अहमदाबाद, 13 अप्रैल । एक विशेष सीबीआई अदालत ने आज 27 अप्रैल तक इशरत के कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में दायर याचिका पर सुनवाई शुरू की वही जांच एजेंसी ने गुजरात के पूर्व पुलिस अधिकारियों एन के अमीन और डी जी बंजारा द्वारा दाखिल किए गए डिस्चार्ज आवेदनों पर जवाब देने के लिए समय मांगा ।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत से कुछ समय के लिए उनके डिस्चार्ज आवेदनों पर अपनी प्रतिक्रिया फाइल मांगी और विशेष सीबीआई न्यायाधीश जम्मू कश्मीर पंड्या ने इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया और तब तक सुनवाई स्थगित करने को कहा .
अमीन और बंजारा दोनों ने पिछले महीने अपना डिस्चार्ज आवेदन दाखिल किया था ।
अमीन उन सात पुलिस अधिकारियों में से एक है जिन्हें सीबीआई ने इस मामले में अपने पहले आरोप पत्र में नामित किया था. इनमें से विशेष अदालत ने हाल ही में पूर्व प्रभारी डीजीपी पी पी पांडेय को डिस्चार्ज कर दिया था ।
अमीन ने कई आधारों पर डिस्चार्ज याचिका दायर की थी और दावा किया था कि कुछ आरोपी व्यक्तियों को मामले में गवाह के रूप में बनाने में सीबीआई द्वारा कानून की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.
उंहोंने आरोप लगाया था कि आरोप पत्र ‘ मनगढ़ंत ‘ और अधिकांश तथ्यों में “छेड़छाड़” किया गया था ।
अमीन ने यह भी कहा था कि आरोप पत्र की वैधता उसी न्यायालय द्वारा तय की गई थी, जिसने पांडे का डिस्चार्ज आवेदन सुना था, जिसे हाल ही में इसी अदालत ने डिस्चार्ज कर दिया था.
अमीन, जो २०१६ अगस्त में सेवानिवृत्त हुए, को राज्य सरकार ने एक विस्तार दिया था. उन्होंने हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने के बाद एक याचिका दायर करने के बाद चुनौती देने के साथ ही सह आरोपी तरुण बरोट को पुनः सेवा में शामिल कर लिया गया .
अपनी याचिका में बंजारा ने दावा किया था कि ‘ इस केस के रिकॉर्ड पर पूरी सामग्री कुछ भी नहीं बल्कि झूठी कहानी है ‘ ।
अपने डिस्चार्ज आवेदन में बंंजारा ने कहा था कि सीबीआई द्वारा दर्ज गवाहों के बयान “अत्यधिक संदेहास्पद” हैं और षड्यंत्र साबित करने के लिए प्राथमिक दृष्टया अभियोजन साक्ष्य नहीं है ।
मुंबई के पास मुंंब्रा से 19 साल की एक कॉलेज गर्ल इशरत, उसके दोस्त जावेद शेख उर्फ प्रणेश,अमजद अली राणा और जीशान जौहर जून २००४ में शहर की सरहद पर अहमदाबाद पुलिस द्वारा एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे ।
पुलिस ने तब दावा किया था कि वे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-ताइबा से संबद्ध आतंकवादी थे.
सीबीआई द्वारा दायर की गई पहली चार्ज शीट में फर्जी मुठभेड़ को ले जाने के लिए सात गुजरात पुलिसकर्मियों–अमीना, बरोट, पांडे, बंजारा, जे जी परमार, के एम वाघेला, और जी एल सिंघल के नाम थे । जबकि पांडेय को डिस्चार्ज कर छह अन्य को जमानत पर बाहर किया गया है ।attacknews.in