नयी दिल्ली, 21 सितंबर । मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश वी के ताहिलरमाणी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया लिया गया है। एक सरकारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई।
अधिसूचना में बताया गया है कि उनका इस्तीफा छह सितंबर से प्रभावी रूप से स्वीकार हो गया।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने उनका तबादला मेघालय होने पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद न्यायाधीश ने इस्तीफा दे दिया।
एक अन्य अधिसूचना में बताया गया है कि न्यायमूर्ति वी कोठारी को मद्रास उच्च न्यायालय का कार्यवाहक न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
इससे पहले 12 सितंबर को मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश वी के ताहिलरमाणी के स्थानांतरण पर जारी विवाद को शांत करने के प्रयास के तहत उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों एवं न्यायाधीशों के तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ‘‘ठोस वजहों” पर आधारित होती है।
न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी का नाम लिए बगैर ही उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल संजीव एस कालगांवकर के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि न्यायाधीशों के तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान हित में नहीं किया जाता लेकिन शीर्ष अदालत का कॉलेजियम, जरूरी हो जाने की स्थिति में, इसका खुलासा करने से नहीं हिचकिचाएगा।
यह बयान मीडिया में चल रही खबरों और न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी के तबादले पर लगाई जा रही अटकलों की पृष्ठभूमि में जारी किया गया था ।
न्यायाधीश ने छह सितंबर को इस्तीफा दे दिया था जब उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने उनके तबादले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा था जिसकी एक प्रति प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को भेजी गई थी । इस्तीफे को तब तक न तो स्वीकार किया गया और न ही अस्वीकार।
उनके तबादले को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय और बंबई उच्च न्यायालय दोनों के वकीलों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए थे।
मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने से पहले वह बंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थीं।
लातूर बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष अधिवक्ता बालाजी पंचाल के मुताबिक महाराष्ट्र के लातूर जिले में करीब 2,000 वकीलों ने तबादले का विरोध करने के लिए शुक्रवार को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला भी किया था।
ताहिलरमाणी मराठवाड़ा क्षेत्र के लातूर की रहने वाली हैं।
सेक्रेटरी जनरल द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि , “उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों/ न्यायाधीशों के तबादले के संबंध में कॉलेजियम द्वारा हाल में की गई अनुशंसाओं से जुड़ी कुछ खबरें मीडिया में आई हैं।
बयान में कहा गया, “निर्देशानुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ठोस कारणों पर आधारित होती है जो न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन करने के बाद की जाती है।
बयान में कहा गया है, “भले ही तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान के हित में नहीं किया जाता हो, लेकिन अगर जरूरी लगा, तो कॉलेजियम को इसको सार्वजनिक करने में कोई संकोच नहीं होगा।”
बयान में कहा गया कि प्रत्येक अनुशंसा “पूर्ण विचार-विमर्श” के बाद की जाती है और उस पर “कॉलेजियम द्वारा सर्वसम्मति जताई जाती है।”
प्रधान न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी का तबादला मेघालय उच्च न्यायालय में करने की अनुशंसा की थी। उन्हें पिछले साल आठ अगस्त को मद्रास उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था।
कॉलेजियम ने 28 अगस्त को उनके तबादले की अनुशंसा की थी जिसके बाद उन्होंने एक प्रतिवेदन देकर प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था।
उन्होंने मेघालय उच्च न्यायालय में उनका तबादला किए जाने के खिलाफ अनुरोध पर विचार नहीं करने के कॉलेजियम के फैसले का विरोध किया था।
शीर्ष अदालत कॉलेजियम ने अनुशंसा की थी कि मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के मित्तल को मद्रास उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया जाए। कॉलेजियम में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन भी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति ताहिलरमाणी को 26 जून, 2001 को बंबई उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्हें दो अक्टूबर, 2020 में सेवानिवृत्त होना है।
बंबई उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहते हुए मई 2017 में उन्होंने बिल्किस बानो गैंगरेप मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराए जाने और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। यह मामला शीर्ष अदालत के निर्देशों पर गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित किया गया था।
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