नयी दिल्ली 16 सितम्बर । जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेन्स के वरिष्ठ नेता फारूख अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में रखा गया है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से श्री अब्दुल्ला श्रीनगर में उनके घर में नजरबंद थे। आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि श्री अब्दुल्ला को अब सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में रखा गया है।
राज्य सरकार के इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये दो वर्ष तक हिरासत में रखा जा सकता है। राज्य का विशेष दर्जा हटाये जाने के बाद सरकार ने वहां कई तरह की पाबंदी लगा दी थी। कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए श्री अब्दुल्ला और कई अन्य बड़े नेताओं को भी नजरबंद रखा गया था।
सरकार ने गत अगस्त में राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि एमडीएमके प्रमुख एवं राज्यसभा सांसद वाइको ने श्री अब्दुल्ला की नजरबंदी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को आज नोटिस जारी किया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने वाइको की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या श्री अब्दुल्ला हिरासत में हैं? इस पर श्री मेहता ने जवाब दिया कि वह इस बारे में संबंधित विभाग से जानकारी हासिल करेंगे।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने वाइको की ओर से याचिका दायर करने के ‘अधिकार’ पर सवाल खड़े किये, लेकिन न्यायालय उनकी दलीलों से असंतुष्ट नजर आया और उसने केंद्र को नोटिस जारी करके जवाब देने को कहा।
शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 30 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की है।
वाइको ने अपनी याचिका में दावा किया है कि श्री अब्दुल्ला को 15 सितंबर को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी एन अन्नादुरई की जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन गत पांच अगस्त से ही उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने श्री अब्दुल्ला को सशरीर अदालत के समक्ष पेश करने का केंद्र को निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया।
श्री वाइको ने कहा है कि श्री अब्दुल्ला को हिरासत में रखा गया है, केंद्र सरकार उन्हें रिहा करे ताकि वह समारोह में हिस्सा ले सकें।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद से वहां के प्रमुख दलों के नेताओं को नजरबंद रखा गया है, जिनमें श्री अब्दुल्ला भी शामिल हैं।