बेगलुरु 07 सितंबर । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने शनिवार को कहा कि लैंडर का नियंत्रण केंद्र से संपर्क टूट जाने के बावजूद चंद्रयान मिशन लगभग शत-प्रतिशत सफल रहा है और गगनयान समेत भविष्य का कोई भी मिशन आज की घटना के कारण प्रभावित नहीं होगा।
‘ डीडी न्यूज’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में डॉ. शिवन ने कहा कि लैंडर से संपर्क टूटना न तो मिशन की विफलता है और न ही इसरो के लिए कोई झटका। लैंडर विक्रम से संपर्क दुबारा स्थापित करने के प्रयास लगातार जारी रहेंगे और संपर्क होते ही रोवर को सक्रिय कर दिया जायेगा।
डॉ. शिवन ने कहा,“ विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग में 30 किलोमीटर की ऊँचाई से सतह तक उतरने में चार चरण थे। इनमें तीन चरण सफलता पूर्वक पूरे किये गये। हम सिर्फ आखिरी चरण पूरा नहीं कर सके। तब तक लैंडर से हमारा संपर्क टूट गया।”
उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर बिल्कुल अच्छी तरह काम कर रहा है और इस मामले में हमने जो लक्ष्य तय किये थे, तकरीबन सभी हासिल कर लिए हैं। वैसे तो चंद्रमा की कक्षा में ऑर्बिटर एक साल तक चक्कर लगाना तय किया गया है, लेकिन उसमें साढ़े सात साल के लिए ईंधन है। इस साढ़े सात साल में वह पूरे चंद्रमा की मैपिंग कर सकेगा।
इससे पहले आज तड़के से सुबह के घटनाक्रम में ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के चांद की सतह को छूने से चंद मिनटों पहले जमीनी स्टेशन से उसका संपर्क टूटने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वे मिशन में आई रुकावटों के कारण अपना दिल छोटा नहीं करें, क्योंकि ‘‘नई सुबह होगी और बेहतर कल होगा।’’
भारत के चंद्रयान-2 मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया।
भारतीय अनुसंधान संगठन (इसरो) के लैंडर से संपर्क टूटने की घोषणा के बाद मोदी ने एक भाषण में आशावाद, एकजुटता और उम्मीद का संदेश दिया। इस भाषण का सीधा प्रसारण किया गया।
उन्होंने कहा कि देश को वैज्ञानिकों पर गर्व है और वह उनके साथ खड़ा है।
मोदी ने कहा, ‘‘हम बहुत करीब पहुंच गए थे लेकिन अभी हमें और आगे जाना होगा। आज से मिली सीख हमें और मजबूत तथा बेहतर बनाएगी। देश को हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों और वैज्ञानिकों पर गर्व है। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में अभी सर्वश्रेष्ठ होना बाकी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रयास सार्थक रहे और यात्रा भी। यह हमें और मजबूत तथा बेहतर बनाएगी। एक नयी सुबह होगी और बेहतर कल होगा। मैं आपके साथ हूं, देश आपके साथ है।’’
प्रधानमंत्री ने लैंडर से संपर्क टूटने के कारण हताश माहौल को बदलने के लिए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि हमारी कविताओं और साहित्य में चांद को प्यार की इतनी उपमाओं से जोड़ा गया है कि अगर आज की घटना का जिक्र होगा तो यह कहा जाएगा कि चंद्रयान अपने आखिरी कदमों पर चांद को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा।
उन्होंने कहा कि कवि इस तरह उसकी व्याख्या करते। उन्होंने कहा कि चंद्रमा को छूने की इच्छाशक्ति अब और अधिक मजबूत तथा और प्रबल हो गई है।
इससे पहले मोदी ने यहां इसरो केंद्र से लैंडर के चंद्रमा की सतह की ओर जाने की प्रक्रिया देखी।
प्रधानमंत्री ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिए अपने करीब 25 मिनट के भाषण की शुरुआत ‘‘भारत माता की जय’’ के उद्घोष से की। उन्होंने कहा कि वह वैज्ञानिकों की कुछ घंटे पहले की भावनाओं को समझ सकते हैं, जब यह स्पष्ट हो गया था कि चंद्रयान-2 अपनी अंतिम यात्रा पर तय योजना के अनुसार नहीं जा सका।
उन्होंने कहा, ‘‘आपकी आंखों ने काफी कुछ बयां कर दिया और मैं आपके चेहरे की निराशा को पढ़ सकता था। मैंने भी आपके साथ उन क्षणों को उतना ही महसूस किया।’’
उन्होंने कहा कि इसलिए वह सुबह उनके साथ लंबे वक्त तक नहीं रुक सके और वापस आ गए। उन्होंने कहा कि वह उन्हें भाषण देना नहीं चाहते बल्कि उन्हें प्रेरित करना चाहते हैं।
वह इस मौके पर निराश और भावुक दिख रहे इसरो प्रमुख के. सिवन को गले लगाते और उन्हें दिलासा देते हुए भी देखे गए।
मोदी ने कहा, ‘‘जब मिशन के साथ संपर्क टूटने का संदेश आया तो आप सब हिल गए।’’ उन्होंने उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा कि इससे भविष्य की सफलताओं के लिए उनका संकल्प और मजबूत होगा।
मोदी ने मंगल मिशन समेत इसरो के कई सफल मिशनों को याद करते हुए कहा कि विज्ञान में कोई नाकामी नहीं होती बल्कि केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं।
