उज्जैन 29 अप्रैल। अंतर्राष्ट्रीय विराट गुरूकुल सम्मेलन के द्वितीय दिवस को प्रात: शारिरिक प्रस्तुतियों के अंतर्गत योग सूर्य नमस्कार, मलखम्ब, योग शिखर आदि का संगीतमय प्रदर्शन किया गया।
कर्णावती गौ विद्यार्थियों के द्वारा मलखंभ, महाराष्ट्र रत्नागिरी, बाबा साहेब नानाल गुरूकुल के बच्चों के द्वारा योग पिरामिड, कर्णावती के हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला के बच्चों के द्वारा पोल मलखंभ एवं जिमनास्टिक, जोधपुर राजस्थान की वीर लोंकाशाह संस्कृत ज्ञानपीठ के बच्चों द्वारा युद्धकला कलरीपयटू तथा उज्जैन के अच्युतानंद प्रासादिक गुरूकुल के बच्चों के द्वारा योग की शानदार प्रस्तुतियां की ।
पार्श्व में गायत्री मंत्र की ध्वनि के साथ बच्चों के द्वारा प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गईं।
“शरीर माध्यं खलु धर्म साधनम्” उक्ति को चरितार्थ करते हुए गुरुकुल शिक्षा में शारीरिक स्वास्थ्य का विशेष महत्व है। शरीर स्वस्थ हो तो मन-तन स्वस्थ हो जाते हैं। हम शिक्षा के अर्थों को ग्रहण करने लगते हैं। पंच कोष के अन्नमय विकास में शारीरिक का बड़ा महत्व है और उसी का प्रदर्शन अन्तर्राष्ट्रीय विराट गुरुकुल सम्मेलन में किया गया।
गुरूकुल शिक्षा के पांच संकाय’ पर परिचर्चा संपन्न
सम्मेलन के दूसरे दिन प्रात: गुरूकुल शिक्षा के पांच अलग-अलग विषयों पर विषय के विषेशज्ञों द्वारा विषयों पर रुचि रखने वाले के साथ परिचर्चाएं की गई।
गुरूकुल की शास्त्रीय शिक्षा पद्धति पुन: मुख्यधारा की शिक्षा बनने की ओर अग्रसर होगी। कार्यक्रम स्थल पर गुरूकुल शिक्षा के पांच संकाय क्रमश: पाठशाला (ज्ञान निधि), नाट्यशाला (कला), गौशाला (कृषि), वेधशाला (योग), प्रयोगशाला (विज्ञान) बनाए गये हैं।
इन पांचों संकायों में विषयों के विशेषज्ञों द्वारा रुचि रखने वाले सुधीजनों के साथ चर्चाएं की गईं और विषयों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों दी गईं। जिसके कारण यहां का विद्यार्थी सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर होता है।
पांचों संकायों में परिचर्चा सुनने के बाद चर्चा में सारांश यह निकला कि भारत की महान ऋषि परंपराओं से संबद्ध उन समस्त गुरूकुलों और उनके गुरूओं-आचार्यों ने भारतीय ज्ञान-विज्ञान, कला, कृषि, योग आदि की पारंपरिक मशाल को बुझने नहीं दिया है। इंसान के जीवन में इन संकायों की विधाओं का ज्ञान होना चाहिए। भारतीय जीवन दर्शन का मूल आत्मिक चिन्तन, आत्मा की अमरता-दिव्यता तथा जीवन सत्य पर आधारित होना चाहिए।
प्रयोगशाला में विज्ञान के वक्ता श्री तेजस्व कुलकर्णी, श्री रतन वशिष्ट, श्री कपिलदेव मिश्रा तथा श्री अनिल, नाट्यशाला में कला के वक्ताओं में डॉ. सच्चिदानंद जोशी श्री अमीरचंद, आचार्य वासुदेव कृष्ण शात्रि नेपाल, आचार्य च. मू. कृष्णाशास्त्री , गौशाला, कृषि में वक्ता श्री दिनेश मरोठिया, श्री आर पी तिवारी, श्री टी.वी कट्टीमनी, श्री गिरीश प्रभुणे, वेधशाला योग के वक्ता श्री अनिरूद्ध देशपाण्डे, डॉ. प्रतिमा जोशी, डॉ. मोहन लाल छिपा, आचार्य वेदनिष्ठ, पाठशाला ज्ञान निधि के वक्ता आचार्य हरिप्रसाद अधिकारी, डॉ. हेमचंद्र तथा आचार्य नीलकंठन ने अपने-अपने विषय से संबंधित विविध प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियों से सुधिजनों को अवगत कराया।
चर्चा के दौरान विषयों के विशेषज्ञों ने सुधिजनों की जिज्ञासाओं का समाधान किया और उनके सुझाव पर अमल लाने हेतु कार्यवाही करने हेतु आश्वस्त किया। उक्त विधाओं में व्यक्तियों को पारंगत होना चाहिए ताकि भारतीय पंरपरा और गुरूकुलों में दिये जाने वाले ज्ञान को अमल में लाकर जीवन को सार्थक किया जा सके।attacknews.in