नई दिल्ली 3 अप्रैल। पीएमओ ने फर्जी खबर करने पर पत्रकारों की मान्यता रद्द करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैसले का वापस ले लिया है। इस मामले में दखल देते हुए पीएमओ ने स्मृति इरानी के मंत्रालय से कहा है कि फेक न्यूज को लेकर जारी गई प्रेस रिलीज को वापस लिया जाना चाहिए।
साथ ही पीएमओ ने कहा है कि यह पूरा मामला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए। ऐसे मामलों में सिर्फ प्रेस काउंसिल को ही सुनवाई का अधिकार है।
आपको बता दें कि सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेश की विपक्षी दलों के नेताओं ने यह कहते हुए निंदा की थी कि सेंसरशिप गलत है।
वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने कहा था कि यह कोई गाइडलाइंस नहीं है बल्कि नई बोतल में पुरानी शराब की तर्ज पर सेंसरशिप लगाने जैसा है।
बता दें कि सोमवार को सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थाई रूप से रद्द की जा सकती है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा था कि पत्रकारों की मान्यता के लिये संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी।
दूसरी बार फेक न्यूज करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी। इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार (महिला/ पुरूष) की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी।
मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद( पीसीआई) को भेजी जाएगी।attacknews.in