नयी दिल्ली, 17 फरवरी ।जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पुस्तकालय में दिसंबर में सुरक्षा बलों द्वारा विद्यार्थियों को पीटने के कुछ वीडियो क्लिपों पर सोमवार को सियासत गर्मा गई। भाजपा ने कांग्रेस पर घटना को ‘राजनीतिक रंग’ देने का आरोप लगाया तो विपक्षी पार्टी का इल्ज़ाम है कि सरकार ‘दबंगों’ के तौर पर पुलिस का ‘दुरुपयोग’ कर रही है।
यह विवाद ‘वीडियो बनाम वीडियो’ से शुरू हुआ है। दरअसल जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ‘लीक’ वीडियो के जवाब में ओल्ड रीडिंग हॉल में पुलिस की कथित ‘बर्बरता’ की सीसीटीवी फुटेज जारी कर दी। अपराध शाखा की ‘लीक’ वीडियो में कथित रूप से दिख रहा है कि 15 दिसंबर को कुछ ‘दंगाई’ पुस्तकालय में छुप रहे हैं। हालांकि इन वीडियो की सच्चाई का पता नहीं लगाया जा सका है।
भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा, ‘‘कांग्रेस असामाजिक तत्वों और हिंसा में शामिल लोगों का लगातार समर्थन कर रही है। उसने देश के सुरक्षा बलों और पुलिस के खिलाफ आवाज उठाई है।’’
जेसीसी की ओर से जारी 48 सेकेंड के वीडियो में कथित तौर पर अर्द्धसैनिक बल और पुलिस के करीब सात-आठ कर्मी ओल्ड रीडिंग हॉल में प्रवेश करते और छात्रों को लाठियों से पीटते दिख रहे हैं। ये कर्मी रूमाल से अपने चेहरे ढंके हुए भी नजर आ रहे हैं।
पांच मिनट 25 सेंकेंड के दूसरे क्लिप में लोग हड़बड़ी में विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में प्रवेश करते हुए कथित रूप से नजर आ रहे हैं। कुछ ने अपने चेहरे ढंके हुए हैं।
राव ने सवाल किया कि छात्रों ने अपना चेहरा क्यों ढंक रखा था और वे हाथों में पत्थर लेकर कौन सी पढ़ाई कर रहे थे?
राव ने सवाल किया ‘‘कौन से अकादमिक अनुशासन में विद्यार्थियों को पढ़ते समय मास्क पहनने और हाथों में पत्थर लेने की जरूरत होती है।’’
राव ने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस हमेशा उन लोगों के साथ खड़ी होती है जो देश से दुश्मनी रखते हैं।’’
भाजपा पर पलटवार करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि सत्तारूढ़ दल ‘रंगे हाथों’ पकड़ा गया है।
उन्होंने कहा, “ वे अपने दबंगों के तौर पर पुलिस बल का दुरुपयोग करने के दोषी हैं। भाजपा सरकार आरोपी है और बेगुनाह छात्रों पर हमले के मामले में दोषी है। जामिया की इस हिंसा की तफ्तीश के लिए अदालत की निगरानी में जांच वक्त की जरूरत है।”
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी पुलिस की कथित बर्बरता को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब पुलिस कर्मी सच छुपाते हैं और युवाओं के साथ कोई संवाद नहीं होता है तो लोकतंत्र की जड़ें धीरे-धीरे कमज़ोर हो जाएंगी।
सिब्बल ने एक ट्वीट में कहा, “ 15 दिसंबर को जामिया के पुस्तकालय में पुलिस की बर्बरता (टेप)। जब पुलिस कर्मी सच छुपाते हैं और युवाओं के साथ कोई संवाद नहीं होता है। जब भाषण असभ्य हो जाते हैं। जब सरकार जासूस बन जाए। और डेटा झूठ से भरा हो तो धीरे-धीरे लोकतंत्र की जड़ें कमज़ोर हो जाएंगी।”
जेसीसी जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वर्तमान और पूर्व छात्रों का संगठन है जिसे 15 दिसंबर 2019 को कथित पुलिस बर्बरता के बाद गठित किया गया था। इसकी ओर से जारी वीडियो को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को साझा किया था।
