नई दिल्ली 21 अप्रैल। वैश्विक कर्ज बढकर 164 लाख करोड डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच चुका है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चेतावनी दी है कि अगर बढते वैश्विक कर्ज का यह ट्रेंड इतना खतरनाक है कि वित्तीय स्थिति बिगडने पर तमाम देशों के लिए अपने कर्ज को चुकाना मुश्किल हो जाएगा और दुनिया भीषण वैश्विक मंदी के चपेट में आ सकती है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बढता हुआ कर्ज वैश्विक मंदी का सबब बन सकता है।
आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में ग्लोबल पब्लिक और प्राइवेट कर्ज बढते हुए अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुका है और यह दुनिया की जीडीपी का 225 प्रतिशत हो चुका है। इससे पहले वैश्विक कर्ज 2009 में अपने उच्च पर था।
आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में सार्वजनिक और निजी कर्ज जिस तरह से बढते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है, उससे वैश्विक मंदी का खतरा मंडराने लगा है। अगर इस कर्ज को भारतीय मुद्रा में बदले तो यह करीब 10,660 लाख करोड रुपए है।
आईएफएफ के फिस्कल अफेयर्स डिपार्टमेंट के प्रमुख विटोर गैस्पर ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘164 ट्रिलियन का आंकडा एक बहुत ही विशाल संख्या होती है। जब हम आसन्न जोखिमों की बात करते हैं उनमें से एक बडा जोखिम पब्लिक और प्राइवेट कर्ज का उच्च स्तर है।’
वहीं चीन में निजी कर्ज बहुत ही तेजी से बढ रहा है। दुनियाभर के कुल निजी खर्च का करीब 3 चौथाई हिस्सा तो सिर्फ चीन का है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत ज्यादा कर्ज से देशों के खर्च बढाने की क्षमता पर भी बुरा असर पडेगा।
इससे उनकी विकास दर प्रभावित होगी और वे मंदी के चपेट में भी आ सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से देशों से अपने फिस्कल डेफिसिट को लेकर निर्णायक कदम उठाने का सुझाव दिया है।
कोष ने अमेरिका से गुजारिश की है कि वह अपनी फिस्कल पॉलिसी को फिर से तय करे। अमेरिका का फिस्कल डेफिसिट जिस गति से बढ रहा है, उस हिसाब से वह 2020 में 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड डॉलर तक पहुंच जाएगा।
आईएमएफ के मुताबिक कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कुल कर्ज और जीडीपी का अनुपात खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।attacknews.in