उन्होंने कहा कि गर्व करने और प्रसन्न होने के लिए और कई मौके आएंगे। उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिक मक्खन पर नहीं, बल्कि पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आप जितना संभव हो सकता था उतने करीब आए। अब आगे की ओर देखो।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले भी निराशाजनक क्षण रहे हैं लेकिन हमारा जज्बा नहीं टूटा है।
उन्होंने इसरो को ‘‘सफलता का खजाना’’ बताया और कहा कि रुकावट के कुछ क्षण उसकी उड़ान को लक्ष्य से भटका नहीं सकते। उन्होंने कहा कि कोई भी बाधा भारत को 21वीं सदी में अपने सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से नहीं रोक सकती।
इससे पहले चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लैंडर का संपर्क टूट जाने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों से कहा,‘‘देश को आप पर गर्व है। सर्वश्रेष्ठ के लिए उम्मीद करें। हौसला रखें। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।’’
लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया।
‘विक्रम’ ने ‘रफ ब्रेकिंग’ और ‘फाइन ब्रेकिंग’ चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया। इसके साथ ही वैज्ञानिकों और देश के लोगों के चेहरे पर निराशा की लकीरें छा गईं।
इसरो अध्यक्ष के. सिवन इस दौरान कुछ वैज्ञानिकों से गहन चर्चा करते दिखे।
उन्होंने घोषणा की कि ‘विक्रम’ लैंडर को चांद की सतह की तरफ लाने की प्रक्रिया योजना के अनुरूप और सामान्य देखी गई, लेकिन जब यह चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था तो तभी इसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। डेटा का अध्ययन किया जा रहा है।
बाद में इसरो ने कहा कि डेटा का अध्ययन किया जा रहा है और निर्धारित संवाददाता सम्मेलन रद्द किया जाता है।
मोदी चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का सीधा नजारा देखने के लिए यहां स्थित इसरो केंद्र पहुंचे थे। हालांकि, लैंडर से संपर्क टूट जाने के कारण ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के बारे में कोई सूचना नहीं मिल पाई।
प्रधानमंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों से कहा कि देश को उन पर गर्व है और उन्हें हौसला रखना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हौसला रखें…सर्वश्रेष्ठ के लिए उम्मीद करें।’’
मोदी ने इसरो प्रमुख के. सिवन की पीठ भी थपथपाई।
लैंडर से संपर्क टूट जाने की घोषणा से कुछ मिनट पहले सिवन ने मोदी को इस बारे में जानकारी दी।
मोदी ने बाद में एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारत को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है। उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है और भारत को हमेशा गौरवान्वित किया है। ये क्षण हौसला रखने के हैं और हम हौसला रखेंगे। इसरो अध्यक्ष ने चंद्रयान-2 पर अपडेट दिया। हमें उम्मीद है और हम अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में कठिन परिश्रम जारी रखेंगे।’’
वहीं, ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट जाने के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि देश को इसरो के वैज्ञानिकों पर गर्व है।
कोविन्द ने ट्वीट किया, ‘‘चंद्रयान-2 मिशन के साथ इसरो की समूची टीम ने असाधारण प्रतिबद्धता और साहस का प्रदर्शन किया है। देश को इसरो पर गर्व है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करते हैं।’’
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी इसरो वैज्ञानिकों से कहा कि वे निराश न हों और उनकी उपलब्धियों पर देश को गर्व है।
इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा कि देश इसरो के साथ खड़ा है और उसका प्रयास व्यर्थ नहीं जाएगा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसरो वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने मिशन पर बेहतरीन काम किया तथा कई और महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों की नींव रखी है।
गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘इसरो को ‘चंद्रयान-2’ मिशन पर उसके बेहतरीन कार्य के लिए बधाई। आपका भाव और समर्पण हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है। आपका काम व्यर्थ नहीं जाएगा। इसने कई और महत्वपूर्ण तथा महत्वाकांक्षी भारतीय अंतरिक्ष मिशनों की नींव रखी है।’’
