नयी दिल्ली, 28 दिसम्बर । केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर में शासन चलाने के लिए राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं रह गया था, इसलिये वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया और अब वह वहाँ विधानसभा चुनाव कराने के लिए तैयार है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को लेकर शुक्रवार को लोकसभा में सांविधिक संकल्प पेश किया। संकल्प को सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। संकल्प पारित कराने के लिए आम तौर पर पहले चर्चा की जाती है और उसके बाद इसे पारित कराया जाता है, लेकिन इस बार संकल्प पहले पारित हो गया था और उसके बाद उस पर सदन में चर्चा करायी गयी। इसको लेकर कुछ विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर टीका-टिप्पणी भी की और कहा कि वह सदन में नये-नये तरीके अपना रही है।
राज्य में राज्यपाल शासन की छह महीने की अवधि पूरी होने के बाद 19 दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब देते हुये श्री सिंह ने कहा कि केंद्र ने राज्यपाल की सिफारिश के आधार पर वहाँ राष्ट्रपति शासन लगाने को मंजूरी दी है। राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजी अपनी सिफारिश में कहा था कि राज्य में सरकार गठन के लिए कोई विकल्प नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के गठबंधन वाली सरकार गिरने के बाद राज्यपाल ने सरकार के गठन के लिए राजनीतिक दलों से दावा पेश करने का इंतजार किया, लेकिन जब कोई दावा पेश नहीं किया गया तो वहाँ की विधानसभा को भंग करने का फैसला लिया गया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वहाँ लोकतंत्र बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी प्रतिबद्धता के तहत वहाँ स्थानीय निकायों को विशेष अधिकार दिये गये हैं। पंचायतों तथा शहरी निकायों को वित्तीय अधिकार देने के साथ ही प्रशासनिक अधिकार भी दिये गये हैं जिसके तहत पंचायतें तथा शहरी निकाय लोगों की जरूरत के अनुरूप फैसले ले सकती हैं और उनका निदान कर सकती हैं।
कांग्रेस, पीडीपी और नेकां है अलगाववादियों से भी खतरनाक:
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस की भूमिका को अलगाववादियों से भी खतरनाक करार दिया है।
लोकसभा में आज जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन संबंधी सांविधिक संकल्प पारित किये जाने के बाद इस पर हुई विशेष चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुये श्री सिंह ने कहा कि राज्य में पंचायत चुनाव के बाद किसी भी कीमत पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोकने की अन्य दलों में हड़बड़ाहट शुरू हो गयी। उन्होंने कहा, “ वहाँ प्रतिस्पर्द्धी अलगाववाद का एक दौर शुरू हो गया। कभी फौज को, कभी वायु सेना को तो कभी भारत की प्रभुसत्ता को गाली दी जाने लगी। खुले अलगावाद की तुलना में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस का अलगाववाद ज्यादा खतरनाक भूमिका में है।”
उन्होंने कहा,“ वर्ष 2015 में भाजपा के पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने पर बहुत सवाल हुये, ताने भी मारे गये। यह सच है कि वहाँ खंडित जनादेश था लेकिन यदि हम सरकार नहीं बनाते तो ताने मारने वाले लोग ही जनादेश लेकर भागने के आरोप लगाते। ”
केंद्रीय मंत्री ने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा परिस्थितियों के लिए केंद्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की ‘चूकों की श्रृंखला’ को जिम्मेदार ठहराते हुये देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर तत्कालीन गृह मंत्री को समुचित तरीके से काम नहीं करने देने का आरोप लगाया।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में भाजपा के सरकार के अलग होने के फैसले के पीछे लोगों की मंशा को कारण बताया और कहा कि लोग शिकायत कर रहे थे कि जिस एजेंडे को लेकर सरकार बनी है, वह पूरा नहीं हो रहा है।
विपक्षी दलों द्वारा राज्य में जल्द से जल्द चुनाव कराने की माँग पर श्री सिंह ने कहा कि भाजपा हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहती है। वह कोई रसोई घर की पार्टी नहीं है जहाँ माँ-बेटा खाना परोसते-परोसते सब-कुछ तय करते हैं।
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