नयी दिल्ली, 10 नवंबर । उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने न्यायाधीशों के नाम पर कथित तौर पर रिश्वत लिये जाने के मामले में बड़ी पीठ गठित करने के दो न्यायाधीशों की पीठ के एक आदेश को आज पलट दिया। पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ‘अदालत के मुखिया’ हैं और मामलों को आवंटित करने का एकमात्र विशेषाधिकार उनके पास है।attacknews
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि न तो दो न्यायाधीशों और न ही तीन न्यायाधीशों की कोई पीठ सीजेआई को विशेष पीठ गठित करने का निर्देश दे सकती है।
पीठ में न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय भी शामिल थे। संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ के कल के आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें उन्होंने मामले पर सुनवाई करने के लिये शीर्ष अदालत के पांच सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित करने का निर्देश दिया था।
बड़ी पीठ ने दो न्यायाधीशों की पीठ के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कोई भी पीठ तब तक किसी मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती है जब तक कि प्रधान न्यायाधीश जो ‘अदालत के मुखिया’ हैं , उन्होंने उसे मामला आवंटित नहीं किया हो।