की मौत के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है और यह कहना सरासर गलत होगा कि इसका शिकार किया गया था। उसके शव पर कोई आंतरिक या बाह्य चोट का निशान नहीं पाया गया था।
उन्होंने कहा कि इस बाघिन पर लगा रेडियो कॉलर पिछले डेढ़ साल से काम नहीं कर रहा था।
इसी बीच, मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक :वन्यप्राणी: जितेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि जब भी बाघों का शिकार करने का मामला प्रकाश में आता है, तो हम शिकारियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करते हैं।attacknews.in
अग्रवाल ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश बाघ की मौत के मामले को छुपाता नहीं है। हर बाघ के मौत की जानकारी दी जाती है।’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा की गई गणना के अनुसार वर्ष 2010 में मध्यप्रदेश में सिर्फ 257 बाघ थे, जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या बढ़कर 308 हो गई थी।
अग्रवाल ने बताया ‘‘इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है।attacknews.in