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जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के लोगों को मिल रहा था आरक्षण जबकि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निवासियों को राज्य सरकार ने वंचित रखा था, केंद्र सरकार ने इस भेदभाव को मिटाया attacknews.in

नयी दिल्ली 02 फरवरी । सरकार ने जम्मू कश्मीर में आरक्षण के संबंध में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा का भेद खत्म कर डेढ दशक से भी अधिक समय से चली आ रही असमानता अौर भेदभाव को दूर किया है।

साथ ही उसने दो दशक से भी अधिक समय से पदोन्नति में आरक्षण के लाभ से वंचित इस राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय को इसका फायदा देने का मार्ग प्रशस्त किया है। जम्मू कश्मीर में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजाेर लोगों को भी देश के अन्य हिस्सों की तरह 10 फीसदी आरक्षण का लाभ तुरंत पहुंचाने के लिए कदम उठाया गया है।

जम्मू कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगते इलाकों में रहने वाले लोगों को भी पाकिस्तानी सेना की फायरिंग और गाेलाबारी से उतनी ही दुश्वारियों और कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है जितना नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को।

नियंत्रण रेखा के 6 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले पुंछ , राजौरी , कश्मीर तथा लद्दाख क्षेत्र के लोगों को वर्ष 2004 से उनकी कठिनाइयों को देखते हुए नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में 3 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा था जबकि अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगते जम्मू , सांबा और कठुआ जिलों के लोगों को पिछले डेढ दशक से इससे वंचित रखा गया था।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य सरकार के संबंधित प्रस्तावों को गत गुरूवार को मंजूरी देकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में रहने वाले लोगों को भी इस 3 फीसदी आरक्षण के दायरे में लाकर लंबे समय से चले आ रहे भेदभाव को दूर किया है। इससे इन जिलों में रहने वाले 300 से भी अधिक गांवों के 3 लाख से भी अधिक लोगों को फायदा मिलेगा। यह प्रावधान जम्मू कश्मीर आरक्षण कानून 2004 में संशोधन के जरिये किया गया है जिसके लिए केन्द्र सरकार फिलहाल अध्यादेश लायी है।

पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित संविधान (जम्मू कश्मीर के संबंध में)आदेश का लाभ राज्य के गुज्जर और बकरवाल समुदाय के साथ- साथ अनुसूचित जाति और जनजाति के सभी लोगों को मिलेगा। इसका प्रावधान वर्ष 1995 में संविधान में किये गये 77 वें संशोधन के जरिये किया गया था लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने जम्मू कश्मीर में इसे लागू नहीं किया जिसके चलते राज्य के इन समुदायों के लोग इस लाभ से पिछले 24 वर्षों से वंचित थे।

इसी तरह सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने के उद्देश्य से गत जनवरी में संविधान में 103 वां संशोधन किया था।

इस संशोधन को भी सरकार ने जम्मू कश्मीर में तत्काल लागू करने की मंजूरी दी है। यह आरक्षण सभी वर्गों के लिए है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की सवा करोड आबादी में से 68.31 फीसदी मुस्लिम, 28.43 फीसदी हिन्दू, 1.87 फीसदी सिख और 0.89 फीसदी बौद्ध हैं।

कश्मीर घाटी की 69 लाख आबादी में से 96.40 फीसदी मुस्लिम, 2.45 फीसदी हिन्दू, 0.98 फीसदी सिख और 0.17 फीसदी बौद्ध हैं।

जम्मू की 54 लाख आबादी में से 62.55 फीसदी हिन्दू, 33.45 फीसदी मुस्लिम, 3.30 फीसदी सिख और 0.70 फीसदी बौद्ध हैं।

लद्दाख की 2.7 लाख आबादी में से 46.4 फीसदी मुस्लिम, 39.67 फीसदी बौद्ध ,12.11 फीसदी हिन्दू और 0.83 फीसदी सिख हैं।

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