श्रीनगर/ नईदिल्ली/ हैदराबाद , 25 अगस्त । राष्ट्रीय घ्वज के साथ प्रदेश सचिवालय पर फहराये जाने वाले जम्मू कश्मीर के झंडे को यहां रविवार को हटा लिया गया । इससे तीन हफ्ते पहले केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को वापस ले लिया था । यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को अपना झंडा रखने की इजाजत थी जो लाल रंग का था जिस पर खड़ी तीन सफेद पट्टियाँ और एक सफेद हल था।
जम्मू कश्मीर के झंडे को तिरंगे झंडे के साथ प्रतिदिन सचिवालय पर फहराया जाता था । जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों..जम्मू कश्मीर और लद्दाख… में बांटने वाला कानून प्रभाव में आने के बाद राज्य के झंडे को 31 अक्टूबर को हटाया जाना था ।
अधिकारियों ने बताया कि यद्यपि रविवार सुबह सचिवालय की इमारत के ऊपर केवल तिरंगा ही फहराया गया।
उन्होंने बताया कि राज्य के झंडे को अन्य इमारतों से भी हटाया जाएगा। झंडे को राज्य संविधान सभा द्वारा सात जून 1952 को अपनाया गया था।
झंडे पर तीन पट्टियां राज्य के तीन क्षेत्रों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का प्रतिनिधित्व करती थीं।
केंद्र ने पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त कर दिया था जो कि जम्मू कश्मीर राज्य को निवास और सरकारी नौकरियों के लिए विशेष दर्जा प्रदान करते थे। संसद ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूर किया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का विधेयक भी पारित कर दिया।
बाद में नौ अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी जो कि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटता है और यह 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएगा।
पांच अगस्त को कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों में लगी पाबंदियां अभी बरकरार है।
राज्यपाल ने कहा- संचार पाबंदियों से बहुत सी जिंदगियां बची:
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को राज्य में दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की किसी कमी से इनकार करते हुए कहा कि संचार माध्यमों पर पाबंदियों की वजह से वहां बहुत सी जिंदगियां बचीं।
मलिक ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई है।
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि राज्य में प्रतिबंध कब तक जारी रहेंगे, उन्होंने कहा, “अगर संचार माध्यमों पर अंकुश लगाने से जिंदगी बचाने में मदद मिलती है तो इसमें क्या नुकसान है?”
मलिक ने कहा कि पूर्व में जब कश्मीर में संकट होता था, तो पहले ही हफ्ते में कम से कम 50 लोगों की मौत हो जाती थी।
उन्होंने कहा, “हमारा रवैया था कि इंसानी जान नहीं जानी चाहिए। 10 दिन टेलीफोन नहीं होंगे, नहीं होंगे, लेकिन हम बहुत जल्द सब वापस कर देंगे।”
मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कहीं भी दवाओं और आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं है और लोगों की खरीद के लिए पर्याप्त उपलब्धता है।
उन्होंने कहा, “वास्तव में, ईद में हमने लोगों के घरों पर मीट, सब्जियों और अंडों की आपूर्ति की।”
राज्यपाल पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे। जेटली का शनिवार को यहां एम्स में निधन हो गया था।
जेटली को याद करते हुए मलिक ने कहा कि वह जेटली ही थे जिन्होंने पिछले साल जम्मू कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी लेने के लिए उन पर जोर डाला था।
उन्होंने कहा, “अरुण जेटली ने मुझे सलाह दी थी कि मैं राज्यपाल की जिम्मेदारी लूं। उन्होंने मुझसे कहा कि यह ऐतिहासिक होगा। उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि उनकी ससुराल के लोग जम्मू से हैं।”
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा ने कही पाकिस्तान की भाषा:
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के राजग सरकार के कदम को ‘‘असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक’’ बताते हुए रविवार को कहा कि कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं।
राजा दिल्ली से गए विपक्षी दलों के उस 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जो जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद घाटी के हालात का जायजा लेना चाहता था।
हालांकि, प्रशासन ने शनिवार को विपक्षी नेताओं को श्रीनगर हवाईअड्डे से बाहर निकलने नहीं दिया।
भाकपा नेता ने यहां ‘‘अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और कश्मीर स्थिति’’ पर पार्टी की एक बैठक में कहा, ‘‘कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं। लोगों को यह समझना चाहिए। वहां टेलीफोन नहीं चल रहा है। सरकार कह रही है कि लैंडलाइन चल रहे हैं लेकिन नहीं, हमने कोशिश की थी। न इंटरनेट चल रहा है और न ही टेलीफोन काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘स्कूल और कॉलेज खुले हैं लेकिन कोई भी छात्र नहीं आ रहा है। माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। लोग अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं। कश्मीर में कर्फ्यू है। अगर सबकुछ सामान्य है तो इसे क्यों जारी रहना चाहिये। है।’’
राजा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने संविधान को ताक पर रखकर जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार किसी भी राज्य का विभाजन करने के पहले राज्य की विधानसभा से विचार-विमर्श किया जाना होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने जो किया है वह असंवैधानिक है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करना असंवैधानिक है। यह अलोकतांत्रिक है। यह भारतीय लोकतंत्र के संघीय सिद्धांतों के विरुद्ध है।’’
भाकपा नेता ने कहा कि कश्मीर आजादी के बाद भारत का हिस्सा बना था जबकि भाजपा और आरएसएस दावा कर रहे हैं कि इस अशांत क्षेत्र को ‘‘मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शामिल किया गया।’’