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा कि समूचा देश इस समय इसरो की टीम के साथ खड़ा है। अंतरिक्ष एजेंसी के कठिन परिश्रम और प्रतिबद्धता ने देश को गौरवान्वित किया है।
भारतीय अनुसंधान संगठन (इसरो) के लैंडर से संपर्क टूटने की घोषणा के बाद मोदी ने एक भाषण में आशावाद, एकजुटता और उम्मीद का संदेश दिया। इस भाषण का सीधा प्रसारण किया गया।
उन्होंने कहा कि देश को वैज्ञानिकों पर गर्व है और वह उनके साथ खड़ा है।
मोदी ने कहा, ‘‘हम बहुत करीब पहुंच गए थे लेकिन अभी हमें और आगे जाना होगा। आज से मिली सीख हमें और मजबूत तथा बेहतर बनाएगी। देश को हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों और वैज्ञानिकों पर गर्व है। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में अभी सर्वश्रेष्ठ होना बाकी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रयास सार्थक रहे और यात्रा भी। यह हमें और मजबूत तथा बेहतर बनाएगी। एक नयी सुबह होगी और बेहतर कल होगा। मैं आपके साथ हूं, देश आपके साथ है।’’
प्रधानमंत्री ने लैंडर से संपर्क टूटने के कारण हताश माहौल को बदलने के लिए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि हमारी कविताओं और साहित्य में चांद को प्यार की इतनी उपमाओं से जोड़ा गया है कि अगर आज की घटना का जिक्र होगा तो यह कहा जाएगा कि चंद्रयान अपने आखिरी कदमों पर चांद को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा।
उन्होंने कहा कि कवि इस तरह उसकी व्याख्या करते। उन्होंने कहा कि चंद्रमा को छूने की इच्छाशक्ति अब और अधिक मजबूत तथा और प्रबल हो गई है।
इससे पहले मोदी ने यहां इसरो केंद्र से लैंडर के चंद्रमा की सतह की ओर जाने की प्रक्रिया देखी।
उन्होंने कहा, ‘‘आपकी आंखों ने काफी कुछ बयां कर दिया और मैं आपके चेहरे की निराशा को पढ़ सकता था। मैंने भी आपके साथ उन क्षणों को उतना ही महसूस किया।’’
उन्होंने कहा कि इसलिए वह सुबह उनके साथ लंबे वक्त तक नहीं रुक सके और वापस आ गए। उन्होंने कहा कि वह उन्हें भाषण देना नहीं चाहते बल्कि उन्हें प्रेरित करना चाहते हैं।
वह इस मौके पर निराश और भावुक दिख रहे इसरो प्रमुख के. सिवन को गले लगाते और उन्हें दिलासा देते हुए भी देखे गए।
मोदी ने कहा, ‘‘जब मिशन के साथ संपर्क टूटने का संदेश आया तो आप सब हिल गए।’’ उन्होंने उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा कि इससे भविष्य की सफलताओं के लिए उनका संकल्प और मजबूत होगा।
मोदी ने मंगल मिशन समेत इसरो के कई सफल मिशनों को याद करते हुए कहा कि विज्ञान में कोई नाकामी नहीं होती बल्कि केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं।
उन्होंने कहा कि गर्व करने और प्रसन्न होने के लिए और कई मौके आएंगे। उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिक मक्खन पर नहीं, बल्कि पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आप जितना संभव हो सकता था उतने करीब आए। अब आगे की ओर देखो।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले भी निराशाजनक क्षण रहे हैं लेकिन हमारा जज्बा नहीं टूटा है।
उन्होंने इसरो को ‘‘सफलता का खजाना’’ बताया और कहा कि रुकावट के कुछ क्षण उसकी उड़ान को लक्ष्य से भटका नहीं सकते। उन्होंने कहा कि कोई भी बाधा भारत को 21वीं सदी में अपने सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से नहीं रोक सकती।
उधर चंद्रयान -2 के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि यह सफर थोड़ा लंबा जरूर हुआ है लेकिन आने वाले कल में सफलता जरूर मिलेगी।
सोनिया ने एक बयान में इसरो के वैज्ञानिकों के उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘हम इसरो और इससे जुड़े पुरुषों एवं महिलाओं के ऋणी हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में अग्रणी देशों की कतार में शामिल कर दिया है और आगे की पीढ़ियों को प्रेरित किया है कि वे सितारों तक पहुंचे।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘यह हमारे वैज्ञानिकों की उल्लेखनीय क्षमता, ख्याति और हर भारतीय के दिल में उनके लिए खास जगह होने का प्रमाण है।’’
उन्होंने कहा, ‘चंद्रयान का सफर थोड़ा लंबा जरूर हुआ है लेकिन इसरो का इतिहास ऐसी मिसालों से भरा पड़ा है कि नाउम्मीदी में उम्मीद पैदा हुई। वे कभी हार नहीं मानते। मुझे कोई संदेह नहीं है कि हम वहां पहुंचेंगे, भले ही आज नहीं पहुंच पाए, लेकिन कल हम जरूर पहुंचेंगे।’
उन्होंने इसरो की अतीत की सफलताओं का उल्लेख किया और कहा कि हर रुकावट भविष्य की सफलता से पहले का एक पड़ाव भर है।