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सांडों काबू करने के खेल में घायल हो चुके हैं अब तक 79 लोग Attack News

मदुरै (तमिलनाडु), 15 जनवरी । तमिलनाडु के मदुरै जिले के पलामेदु इलाके में आज जल्लीकट्टू (सांड़ों को काबू करने का खेल) के दौरान 11 प्रतिस्पर्धी जख्मी हो गए।

तमिलनाडु के राजस्व मंत्री आर बी उदयकुमार ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जिसमें करीब 1,000 सांड़ों और सैकड़ों खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।

पलामेदु जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है। जल्लीकट्टू के खेल में विजयी हुए प्रतिस्पर्धियों को आकर्षक पुरस्कार दिए गए। इसी तरह, खिलाड़ियों को मात देने वाले सांड़ों को भी पुरस्कृत किया गया।

पुलिस ने बताया कि करीब 1,200 जवानों की तैनाती कर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। घायल हुए 11 खिलाड़ियों का इलाज तुरंत मेडिकल कैंप में कराया गया और फिर उन्हें घर भेज दिया गया।

तमिलनाडु के पालामेडु जिले में सोमवार को जल्लीकट्टू खेल देखने के दौरान एक 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि खेल के ‘क्लेक्शन प्वॉइंट’ के दौरान युवक सांड की चपेट में आ गया.

बताया जा रहा है कि कालीमुथु नाम का ये व्यक्ति जल्लीकट्टू खेल देख रहा था. इसी दौरान उसने वाडीवसल( जल्लीकट्टू रिंग) में घुसने की कोशिश की. इस दौरान ही वो एक साड़ की चपेट में आ गया. उसे स्थानीय अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसके अलावा 28 अन्य लोग इस खेल में घायल हुए हैं.

रविवार को इस खेल में भाग लेने वाले 704 साड़ों की जांच की गई जिसमें से 61 साड़ अनफिट पाए गए. प्रतिभागियों के भी स्वास्थ्य की जांच की गई. 576 में से केवल 479 लोगों को ही खेलने योग्य पाया गया.

अब तक इस घटना में 79 लोग घायल हो चुके हैं. इस खेल का फाइनल अलंगनल्लूर गांव में मंगलवार को आयोजित किया जाएगा. फाइनल खेल में मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और उप-मुख्यमंत्री ओ पन्नीसेल्वम के भी शामिल होने की उम्मीद है.

बता दें इस खतरनाक ग्रामीण खेल ने पिछले कुछ सालों से देश का ध्यान अपनी ओर खींचा. इस खेल को बंद करने के लिए लोगों ने प्रदर्शन भी किए. हालांकि स्थानीय लोग परंपरा का हवाला देकर इस खेल पर रोक लगाने का विरोध करते रहे हैं.attacknews.in

इस खेल में सांडों को वश में किया जाता है और इसके बाद इन्हें लोगों की भीड़ पर छोड़ दिया जाता है. प्रतिभागी इसमें सांडों को सींग और कूबड़ से पकड़ने की कोशिश करते हैं. इस खेल को मट्टू पोंगल के दौरान आयोजित किया जाता है. लोकप्रिय फसल त्योहार के तीसरे दिन ये मनाया जाता है.

इस परंपरा का नाम तमिल शब्द सल्ली से लिया गया है. ‘सल्ली’ का मतलब होता है ‘सिक्का’ और ‘कट्टू’ का मतलब होता है ‘बांधना’. इस खेल में सांडों के सीगों पर कपड़े से सिक्कों को बांधा जाता है और प्रतिभागी अपना जान जोखिम में डालकर सीगों से वो सिक्के निकालने की कोशिश करता है. अगर प्रतिभागी इसमें सफल होता है तो उसे इनाम में सिक्के या पैसे मिलते हैं.attacknews.in

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