नयी दिल्ली , 23 अप्रैल। उच्चतम न्यायालय ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह और ‘ द वायर ’ से दीवानी मानहानि वाद को सुलझाने के लिए कहते हुए आज टिप्पणी की , ‘‘ प्रेस पर पाबंदी की इजाजत नहीं दी जा सकती। ’’
जय शाह ने समाचार पोर्टल और इसके पत्रकारों के खिलाफ दीवानी मानहानि वाद दायर किया है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मानहानि कानून पर दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए पक्षों से अदालत के बाहर अपने विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने को कहा।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि 18 अप्रैल को जब उसने जय शाह , ‘ द वायर ’ और इसके पत्रकारों से एक पृथक आपराधिक मानहानि मामले को निपटाने के लिए कहा था तो उसने ‘‘ माफी ’’ की कोई बात नहीं कही थी।
पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब समाचार पोर्टल के वकील ने कहा कि इस मामले में माफी का ‘‘ कोई सवाल ’’ नहीं है।
इस पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
समाचार पोर्टल और इसके पत्रकारों के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि मामला दायर करने के अलावा जय शाह ने उनके खिलाफ सौ करोड़ रुपये का दीवानी मानहानि वाद भी दायर किया था। यह विवाद समाचार पोर्टल में प्रकाशित उस लेख को लेकर है जिसमें दावा किया गया कि उनकी फर्म का टर्नओवर वर्ष 2014 में भाजपा नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद तेजी से बढ़ा।
शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के समाचार पोर्टल के खिलाफ उस पाबंदी आदेश को बहाल करने को चुनौती दी गई थी जिसमें जय शाह के कारोबार से संबंधित कोई लेख प्रकाशित करने से उसे रोका गया था।
सुनवाई के दौरान आज , पीठ ने कहा कि मामले को समझौता करके निपटाया जा सकता है।
सीजेआई ने मानहानि कानून पर दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर फैसले का जिक्र करते हुए कहा , ‘‘ जहां तक मीडिया पर पाबंदी की बात है तो हमने कई बार ‘ ना ’ कहा है। प्रेस पर पाबंदी की इजाजत नहीं दी जा सकती। ’’attacknews.in