उन्होंने कहा था कि अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो सरकार की नीयत पूरी तरह से देश के सामने आ जाएगी।
उन्होंने गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस पर यह “झूठ’’ बोलने का भी आरोप लगाया कि पुस्तकालय के भीतर जामिया के छात्रों की पिटाई नहीं की गई थी।
जामिया समिति ने छात्रों पर हमला कर रहे अर्द्धसैनिक बलों का वीडियो जारी किया था-
कल जामिया समन्वयन समिति (जेसीसी) ने पिछले साल 15 दिसंबर को विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में छात्रों पर लाठीचार्ज कर रहे अर्द्धसैनिक बल और पुलिस के कर्मियों का सीसीटीवी फुटेज जारी किया था।
इस समन्वयन समिति में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र और पूर्व छात्र शामिल हैं।
विशेष पुलिस आयुक्त (खुफिया विभाग) प्रवीर रंजन ने कहा कि यह वीडियो पुलिस के संज्ञान में आया है और वे जारी जांच प्रक्रिया के तहत इसकी भी जांच करेंगे।
इस 48 सेकेंड के वीडियो में अर्द्धसैनिक बल और पुलिस के कुछ कर्मी सात से आठ कर्मी ओल्ड रीडिंग हॉल में प्रवेश करते और छात्रों को लाठी से पीटते हुए दिख रहे हैं।
जेसीसी ने रविवार तड़के यह वीडियो जारी किया।
विश्वविद्यालय 15 जनवरी को उस वक्त युद्धक्षेत्र में तब्दील हो गया था जब पुलिस परिसर के भीतर उन बाहरी लोगों को तलाश करने के लिए घुसी जिन्होंने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शैक्षणिक संस्थान से कुछ दूरी पर हिंसा और आगजनी की थी।
लाइब्रेरी में छात्रों पर की गई कथित कार्रवाई के लिए पुलिस को जनाक्रोश का सामना करना पड़ा था।
जामिया हिंसा के दोषियों पर कार्रवाई करे सरकार: प्रियंका
इधर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने जामिया हिंसा पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली पुलिस पर सच नहीं बोलने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि दोषियों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।
श्रीमती वाड्रा ने ट्वीट के साथ एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि पुलिसकर्मी जामिया के पुस्तकालय में छात्रों को पीट रहे हैं जबकि दिल्ली पुलिस और श्री शाह का कहना है कि पुलिस ने किसी भी छात्र को नहीं पीटा है।
कांग्रेस नेता ने कहा,“ देखिए कैसे दिल्ली पुलिस पढ़ने वाले छात्रों को अंधाधुंध पीट रही है। एक लड़का किताब दिखा रहा है लेकिन पुलिस वाला लाठियां चलाए जा रहा है। गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने झूठ बोला कि उन्होंने लाइब्रेरी में घुस कर किसी को नहीं पीटा।….इस वीडियो को देखने के बाद जामिया में हुई हिंसा को लेकर अगर किसी पर एक्शन नहीं लिया जाता तो सरकर की नीयत पूरी तरह से देश के सामने आ जाएगी।”
इस बीच समाजवादी पार्टी ने भी एक ट्वीट कर इस मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की है। पार्टी ने कहा, “ दिल्ली पुलिस का विध्वंसक चेहरा बेनक़ाब! गृह मंत्री के आदेश पर जामिया लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे निर्दोष छात्रों पर पुलिस के निर्मम लाठीचार्ज की समाजवादी पार्टी भर्त्सना करती है। न्यायालय से संज्ञान लेकर कार्रवाई की अपील।”