नयी दिल्ली, दो सितंबर । पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो झील इलाके में चीन की ‘‘उकसाने वाली कार्रवाई’’ के कुछ दिनों बाद क्षेत्र में बुधवार को स्थिति संवेदनशील बनी रही, जबकि दोनों पक्षों के सेना कमांडरों ने तनाव घटाने के लिये एक और दौर की वार्ता की है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि दोनों देश की सेना ने चुशुल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की वार्ता की है, जिसमें मुख्य रूप से पैंगोंग झील इलाके में तनाव घटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
सूत्रों ने यह भी बताया कि सोमवार और मंगलवार को छह घंटे से अधिक समय तक इसी तरह की वार्ता हुई, लेकिन कोई ‘‘ठोस नतीजा’’ नहीं निकला।
उन्होंने बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कई पर्वत चोटियों और स्थानों पर कब्जा कर पिछले कुछ दिनों में रणनीतिक बढ़त हासिल की है।
सोमवार को भारतीय थल सेना ने कहा कि चीनी सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात पैंगोंग झील के दक्षिण तट पर यथा स्थिति में एकतरफा तरीके से बदलाव करने के लिये ‘‘उकसाने वाली सैन्य गतिविधियां’’ की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने मंगलवार को कहा था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने सोमवार को एक बार फिर ‘‘उकसाने वाली कार्रवाई’’ की, जब दोनों पक्षों के कमांडर दो दिन पहले पैंगोंग झील इलाके में यथास्थिति बदलने की चीनी कोशिशों के बाद तनाव घटाने के लिये बातचीत कर रहे थे।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘इलाके में स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। ’’
इससे पहले, दोनों पक्षों के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर एक टकराव हुआ था लेकिन इस तरह की घटना इसके दक्षिणी तट पर पहली बार हुई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख में स्थिति की व्यापक समीक्षा की। इस सिलसिले में चली बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया सहित अन्य शामिल हुए थे।
सूत्रों ने बताया, ‘‘लगभग दो घंटे चली बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सभी संवेदनशील क्षेत्रों में अपना आक्रामक रुख जारी रखेगी ताकि चीन के किसी भी ‘दुस्साहस’ से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।’’
उन्होंने बताया कि भारतीय थल सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट इलाके के आसपास अपनी उपस्थिति और बढ़ाई है। साथ ही, टैंक तथा टैंक रोधी मिसाइलों सहित अधिक हथियार प्रणाली लाये गये हैं।
इलाके में विशेष सीमांत बल की एक बटालियन तैनात की गई है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी हवाई गतिविधियां बढ़ने पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
खबर है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख से करीब 310 किमी दूर स्थित सामरिक रूप से अहम होटन एयरबेस पर जे-20 लंबी दूरी के लड़ाकू विमान तैनात किये हैं।
वहीं, भारतीय वायुसेना ने भी पिछले तीन महीनों में अग्रिम मोर्चे के अपने कई लड़ाकू विमान पूर्वी लद्दाख एवं एलएसी पर अन्य स्थानों पर अहम सीमांत एयर बेस पर तैनात किये हैं। इनमें सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 लड़ाकू विमान शामिल हैं।
गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के बाद से पैंगोंग झील इलाके में यथास्थिति में बदलाव करने की चीन की ताजा कोशिश क्षेत्र में पहली बड़ी घटना है।
उस झड़प में 20 भारतीय सैन्य कर्मी शहीद हो गये थे।
चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन चीन ने उसका विवरण सार्वजनिक नहीं किया। हालांकि, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक उस घटना में 35 चीनी सैनिक हताहत हुए थे।
पिछले ढाई महीने में भारत और चीन ने कई सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता की हैं लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद का समाधान करने में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
सूत्रों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच पहले दौर की दो वार्ताओं में किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी।
इस बीच ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने चीन , नेपाल और भूटान से लगती सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों को पूरी तरह चौकस और सतर्क रहने का आदेश दिया है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस को उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश , हिमाचल प्रदेश , लद्दाख और सिक्किम में जबकि सीमा बल को नेपाल और भूटान सीमा पर सख्त निगरानी रखने को कहा गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार , चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और सैन्य संचालन महानिदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा की और भविष्य की योजना पर चर्चा की। श्री सिंह शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज मास्को रवाना हो रहे हैं। इस बैठक में चीन के रक्षा मंत्री भी शामिल होंगे।
इस बीच सेना ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि चीन द्वारा चुमार में घुसपैठ की कोशिश से संबंधित रिपोर्ट सही नहीं हैं। रिपोर्ट में चीन की जिन गतिविधियों का उल्लेख किया गया है वे नियमित गतिविधियों का हिस्सा है जो चीनी सैनिक अपने क्षेत्र में करते हैं और इसे घुसपैठ की कोशिश नहीं माना जा सकता ।
इस बीच सेना ने इस तरह की बातों को भी एकदम गलत बताया है कि पिछले सप्ताह पेगोंग झील के दक्षिणी किनारे के निकट हुए घटनाक्रम के दौरान चीन के कुछ सैनिकों को हिरासत में ले लिया गया।
भारतीय सैनिकों ने पैंगोग झील इलाके में यथास्थिति बदलने के चीन के ताजा प्रयासों को किया विफल:
इससे पहले भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि भारतीय जवानों ने पैंगोंग सो क्षेत्र में ‘‘एकतरफा’’ यथास्थिति बदलने के लिए चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) की ओर से चलाई गई ‘‘उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि’’ विफल कर दी।
सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया था कि पीएलए ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर सैन्य और राजनयिक बातचीत के जरिये बनी पिछली आम सहमति का ‘‘उल्लंघन’’ किया और 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात यथास्थिति बदलने के लिए उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि संचालित की।
कर्नल आनंद ने बताया कि मामले के हल के लिए चुशूल में ‘ब्रिगेड कमांडर’ स्तर की एक फ्लैग मीटिंग हो रही है।
कर्नल ने एक बयान में कहा, ‘‘ पीएलए सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त की दरमियानी रात, पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर सैन्य और राजनयिक बातचीत के जरिये बनी पिछली आम सहमति का ‘‘उल्लंघन’’ किया और यथास्थिति बदलने के लिए उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि संचालित की।’’
सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग सो (झील) के दक्षिणी किनारे पर पीएलए की गतिविधि को पहले ही विफल कर दियाश, हमारे पोजिशन मजबूत करने और जमीनी तथ्यों को एकतरफा बदलने के चीनी इरादों को विफल करने के लिए उपाय भी किए।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना बातचीत के माध्यम से शांति और स्थिरता बनाए रखने को प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए भी उतनी ही प्रतिबद्ध है।
दोनों देशों के बीच पहली बार गलवान घाटी में 15 जून को एक हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन ने उसके हताहत हुए सैनिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी लेकिन अमेरिका खुफिया रिपोर्ट के अनुसार उसके 35 सैनिक हताहत हुए थे।
भारत और चीन ने पिछले ढाई महीने में कई स्त्तर की सैन्य और राजनयिक बातचीत की है लेकिन पूर्वी लद्दाख मामले पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर बातचीत के बाद छह जुलाई को दोनों पक्षों की ओर से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। यह प्रक्रिया मध्य जुलाई से आगे नहीं बढ़ी है।