नई दिल्ली 19 मार्च। हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार केदारनाथ सिंह का आज शाम दिल्ली में निधन हो गया है। वे दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे। वे 83 साल के थे। लंबे समय से बीमार चल रहे केदारनाथ सिंह की मृत्यु की खबर से सभी स्तब्ध हैं।
भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष 2013 में 49 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। केदारनाथ सिंह यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के 10 वें लेखक थे।
केदारनाथ सिंह का जन्म एक जुलाई 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था। उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से 1956 में हिन्दी में एमए और 1964 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष पद पर भी सेवा दी थी।
केदारनाथ सिंह चर्चित कविता संकलन तीसरा सप्तक के सहयोगी कवियों में से एक थे। इनकी कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, स्पेनिश, रूसी, जर्मन और हंगेरियन आदि विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं। केदारनाथ सिंह ने कविता पाठ के लिए दुनिया के अनेक देशों की यात्राएं की थी।
कविता संग्रह : अभी बिल्कुल अभी, जमीन पक रही है, यहां से देखो, बाघ, अकाल में सारस, उत्तर कबीर और अन्य कविताएं, तालस्ताय और साइकिल
आलोचना : कल्पना और छायावाद, आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान, मेरे समय के शब्द, मेरे साक्षात्कार
संपादन : ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन), समकालीन रूसी कविताएं, कविता दशक, साखी (अनियतकालिक पत्रिका), शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)
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