नईदिल्ली 29 अगस्त। जैन मुनि – राष्ट्र संत तरुण सागर की हालत गंभीर है। महाराजश्री का दिल्ली में उपचार चल रहा है,डॉक्टरों के अनुसार उनकी गंभीर बीमारी के चलते स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है।मुनिश्री ने अन्न-जल का त्याग कर दिया है।
महाराज के गुरु पुष्पदंत सागरजी का एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में भी पुष्पदंत सागरजी कह रहे हैं कि तरुण सागर जी की स्िथति गंभीर है। उन्होंने इस वीडियो में समाधि को लेकर भी निर्देश जारी किए हैं। गुरु ने इस संबंध में समाजजनों को एक पत्र भी लिखा है।
तरुणसागर जी अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने के भी महती प्रयास किए हैं। कई राज्यों की विधानसभाओं में भी उनके प्रवचन रखे गए।
तरुण सागर जी का दिल्ली में मैक्स हॉस्पिटल में उपचार चल रहा है। आसपास के सभी संत सौरभ सागर , अनुमान सागर, शिवानंद , प्रश्मानंद, सौभाग्य सागर आदि मुनिश्री से मिलने के लिए राधे पूरी की ओर विहार कर रहे हैं।
कौन हैं तरुण सागर?
तरुण सागर एक दिगंबर मुनि हैं. 26 जून 1967 को पैदा हुए पवन कुमार जैन के माता और पिता का नाम शांति बाई जैन और प्रताप चन्द्र जैन था. ये दमोह, मध्य प्रदेश में पैदा हुए थे. 20 साल की उम्र में आचार्य पुष्पदन्त सागर ने इन्हें दिगंबर मुनि घोषित कर दिया था. इन्होंने एक दिगंबर मुनि होने की शर्तों का पालन करते हुए वस्त्र त्याग दिए और सभी जगह पैदल चलने लगे. मगर 2007 में इनकी तबीयत काफी खराब हो गई और ये पालकी से चलने लगे.
जैन मुनि जहां राजनीति और राजनीतिक लोगों से दूरी बना कर रखते हैं, वहीं तरुण सागर इस मामले में अपवाद हैं. 2010 में इन्होंने मध्य प्रदेश असेम्बली और अगस्त 2016 में इन्होंने हरियाणा स्टेट असेम्बली में अपने प्रवचन सुनाये.
तरुण सागर जैन अपने बचपन का एक किस्सा सुनाते हैं. वो इसी किस्से के बाद घर से चले गये और मुनि बनने की प्रक्रिया में लिप्त हो गए. तरुण जैन बताते हैं कि उन्हें बचपन में जलेबियां बहुत पसंद थीं. वो एक दिन रास्ते में जा रहे थे और उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी – “तुम भी भगवान बन सकते हो.” ये आवाज़ थी पुष्पदंत सागर जी की. इसी बात के बाद तरुण सागर ने अपना घर छोड़ दिया.
तरुण सागर देश के प्रधानमंत्री मोदी को काफ़ी पसंद करते हैं और लव जिहाद के मसले में भी राय रखते हैं. उनके अनुसार लव जिहाद हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम में बदल देने की मुस्लिमों की साज़िश है. तरुण सागर मदिरापान और मांस-भक्षण के भी सख्त खिलाफ़ हैं.
तरुण सागर को जब सितंबर 2009 में नागपुर में विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बुलाया था तो उन्होंने वहां पर कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता जो चमड़े की बेल्ट पहनते हैं उससे उनके अहिंसक होने की बात झूठी साबित होती है. तब से आरएसएस ने अपनी ड्रेस में चमड़े की बेल्ट की जगह कपड़े की बेल्ट शामिल करवा दी थी.
भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 के मुताबिक़ देश के हर नागरिक को जीने का हक़ है. लेकिन जैन धर्म में संथारा या सल्लेखाना नाम की एक रस्म होती है. इसमें कोई भी जैन व्यक्ति भूखा रहकर स्वेच्छा से प्राण त्याग सकता है. ये प्रथा असंवैधानिक है. 2006 में निखिल सोनी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया के केस में राजस्थान हाई कोर्ट ने सल्लेखाना को बैन कर दिया था. तरुण सागर ने जमकर हाई कोर्ट के इस आदेश का विरोध किया था।attacknews.in