नयी दिल्ली, नौ नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के नाम पर मेडिकल में प्रवेश से संबंधित मामले में अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिये कथित रूप से रिश्वत लिए जाने का दावा करने वाली याचिका आज संविधान पीठ को सौंप दी। न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश इस संविधान पीठ के सदस्य होंगे।attacknews
शीर्ष अदालत ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो :सीबीआई: की प्राथमिकी में लगे आरोपों को ‘परेशान’ करने वाला बताते हुये कहा कि इस याचिका पर 13 नवंबर को संविधान पीठ विचार करेगी। प्राथमिकी में एक आरोपी के रूप में उडीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश इशरत मसरूर कुद्दुसी का नाम भी है सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील दी कि चूंकि इस प्राथमिकी का मुद्दा मेडिकल में प्रवेश है और इससे संबंधित मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है, इसलिए न्यायिक और प्रशासनिक पक्ष में वह शामिल नहीं होने चाहिए। दवे के कथन की पृष्ठभूमि में संविधान पीठ का सदस्य पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों को बनाने का फैसला बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सारे मामले की जांच के लिये पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच दल गठित करने और उच्चतम न्यायालय द्वारा इसकी निगरानी करने के अनुरोध के साथ दायर इस याचिका पर केन्द्र और केन्द्रीय जांच ब्यूरो को नोटिस जारी किये।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘परिस्थितियों की समग्रता के मद्देनजर हम उचित समझते हैं कि इस मामले की सुनवाई इस न्यायालय के पांच पहले वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ करे।’’ याचिकाकर्ता वकील कामिनी जायसवाल की ओर से दवे ने सीबीआई की प्राथमिकी का हवाला दिया जिसके आधार पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) कुद्दुसी को गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत मिल गयी थी। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में सीबीआई के आरोप ‘परेशान’करने वाले हैं क्योंकि जांच एजेन्सी के अनुसार एक साजिश रची गयी थी और शीर्ष अदालत में लंबित मेडिकल कालेज में प्रवेश से संबंधित मामले में अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिये मोटी रिश्वत मांगी गयी थी।
दवे ने जोर देकर कहा कि यह मामला देश के सर्वोच्च न्यायिक मंच की ‘निष्ठा’ से जुड़ा है और सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में जांच के दौरान अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किये हैं और इस बात की आशंका है कि इस सामग्री का दुरूपयोग हो सकता है।
उन्होंने अनुरोध किया कि सीबीआई को मामले की केस डायरी सहित ये सारे दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में न्यायालय की रजिस्ट्री को सौंपने का निर्देश दिया जाये।