नयी दिल्ली, 28 नवंबर । कानून मंत्रालय ने आज नागरिकों से कहा कि किसी अदालती आदेश के खिलाफ सरकार के साथ शिकायतें दाखिल करना व्यर्थ है क्योंकि इसे सिर्फ एक उपयुक्त अदालत के समक्ष ही चुनौती दी जा सकती है।
मंत्रालय ने लोगों से यह भी कहा कि सरकार अदालत को किसी खास मामले में कार्यवाही तेज करने के लिये नहीं कह सकती।
शिकायतकर्ताओं के लिए न्यायिक विभाग द्वारा जारी आम दिशानिर्देश के मुताबिक सरकार उन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है , जिनमे मामले के निबटारे में अनुचित विलंब को लेकर याचिकाकर्ता में असंतोष है। दस्तावेज में कहा गया है कि किसी न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत को संबद्ध उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय अपने द्वारा अपनाई गई आतंरिक प्रक्रिया के मुताबिक जांच के लिए अपने हाथों में ले सकता है।
दिशानिर्देश में कहा गया है कि ऐसी शिकायतों के निपटारे में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
गौरतलब है कि मंत्रालय को न्याय में देर और किसी अदालती आदेश के खिलाफ शिकायतों के बारे में पिछले कई साल से हजारों शिकायतें मिल रही हैं।
दिशानिर्देश में कहा गया है कि एक न्यायिक आदेश को सिर्फ एक उपयुक्त अदालत के समक्ष निर्धारित कानूनी प्रक्रिया के जरिए चुनौती दी जा सकती है।
इसने कहा कि इसलिए किसी न्यायिक आदेश या फैसले के खिलाफ शिकायत दाखिल करना व्यर्थ का कार्य है। दिशानिर्देश में कहा गया है, ‘‘न्यायपालिका स्वतंत्र है और सरकार न्यायपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।’’attacknews