भोपाल, 21 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने काफी मशक्कत के बाद आखिरकार आज रात पार्टी के गढ़ इंदौर संसदीय क्षेत्र से श्री शंकर ललवानी को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
भाजपा मध्यप्रदेश के 29 में से 28 लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी पहले ही घोषित कर चुकी है। इंदौर में प्रत्याशी चुनने के लिए कई दिनों से प्रयास चल रहे थे।
काफी लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बीजेपी ने मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।शंकर लालवानी को अपना प्रत्याशी बनाया है। इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे शंकर लालवानी का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी से होगा।
इंदौर सीट पर भाजपा पिछले आठ लोकसभा चुनाव से लगातार जीतती आ रही है।इस बार लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के इस सीट से चुनाव लड़ने से इंकार के बाद मुख्य दावेदार बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी इस सीट से उतरने से इंकार कर दिया था।
1993 में विधानसभा क्षेत्र-4 से लालवानी को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था।1996 में हुए नगर निगम चुनाव में उन्हें जयरामपुर वार्ड से टिकट मिला था. इसमें उन्होंने अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लालवानी को हराया था और पार्षद बने थे।
लालवानी ने नगर निगम में सभापति जैसे महत्वपूर्ण पद का कार्यभार संभाला।वे तीन बार पार्षद रहे. कुछ समय बाद पार्टी ने उन्हें नगर अध्यक्ष बना दिया. नगर अध्यक्ष के पद पर रहते हुए ही उन्हें इंदौर नगर निगम प्राधिकरण की जिम्मेदारी दी गई थी।
सिंधी समाज से आने वाले शंकर लालवानी सुमित्रा महाजन और शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं।वे आईडीए के अध्यक्ष रह चुके हैं।इसके अलावा लालवानी बीजेपी के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं. जानकारी के अनुसार शिवराज सिंह चौहान ने भी शंकर लालवानी की पैरवी टिकट के लिए की थी।
सुमित्रा महाजन की विरासत अब शंकर ललवानी के जिम्मे है. पार्टी ने अपने एक स्थानीय गुट के कथित विरोध को दरकिनार करते हुए अपने 30 साल पुराने गढ़ में वरिष्ठ नेता शंकर ललवानी को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर की। रविवार को बीजेपी से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद शंकर ललवानी ने सुमित्रा महाजन से मुलाकात की।
बीते दिनों सुमित्रा महाजन ने कहा था कि ‘जब मैंने साल 1989 में इंदौर से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था तब भी मैंने पार्टी से टिकट नहीं मांगा था. पार्टी ने मुझे खुद टिकट दिया था. मैंने अपनी पार्टी से आज तक टिकट नहीं मांगा है.’
इंदौर के एक अन्य दिग्गज नेता और भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी खुद को इस सीट के चुनावी टिकट की दावेदारी से अलग कर लिया था. विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी के रूप में अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए ट्विटर पर कहा था कि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय किया है. कैलाश विजयवर्गीय की गिनती मध्य प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती है. वह लगातार 6 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।
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