श्रीहरिकोटा( आंध्रप्रदेश) 27 नवंबर । आसमान में भारत की आंख कहे जाने वाले तीसरी पीढ़ी के उन्नत भू-सर्वेक्षण उपग्रह कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। इसके साथ प्रक्षेपित किये गये अमेरिका के 13 छोटे उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक उनकी कक्षाओं में भेज दिया गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार की सुबह उपग्रह कार्टोसैट-3 का सफलापूर्वक प्रक्षेपण कर देश की सुरक्षा और विकास के लिए नया इतिहास रच दिया तथा अगले साल मार्च तक 13 और उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है।
इस उपग्रह के प्रक्षेपित होने के बाद अब भारतीय सेनाएं पाकिस्तान की नापाक हरकत और उनकी आतंकी गतिविधियों पर बाज जैसी नजर रख पाएंगी तथा जरूरत पड़ने पर इसकी मदद से सर्जिकल या एयर स्ट्राइक भी कर पाएंगी।
कार्टोसैट-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा,“मैं इसरो टीम को पीएसएलवी-सी 47 के जरिये स्वदेशी कार्टोसैट-3 उपग्रह और अमेरिका के एक दर्जन से अधिक नैनो उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के लिए बधाई देता हूं। कार्टोसैट-3 हमारी हाई रिज्योलूशन इमेजिन क्षमता को बढ़ाएगा। इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है।”
कार्टोसैट-3 को बुधवार सुबह श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। यह दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेगा। इसे ले जाने वाले राॅकेट पीएसएलवी से अमेरिका के 13 छोटे उपग्रह भी भेजे गए। इसके पहले कार्टोसेट सीरीज के आठ उपग्रह भेजे जा चुके हैं।
बेहतर क्षमता और नवीनतम तकनीकी वाला यह उपग्रह श्रीहरिकोटा केंद्र से सुबह 9:28 बजे रवाना हुआ।
इसरो ने बताया, हाल ही में बनाई गई व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड ने पहले ही 13 अमेरिकी नैनोसैटलाइट प्रक्षेपित करने के लिए समझौता किया था। करीब 1625 किलोग्राम वजनी कार्टोसेट-3 को 509 किलोमीटर दूर कक्षा में स्थापित किया गया है जहां से वह पड़ोसी देशों की आतंकवादी गतिविधियों पर भी पैनी निगाह रखेगा।
उपग्रह के लिए इसरो ने मंगलवार सुबह 7:28 बजे उल्टी गिनती (काउंटडाउन) शुरू किया था। कार्टोसेट अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट ऐसी सैटेलाइट है जिससे पृथ्वी की साफ तस्वीर ली जा सकती है। इसकी तस्वीर इतनी साफ होगी कि किसी व्यक्ति के हाथ में बंधी घड़ी के समय को भी स्पष्ट देखा जा सकेगा। मुख्य रूप से इसका काम अंतरिक्ष से भारत की जमीन पर नजर रखना है।
इसरो अप्रैल और मई में दो सर्विलांस सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है। गत 22 मई को सर्विलांस सैटेलाइट रीसैट-2 बी और एक अप्रैल को ईएमआईसैट लॉन्च किया गया था। दोनों का मुख्य काम दुश्मनों की रडार पर नजर रखना है। सैटेलाइट के साथ इसरो भारत की रणनीतिक तैयारियों तथा विकास कार्याें एवं प्राक़तिक आपदाओं से बचाने में भी अभूतपूर्व योगदान दे रहा है।
300 विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण की उपलब्धि इसरो के नाम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को पीएसएलवी-सी47 के जरिए अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण करने के साथ ही 300 से अधिक विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण करने की बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।
इसरो ने आज भारत के अपने भू-सर्वेक्षण उपग्रह कार्टोसैट-3 के साथ-साथ अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसके साथ ही इसरो अन्य देशों के मुकाबले बहुत ही कम पैसों में 310 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने वाला संगठन बन गया है।
इसरो ने यह सफलता प्रक्षेपण यान पीएसएलवी की मदद से हासिल की है। इसरो इससे पहले पीएसएली के माध्यम से एक मिशन में 100 से अधिक उपग्रहों का प्रक्षेपण कर चुका है। पीएसएलवी इसरो के लिए सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण वाहन साबित हुआ है।
अभी तक भारत ने पीएसएलवी रॉकेट से 297 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है और आज इसने पीएसएलवी-सी47 मिशन के साथ ही 310 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण करने की उपलब्धि हासिल कर ली।
अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों के प्रक्षेपण को इसरो की व्यावसायिक इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के तहत आज के इस अभियान में शामिल किया गया।