भोपाल ( मध्यप्रदेश) 14 जुलाई ग्वालियर में श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के पब्लिक स्कूल को लगभग 413 करोड़ रुपए कीमत की 146 एकड़ जमीन राज्य की कमलनाथ सरकार द्वारा मुफ्त देने के मामले में राज्य सरकार कटघरे में आ गई है।आरोप है कि कमलनाथ सरकार बनते ही द सिंधिया पब्लिक स्कूल को 413 करोड़ रुपए कीमत की सरकारी जमीन मुफ्त में दे दी गई जबकि यह विधालय निर्धन छात्रों को मुफ्त में शिक्षा नहीं देता।
इस स्कूल की फीस लाखो में है और इसमें विदेशी छात्र तक पढऩे आते हैं। इस मामले पर बीजेपी विधायक व पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कडा प्रहार किया है।
पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि करोंड़ो की जमीन महाराजाओं को मुफ्त में देना जनता के साथ अन्याय है. गुटीय राजनीति पर पर्दा डालने के लिए कमलनाथ सरकार ने ये फैसला लिया है।मध्य प्रदेश की जमीन प्रदेश की जनता की है महराजाओं की नहीं।
उन्होंने कहा सरकार गजब के निर्णय ले रही है, एक तरफ 413 करोड़ की कीमत महज 100 रुपए में महाराजा सिंधिया को दे दी, ताकि वो उस जमीन से करोड़ों कमा सके, वहीं दूसरी तरफ गरीबों को पांच रुपए में मिलने वाला निवाला छीन लिया, यह कैसा न्याय? सिंधिया के पास पहले से ही हजारों एकड़ जमीन स्वयं की है, फिर सरकारी जमीन मुफ्त के मुफ्त के भाव में क्यों, जबकि उनकी एजुकेशन संस्था लाखों रुपए लेकर शिक्षा को बेचती है।
सिंधिया स्कूल की फीस भारतीय और विदेश छात्रों के अलग अलग है. सिंधिया स्कूल में नए एडमिशन पर पहली किश्त 3 लाख 50 हजार की होती है, वहीं दूसरी किश्त 4 लाख 85,000 और तीसरी किश्त में 4 लाख 65,000 हजार रुपए लिए जाते हैं. इस तरह कुल 13 लाख की फीस वसूली जाती है. इस फीस से ही अंदाजा लगाया जा सकता है, यह कितना सस्ता स्कूल है, जिसे सरकार की मदद की जरुरत क्यों है?
सूत्रों के मुताबिक सिंधिया स्कूल को मुफ्त में जमीन देने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगने से पहले ग्वालियर कलेक्टर और प्रमुख सचिव राजस्व ने आपत्ति की थी।
ग्वालियर कलेक्टर ने सरकारी गाइडलाइन के हिसाब से शैक्षणिक संस्था को 25 फीसदी कीमत देकर जमीन देने का प्रस्ताव भेजा था. ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव ने सिंधिया स्कूल को सरकारी जमीन देने का जो प्रस्ताव सरकार को भेजा था, उसमें जमीन की कीमत करीब 100 करोड़ रुपए लगाई गई थी।
कलेक्टर ने शैक्षणिक संस्था होने की वजह से सिंधिया स्कूल के लिए 25 फीसदी राशि देकर जमीन देने का प्रस्ताव तैयार किया था।कलेक्टर के प्रस्ताव से राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी भी सहमत थे, लेकिन प्रस्ताव कैबिनेट में जाने से पहले शासन ने ग्वालियर कलेक्टर भरत यादव का तबादला कर सिंगरौली कलेक्टर रहे अनुराग चौधरी को ग्वालियर कलेक्टर बनाया गया.
सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को जमीन आवंटित करने के मामले ने तूल पकड़ा, तो कमलनाथ सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सिंधिया के बचाव में आ गए. उन्होंने मामले में गोलमोल जबाव दिया।
उन्होंने कहा कि जो आरोप लगा रहे हैं, वे पहले अपने गिरेबान में झांक कर देख लें, ये इश्यू नहीं है. कोई नया आवंटन नहीं किया गया. ये जमीन सिंधिया स्टेट की ही है. तोमर ने आरएसएस के विद्यालयों पर भी सवाल उठाए, उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सरकार अच्छे स्कूलों को जमीन देगी और आगे भी देगी।
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