मल्लापुरम (केरल) 6 जून । केरल में पटाखों से भरे अनानास के कारण घायल होने के बाद हथिनी करीब दो हफ्ते तक भूखी रही. अब धीरे धीरे पता लग रहा है कि गर्भवती हथिनी ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक पटाखों के धमाके से हथिनी के मसूड़ों में गंभीर चोटें आईं. इन चोटों की वजह से वह दो हफ्ते तक कुछ न खा सकी. भूख की वजह से वह कमजोर होती चली गई और आखिरकार बेदम होकर वेलियार नदी में डूब गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहती है, “ओरल कैविटी में बड़ी और अक्षम बना देने वाली चोटों ने लोकल सेप्सिस (पस से भरा इंफेक्शन) कर दिया और इस बात की प्रबल संभावना है कि यह (इंफेक्शन) उसके मुंह में विस्फोटकों के धमाके के बाद हुआ.” चोट और इंफेक्शन के कारण वह दर्द से छटपटाई होगी. रिपोर्ट कहती है, “वह दो हफ्तों तक न तो पानी पी सकी होगी और न ही कुछ खा सकी होगी. अति दुर्बलता और कमजोरी के कारण आखिरकार वह पानी में गिर गई और डूब गई.”
28 मई को जारी शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि डूबने से हथिनी के फेफड़ों में पानी भरा और वह मारी गई. हथिनी की उम्र करीब 15 साल थी. पोस्टमार्टम में उसके शरीर से दो महीने का शिशु भ्रूण भी मिला।
जलन से राहत और खुद को इंसान और अन्य जीवों से बचाए रखने के लिए हथिनी नदी में चली गई. पानी ने उसके कमजोर शरीर को खड़ा रखने में भी मदद दी होगी. ऐसे तमाम पहलू देखकर लगता है कि हथिनी किसी तरह खुद को अकेला कर ठीक होने का इंतजार करती रही. लेकिन विस्फोटकों के घाव जानलेवा साबित हुए।
हथिनी की मौत की खबर आते ही भारत में सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश उमड़ पड़ा,इस घटना ने वन्य जीवों के साथ होने वाली क्रूरता को उजागर किया है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का एलान कर चुके हैं. शुक्रवार को एक संदिग्ध को गिरफ्तार भी किया गया है।
इस घटना के सोशल मीडिया पर वायरल होने के दो दिन बाद भारत के वन एवं पर्यावरण मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री और भारी उद्योग मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बाबत पहला ट्वीट किया और राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी।
घटना की वास्तविकता: इंसान की नीचता ने गर्भवती हथिनी की जान ली
केरल में खाने की तलाश में इंसानी आबादी में पहुंची गर्भवती हथिनी को कुछ लोगों ने पटाखों से भरा अनानास दे दिया. अनानास हथिनी के मुंह में फट गया.
मालापुरम जिले के वन अधिकारी मोहन कृष्णन की सोशल मीडिया पोस्ट के बाद यह मामला सामने आया है. पोस्ट के मुताबिक जंगली हथिनी खाने की तलाश में जंगल से बाहर निकलकर एक गांव में पहुंची. गांव में घूमते समय उसे कुछ स्थानीय लोगों ने पटाखों से भरा अनानास दिया. गर्भवती हथिनी ने अनानास जैसे ही मुंह में डाला, वैसे ही वह फट पड़ा. हथिनी का मुंह और जीभ बुरी तरह झुलस गए. उसे सदमा भी लगा.
इसके बाद हथिनी कराहते हुए गांव में इधर उधर भागने लगी. वह ठंडे पानी से अपने मुंह की जलन शांत करने लगी. लेकिन बीते बुधवार को उसने नदी में दम तोड़ दिया. हथिनी की तस्वीर के साथ एक भावुक फेसबुक पोस्ट में वन अधिकारी मोहन कृष्णन ने लिखा, “असहनीय दर्द के कारण गांव की गलियों में भागते समय भी उसने एक भी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया. उसने एक भी घर नहीं रौंदा.”
हथिनी को बचाने की कोशिश करने वाले मोहन कृष्णन के मुताबिक दो हाथियों की मदद से उसे नदी से बाहर निकालने की काफी कोशिशें की गईं. लेकिन वह बाहर नहीं आई. 27 मई की शाम चार बजे उसने नदी में खड़े खड़े दम तोड़ दिया।
मोहन कृष्णन ने कहा, “वह सुयोग्य विदाई की हकदार थी. हम उसे एक लॉरी में जंगल के भीतर ले गए. वहां उसे लकड़ियों में लेटाया गया, उस जमीन पर जहां वो खेलते हुए बड़ी हुई. पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने मुझे बताया कि वह अकेली नहीं थी. मास्क के बावजूद मैं डॉक्टर के दुख को समझ गया. हमने वहीं उसे जला दिया. हमने उसे प्रणाम किया और अंतिम श्रद्धांजलि दी.”