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कोरोना वायरस संक्रमण की भयावह स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है जब न्यूयॉर्क टाइम्स ने पहले पन्ने पर छापे कोविड-19 मृतकों के नाम attacknews.in

न्यूयॉर्क, 24 मई ।आमतौर पर समाचार पत्र का पहला पृष्ठ बड़ी खबरों तथा किसी कंपनी के नये उत्पाद की जानकारी या सरकार की उपलब्धियों आदि के बखान करने वाले विज्ञापन से भरा रहता है किंतु वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकटकाल में विश्व के प्रतिष्ठित अखबारों में एक अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स ने आज पहले पन्ने पर देश में कोरोना वायरस से मरने वालों के नाम प्रकाशित किये हों तो इस संक्रमण की भयावह स्थिति से कंपन हो जाना लाजिमी है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने पहले पन्ने पर न तो किसी खबर की सुर्खी बनाई और न ही विज्ञापन छापा बल्कि पूरे पन्ने को कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के नाम समर्पित कर उनके नामों से भरा।

अखबार ने जो शीर्षक दिया वह भी हृदय को उद्वेलित करता है, शीर्षक है ‘यूएस डेथ नियर 100,000, एन इनकैलकुलैबल लाॅस’। इसके बाद नीचे मृतकों को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा गया है ‘दे वर नॉट सिम्पली नेम्स इन अ लिस्ट, दे वर अस’ (सूची में वे मात्र नाम नहीं थे, वे हम थे’ )

ताजा आंकड़ों के अनुसार विश्व महाशक्ति अमेरिका में इस संक्रमण ने सबसे ज्यादा कहर ढाया है। अमेरिका में वायरस के 16 लाख 66 हजार 828 मामले आ चुके हैं और 98 हजार 683 लोगों की जान जा चुकी है। देश में 11 लाख 21 हजार 231 इस वायरस की जंग जीत चुके हैं जबकि चार लाख 46 हजार 914 संक्रमण से जूझ रहे हैं और 17 हजार 133 जीवन और मौत के बीच झूल रहे हैं।

समाचारपत्र का कहना है कि वह ऐसा करके किसी को भयभीत नहीं करना चाहता बल्कि इसके जरिये देश में कोरोना की क्या स्थिति है, उसकी गंभीरता को सामने रखना चाहता है।

अखबार ने इस काम के लिए शोक समाचारों और मृतक नोटिस जुटाए जिससे मृतकों के नाम की फेहरिस्त बनाई गई।

प्रथम पृष्ठ पर वायरस मृतकों के नाम क्यों प्रकाशित किए, इस पर ‘टाइम्स इनसाइडर’ में एक लेख भी लिखा है। वास्तव में समाचारपत्र के संपादकों ने इस भयावह स्थिति को दर्शाने का फैसला किया। सहायक संपादक ग्राफिक्स सिमोन लैंडन ने लिखा कि वह संख्याओं को इस रूप में सबके समक्ष लाना चाहती थीं, जिससे लोगों को यह पता लगे कि कितनी बड़ी संख्या में वायरस ने जान ली है और यह भी सबको मालूम हो कि किस वर्ग के लोगों की जान का यह संक्रमण दुश्मन बना।

अखबार का कहना है कि सभी विभाग के पत्रकार इस महामारी को रिपोर्ट कर रहे हैं। सुश्री सिमोन का कहना है, ‘हम जानते थे कि हम मील का पत्थर खड़ा करने जा रहे हैं और यह समझ थी कि संख्याओं को रखने का कोई ढंग होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि एक लाख डॉट या स्टिक फिगर पेज पर लगाने से आपको कुछ पता नहीं चलता कि वे कौन लोग थे और वे हमारे लिए क्या मायने रखते थे।

एक शोधार्थी एलेन कोविड-19 से वायरस मृतकों के शोक समाचार और डेथ नोटिस जुटाए जो अलग-अलग समाचारपत्रों में छपे थे। इसके बाद न्यूज रूम में संपादकों ने पत्रकारिता से हाल में स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले तीन छात्रों के साथ बैठकर काम किया और सूची तैयार की।

मुख्य क्रिएटिव अधिकारी टाॅम बाडकिन ने कहा कि आधुनिक वक्त में यह निश्चित रुप से अपनी तरह का पहला काम है।

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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