नईदिल्ली 19 नवम्बर । पंजाब के अमृतसर में ऐतिहासिक जलियांवाला बाग के न्यास प्रबंधन से संबंधित जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधयेक 2019 पर मंगलवार को संसद की मुहर लग गयी।
राज्यसभा ने भोजनावकाश के बाद लगभग तीन घंटे की बहस के पश्चात इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिए ‘ जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951’ में संशोधन होगा।
इस विधेयक को लोकसभा पिछले सत्र में पारित कर चुकी है। राज्यसभा में यह विधेयक सात अगस्त को पेश किया गया था।
विधेयक में कांग्रेस के सुब्बीरामी रेड्डी ने एक संशोधन पेश किया था जिसे उन्होंने वापस ले लिया।
पर्यटन एवं संस्कृति प्रह्लाद सिंह पटेल ने बहस का जवाब देेते हुए कहा कि सरकार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सभी शहीदों काे सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक इसी दिशा में एक कदम है।
विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग न्यास की स्थापना 1921 में की गयी थी और इसमें जनता ने धन दिया था। वर्ष 1951 में नये न्यास का गठन किया गया और इसमें व्यक्ति विशेष काे सदस्य बनाया गया और किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को इसमें शामिल नहीं किया गया।
उन्होेंने पिछले सरकारों पर न्यास के प्रबंधन की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार न्यास में निर्वाचित अौर संवैधानिक तथा प्रशासनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों को शामिल कर रही है। इसमें कोई व्यक्ति विशेष नहीं होगा और नामित व्यक्ति प्रत्येक पांच वर्ष के बाद बदल दिये जाएगें।
उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया कि न्यास में शहीदों के परिजनों को भी शामिल किया जाएगा। मौजूदा न्यास का कार्यकाल 2023 में समाप्त होगा तो नये सदस्यों में शहीदों के परिजन भी होंगे।
विपक्ष ने की जलियांवाला बाग ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव वापस लेने की मांग:
इससे पहले कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने केन्द्र से जलियांवाला बाग ट्रस्ट के न्यासी मंडल में कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन स्थायी सदस्य बनाने का प्रावधान खत्म करने के कानूनी प्रस्ताव को वापस लेने का अनुरोध किया और शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने का सुझाव दिया।
राज्यसभा में मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने जलियांवाला बाग से कांग्रेस के भावनात्मक लगाव को इतिहास का सच बताते हुये कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुये इस जघन्य हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था।
उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ देश भर में उपजे आक्रोश के कारण कांग्रेस की अगुवाई में आजादी का संग्राम शुरु हुआ और जलियांवाला बाग की कड़वी यादों को संजोने के लिये बने ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
बाजवा ने कहा, ‘‘इस स्थल से हमारा भावनात्मक रिश्ता है, सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुये इस ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं हटाना चाहिये। साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से किसी न्यासी को हटाने का अधिकार सरकार को देने का प्रावधान भी उचित नहीं है।
उल्लेखनीय है कि एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरु होने पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 को चर्चा के लिये सदन के पटल पर प्रस्तुत किया।
उन्होंने लोकसभा द्वारा यह विधेयक पहले ही पारित किये जाने का हवाला देते हुये सदन से इसमें शामिल तीन मामूली संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी देने की अपील की।
पटेल ने कहा कि ये संशोधन ट्रस्ट में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या दूसरे सबसे बड़े दल के नेता को शामिल करने, कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद को ट्रस्ट से हटाने और पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी न्यासी को निलंबित करने का सरकार को अधिकार देने से संबंधित हैं।
बीजद के प्रसन्न आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने सरकार से कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से हटाने का संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का सुझाव दिया।
सपा के रामगोपाल यादव ने भी सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से किसी को हटाने के बजाय इस ऐतिहासिक स्थल को यादगार बनाने, शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने और उन्हें उचित सुविधायें मुहैया कराने पर ध्यान देने का सुझाव दिया।
विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से संसद भवन और जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा लगाने तथा उन्हें भारत रत्न देने की मांग की।
भाजपा के श्वेत मलिक, जदयू के आरसीपी सिंह और अन्नाद्रमुक के एस मुत्थुकुमारुपन ने संशोधन प्रस्तावों का स्वागत करते हुये कहा कि इतिहास को बदलने की विपक्ष की चिंता व्यर्थ है।
मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग में 70 सालों से व्याप्त बदहाली बताती है कि कांग्रेस की चिंता सिर्फ ट्रस्ट में अपने लोगों को शामिल कराने तक सीमित रही।
विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के केके रागेश ने आशंका जतायी कि सरकार ट्रस्ट पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के पीछे सरकार के इरादे नेक नहीं हैं।
द्रमुक के टी शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग अब पर्यटक केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि स्मारक स्वतंत्रता की आजादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है और जरूरत इस बात की है कि स्मारक की मूल भावना बहाल होनी चाहिए। उन्होंने अफसोस जताया कि स्मारक का उचित तरीके से रखरखाव नहीं किया जा रहा है।
शिवा ने कहा कि जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों के परिवारों का ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को हटाना उचित नहीं है।
मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक है और यह पूरे देश का है।
शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू तथा ऊधम सिंह जैसे शहीदों को याद कर उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन शहीदों के परिवारों की मदद करते हुए उन्हें सम्मानित करना चाहिए।
निर्दलीय रीताव्रता बनर्जी ने रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा जलियांवाला बाग की घटना का विरोध किए जाने का जिक्र किया और मांग की कि जलियांवाला बाग स्मारक में टैगोर की भी प्रतिमा लगायी जानी चाहिए।
वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि किसी पार्टी का अध्यक्ष होना उस ट्रस्ट का सदस्य होने का आधार नहीं होना चाहिए।
भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आजादी के लिए जितने प्रयास हुए, हमें उन सब को समान रूप से देखना चाहिए। उन्होंने विधेयक के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि हर पद पर आसीन व्यक्ति को पद से हटाने की प्रक्रिया और व्यवस्था होती है। उसी प्रकार इस ट्रस्ट के सदस्यों को भी हटाने की व्यवस्था की बात की गयी है। उन्होंने कहा कि यह उचित और युक्तिसंगत है।
कांग्रेस सदस्य एल हनुमंथैया ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि वह ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को क्यों हटाना चाहती है। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की।
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह के पौत्र किसान थे और कर्ज के कारण उन्होंने पिछले साल आत्महत्या कर ली थी। सिंह ने कहा कि सरकार को शहीदों के परिवारों की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि एक दिन पहले प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के एक नेत्रहीन छात्र की पिटाई की गयी।
चर्चा में बीपीएफ के विश्वजीत दैमारी, एमडीएमके के वाइको, राजद के मनोज के झा, बसपा के राजा राम और भाकपा के विनय विश्वम और भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने भी भाग लिया।