Home / शिक्षा / नीट, जेईई प्रवेश परीक्षाएं स्थगित करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचें 6 राज्यों के मंत्री और परीक्षा आयोजन के न्यायालय के आदेश की समीक्षा के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की attacknews.in

नीट, जेईई प्रवेश परीक्षाएं स्थगित करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचें 6 राज्यों के मंत्री और परीक्षा आयोजन के न्यायालय के आदेश की समीक्षा के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अगस्त । गैर भाजपा शासित राज्यों के छह मंत्रियों ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच इस साल नीट और जेईई प्रवेश परीक्षाएं कराने की केंद्र को अनुमति देने वाले आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया।

पुनर्विचार याचिका पश्चिम बंगाल (मलय घटक), झारखंड (रामेश्वर ओरांव), राजस्थान (रघु शर्मा), छत्तीसगढ़ (अमरजीत भगत), पंजाब (बी एस सिंधु) और महाराष्ट्र (उदय रविंद्र सावंत) के मंत्रियों की ओर से दायर की गई है।

यह याचिका अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस के माध्यम से दायर की गई है।

शीर्ष अदालत ने 17 अगस्त को, इस साल सितंबर में निर्धारित मेडिकल एवं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं – नीट और जेईई के आयोजन के मामले में हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जीवन चलते रहना चाहिए और विद्यार्थी वैश्विक महामारी के चलते अपना बहुमूल्य साल बर्बाद नहीं कर सकते।

शीर्ष अदालत ने सायंतन बिश्वास की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें नीट और जेईई दोनों परीक्षाओं का आयोजन करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को ये परीक्षाएं टालने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। न्यायालय ने कहा था कि याचिका सुनवाई करने लायक नहीं है।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन तथा तथा महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को यहां विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे परीक्षा अयोजित करने के विरुद्ध नहीं हैं बल्कि उनका विरोध इस बात को लेकर है कि सरकार ने बच्चों की महामारी के संक्रमण से सुरक्षा तथा उनके आवागमन की सुविधा को ध्यान में रखे बिना आनन फानन में यह परीक्षा आयोजित करने का फरमान जारी किया है।

जेईई-नीट परीक्षा पर छात्रों की बात सुने सरकार: सोनिया,राहुल,प्रियंका

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई प्रमुख नेताओं ने कोरोना महामारी के बीच छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) तथा राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) स्थगित करने की मांग करते हुए कहा है कि सरकार को इस मुद्दे पर छात्रों से बातचीत कर उनकी सहमति के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए।

श्रीमती गांधी ने इंजीनियरिंग तथा मेडिकल प्रवेश परीक्षा टालने के वास्ते केंद्र पर दबाव बनाने के लिए ‘स्पीकअप फाॅर स्टूडेंट्स’ कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को वीडियो जारी कर कहा “बच्चे हमारा भविष्य है और कल के बेहतर भारत के निर्माण के लिए हम उन पर निर्भर हैं इसलिए उनके भविष्य को लेकर जो भी निर्णय लिया जाता है तो यह आवश्यक है कि इसमें उनकी सहमति हो।”

श्री राहुल गांधी ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि सरकार को छात्रों की बात सुननी चाहिए क्योंकि वे बुद्धिमान हैं और उनके दिलों में इस देश का हित बसता है इसलिए इन परीक्षाओं के संबंध में कोई भी निर्णय उनसे बातचीत और उनकी सहमति के आधार पर ही लिया जाना चाहिए।”

इससे पहले सुबह उन्होंने सरकार पर यह परीक्षा आयेाजित कर छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया और कहा “लाखों परेशान छात्रों के साथ अपनी आवाज़ जोड़िए। स्पीकअप फ़ॉर स्टूडेंट सेफ्टी आज 10 बजे से। आइए, सरकार से छात्रों की बात सुनने की माँग करें।”

श्रीमती वाड्रा ने कहा “सरकार जेईई और नीट परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों और उनके माता-पिता की आवाज़ की अनदेखी नहीं कर सकती। वे हमारे देश का भविष्य हैं।महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उन्हें इस तरह से संक्रमण की तरफ धकेलना क्या उचित है। क्या वे हमारे बच्चे भी नहीं हैं।”

कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा “राष्ट्रीय छात्र संगठन-एनएसयूआई के यहां शास्त्री भवन में चल रहे विरोध-प्रदर्शन में अपनी एकजुटता दिखाने के लिए पहुंचे। भाजपा सरकार को कोविड के दौरान सुरक्षा और परिवहन को लेकर चिंतित छात्रों की आवाज जरूर सुननी चाहिए। सरकार को जेईई और नीट परीक्षा पर निर्णय लेने से पहले छात्रों की बात सुननी चाहिए।”

जेईई-एनईईटी की परीक्षा के संबंध में महाराष्ट्र सरकार विश्वविद्यालयों और छात्रों से परामर्श करेगी

महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय आर सामंत ने शुक्रवार को जेईई-एनईईटी परीक्षा आयोजित करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर विश्वविद्यालयों और छात्रों से परामर्श करेगी और फिर निर्णय लेगी कि कैसे उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू किया जाए।

उन्होंने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि महाराष्ट्र ने कभी भी परीक्षाओं को रद्द करने के लिए नहीं कहा था, लेकिन केवल उन्होंने कोविड -19 संकट के मद्देनजर उपयुक्त समय तक टालने की मांग की थी।

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