नईदिल्ली 18 जुलाई। केंद्र सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में तैनात जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर विचार कर रही है।
सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल से बढ़ा 67 साल, वहीं हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट एज 62 साल से बढ़ा कर 64 करने पर विचार किया जा रहा है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि जजों की रिटायरमेंट एज बढ़ाने के लिए संविधान में संसोधन की जरूरत होगी. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार बुधवार से शुरू हो रहे संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में संसोधन विधेयक पेश कर सकती है. सरकार इसमें उच्चतर अदालतों में जजों की भारी कमी का हवाला दे सकती है।
उच्चतर अदालतों में जजों की कमी को देखते हुए एक संसदीय समिति ने सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने का अनुरोध किया था. विधि एवं कार्मिक मामलों पर गठित संसद की स्थाई समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था कि कोर्ट में पेंडिंग केस कम करने के लिए जजों के खाली पद को तत्काल भरा जाना चाहिए. इसने साथ ही कहा कि भविष्य में खाली होने सभी पद 1993 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय दिशानिर्देशों के आधार पर ही भरे जाएं.ॉ
समिति ने इसके साथ ही मौजूदा जजों की उम्र सीमा बढ़ाने की सिफारिश करते हुए कहा है, ‘इससे मौजूदा जजों की सेवा विस्तार में मदद मिलेगा और जिससे जजों की कमी तुरंत दूर करने और पेंडिंग केसों को निपटाने में मददगार साबित होगा।
बता दें कि विधि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 24 हाईकोर्ट में जजों के 406 पद खाली पड़े हैं. वहीं देश भर की विभिन्न अदालतों में करीब तीन करोड़ केस पेंडिंग हैं. विधि मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के 56 पद, कर्नाटक हाईकोर्ट में 38 पद, कलकत्ता हाईकोर्ट में 39, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 35, आंध्र व तेंलगाना हाईकोर्ट में 30 और बंबई हाईकोर्ट में जजों के 24 पद खाली हैं।
इससे पहले वर्ष 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने भी हाईकोर्ट के जजों की उम्र सीमा 62 से 65 साल करने का बिल पेश किया था, लेकिन वर्ष 2014 में 15वीं लोकसभा के भंग होने के कारण यह विधेयक निरस्त हो गया था।attacknews.in